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वैक्सीनेशन क्यों जरूरी है? एक्सपर्ट से जानिए अपने सवालों के जवाब

टीकाकरण को लेकर कई गलत धारणाएं हैं, जिन्हें दूर किए जाने की जरूरत है.

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वैक्सीनेशन या टीकाकरण यह सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है कि किसी शख्स को कुछ बीमारियों से जिंदगी भर दूर रखा जाएगा. टीकाकरण बच्चों को कुछ विशिष्ट और गंभीर बीमारियों से बचाता है, जो कि ऐसा नहीं करने पर जिंदगी के लिए खतरा बन सकती हैं.

लेकिन टीकाकरण की प्रक्रिया के बारे में कई गलत धारणाएं और आशंकाएं हैं जैसे कि यह क्यों जरूरी है और एक बच्चे का कब टीकाकरण कराना चाहिए.

इसलिए हमने टीकाकरण को लेकर सारे संदेहों को दूर करने और आपके सभी सवालों के जवाब देने के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की सचिव सुश्री प्रीति सूदन से संपर्क किया.

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टीकाकरण क्या है?

टीकाकरण को लेकर कई गलत धारणाएं हैं, जिन्हें दूर किए जाने की जरूरत है.
टीकाकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत किसी शख्स को प्रतिरक्षित या संक्रामक रोग के लिए प्रतिरोधी बनाया जाता है.
(फोटो: iStockphoto)

टीकाकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत आमतौर पर वैक्सीन देकर किसी व्यक्ति को एक संक्रामक बीमारी के लिए प्रतिरक्षित या प्रतिरोधी बनाया जाता है. टीके बाद में कभी होने की आशंका वाले संक्रमण या बीमारी से बचाव के लिए व्यक्ति के शरीर की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय कर देते हैं.

टीकाकरण जीवन के लिए खतरा बनने वाले संक्रामक रोगों पर काबू पाने और इसे खत्म करने का एक कारआमद उपाय है और एक अनुमान के मुताबिक इसकी मदद से हर साल 20 से 30 लाख लोगों की मौत टाल दी जाती है.

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टीकाकरण के क्या फायदे हैं?

टीकाकरण कुछ विशिष्ट और गंभीर बीमारियों से बच्चों की रक्षा करता है, जो कि अन्यथा आपके लिए तनाव, चिंता या बच्चे के गंभीर रूप से बीमार होने का कारण बन सकती हैं और संभवतः किसी बीमारी से मौत भी हो सकती है, जिसे सिर्फ एक टीका लगाकर रोका जा सकता था.

इस समय UIP के तहत कौन से टीके दिए जाते हैं?

टीकाकरण को लेकर कई गलत धारणाएं हैं, जिन्हें दूर किए जाने की जरूरत है.

यूआईपी (यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम) के तहत, वैक्सीन से रोकी जा सकने लायक 12 बीमारियों को खत्म करने के लिए मुफ्त में टीकाकरण किया जाता है:

  • 9 बीमारियों के खिलाफ देश भर में: डिप्थीरिया, काली खांसी, टेटनस, पोलियो, खसरा, रूबेला, बच्चों की गंभीर टीबी, हेपेटाइटिस बी और मेनिनजाइटिस व निमोनिया हेमोफिलियस इन्फ्लूएंजा टाइप बी.
  • 3 बीमारियों के खिलाफ देश के कुछ क्षेत्रों मेंः रोटावायरस डायरिया, न्यूमोकोकल निमोनिया और जापानी इंसेफेलाइटिस (JE); जिनमें से रोटावायरस वैक्सीन और न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन विस्तार की प्रक्रिया में हैं, जबकि JE वैक्सीन केवल प्रभावित जिलों में दी जाती है.

हम अपने बच्चों को कहां टीका लगवा सकते हैं?

आप अपने बच्चों का टीकाकरण कराने के लिए अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, शहरी डिस्पेंसरी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC), उप-केंद्रों और आंगनबाड़ी केंद्रों सहित किसी भी सरकारी स्वास्थ्य सुविधा केंद्र पर जा सकते हैं. अपने आसपास होने वाले टीकाकरण शिविरों की जानकारी पाने के लिए क्षेत्र की आशा वर्करया एएनएम से संपर्क करें और अपने बच्चों को तयशुदा टीकाकरण कार्यक्रम के अनुसार उन्हें टीक लगवाने के लिए नजदीक के टीकाकरण शिविर में ले जाएं.

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समय पर टीकाकरण क्यों जरूरी है? टीकाकरण पर कितना खर्च आता है?

टीकाकरण को लेकर कई गलत धारणाएं हैं, जिन्हें दूर किए जाने की जरूरत है.
भारत में एक हेल्थ वर्कर एक शिशु को टीका लगाते हुए.
(फोटो साभार: Facebook/I.T for Development).)

टीके बच्चों को सबसे अच्छी सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं, अगर उन्हें सही उम्र में और तय संख्या में खुराक दी जाती है. जीवन की निश्चित अवधि में, किसी खास बीमारी की अधिकतम आशंका होती है. इसलिए, बीमारी के कारण होने वाले नुकसान को रोकने के लिए, उस खास उम्र में टीके लगाए जाते हैं. उदाहरण के लिए 5 साल से कम उम्र के बच्चों में पोलियो के मामले अधिकतम हैं; इसलिए, पोलियो के खिलाफ नियमित टीकाकरण के साथ-साथ 5 साल से कम उम्र के बच्चों का अभियान चलाकर टीकाकरण किया जाता है.

टीके महंगे होते हैं और सरकार इन्हें हर लाभार्थी को मुफ्त में उपलब्ध कराने के लिए काफी पैसा खर्च करती है.

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नियमित टीकाकरण के बाद भी क्या कैंपेन के दौरान अतिरिक्त खुराक की जरूरत होती है?

हां. यह सुनिश्चित करने के लिए अभियान चलाया जाता है कि खतरे की सीमा में आने वाले आयु वर्ग के अधिकांश बच्चों को रोग फैलने से रोकने के लिए प्रतिरक्षित किया जाए. इस तरह, भले ही किसी बच्चे को नियमित टीकाकरण में उम्र के हिसाब से तय टीके लगे हों, फिर भी अभियान के दौरान उसे वैक्सीन की “अतिरिक्त” खुराक मिलनी चाहिए. यह बीमारी के खिलाफ बच्चे को अतिरिक्त सुरक्षा भी प्रदान करता है.

अगर बच्चा बीमार है, तो भी क्या उसे टीका लगाया जा सकता है?

मामूली बीमारी (जैसे कि हल्की खांसी और जुकाम, या हल्का बुखार) से पीड़ित बीमार बच्चे को सुरक्षित रूप से इंजेक्शन या ओरल टीके दिए जा सकते हैं. हालांकि, ऐसा बच्चा जिसे कोई गंभीर बीमारी है या अस्पताल में भर्ती है (जैसे तेज बुखार, गंभीर दस्त है) तो उसे तब तक टीका नहीं लगाया जाना चाहिए, जब तक कि उसकी हालत में सुधार न हो जाए.

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कुछ टीके जांघ में क्यों लगाए जाते हैं, जबकि बाकी बांह में, या मुंह से दिए जाते हैं? क्या इंजेक्शन की बजाए सभी टीके ओरल नहीं दिए जा सकते?

टीकाकरण को लेकर कई गलत धारणाएं हैं, जिन्हें दूर किए जाने की जरूरत है.
.(फोटो: IANS)
एक बच्चे को पोलियो ड्रॉप पिलाया जा रहा है

हर वैक्सीन का रूट अधिकतम सुरक्षा, जो कि जो शरीर में पैदा होगी, का आकलन करने के बाद तय किया जाता है. हर टीका जब इसके विशिष्ट रूट द्वारा दिया जाता है, तभी ये टार्गेटेड पैथोजेन के खिलाफ सुरक्षा देता है. इसलिए अलग-अलग टीके अलग-अलग रूट से दिए जाते हैं.

क्या टीके से एलर्जी हो सकती है?

कुछ बच्चों को कुछ टीकों या किसी विशेष टीके के घटक (जैसे एंटीबायोटिक या प्रिजर्वेटिव) से एलर्जी हो सकती है और ऐसे बच्चों में टीका लगाने से एलर्जी की प्रतिक्रिया हो सकती है, जैसे कि टीकाकरण के तुरंत बाद खुजली होना या शरीर पर लाल धब्बे दिखाई देना. अगर कोई मेडिकल हिस्ट्री है या पिछला टीका लगाने के दौरान इस तरह के लक्षण दिखाई दिए थे, तो वैक्सीन की अगली खुराक देने से पहले हेल्थ वर्कर या डॉक्टर को इसके बारे में बताएं.

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(सुश्री प्रीति सूदन मौजूदा समय में भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में सचिव के तौर कार्यरत हैं. इससे पहले वह खाद्य और सार्वजनिक वितरण, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के तहत खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग की सचिव रह चुकी हैं.)

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