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फेफड़े का कैंसर: इलाज में बेहद कारगर टार्गेटेड और इम्यूनो थेरेपी

फेफड़े के कैंसर के सिर्फ 15 प्रतिशत मामलों में ही इसका इलाज संभव हो पाता है.

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फेफड़े के कैंसर के इलाज में टार्गेटेड थेरेपी बेहद कारगर साबित हो सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि टार्गेटेड और इम्यूनो थेरेपी से स्टेज 4 फेफड़े के कैंसर वाले रोगी भी बेहतर जिंदगी जी सकते हैं.

राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर के सीनियर एक्सपर्ट डॉ उल्लास बत्रा ने बताया कि फेफड़े के कैंसर का पता आमतौर पर बाद के स्टेज में ही हो पाता है. इसीलिए मात्र 15 प्रतिशत मामलों में ही इसका इलाज संभव हो पाता है. हालांकि टार्गेटेड थेरेपी और इम्यूनो थेरेपी जैसी रणनीतियों और नए शोध से उम्मीद की किरण दिखी है.
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लंग कैंसर के रिस्क फैक्टर्स

डॉ बत्रा ने बताया कि फेफड़ों के कैंसर के लिए सबसे अहम जोखिम कारक किसी भी रूप में धूम्रपान करना है, चाहे वह सिगरेट, बीड़ी या सिगार हो.

धूम्रपान करने से फेफड़ों का कैंसर होने की आशंका 15 से 30 गुना बढ़ जाती है और धूम्रपान न करने वाले लोगों की तुलना में इन व्यक्तियों के फेफड़ों के कैंसर से मरने की आशंका भी अधिक होती है. निष्क्रिय धूम्रपान यानी धूम्रपान करने वाले के आसपास रहना भी बहुत हानिकारक है. 
डॉ उल्लास बत्रा

कई स्टडीज से पता चला है कि निष्क्रिय तंबाकू के संपर्क में आने वाले लोगों में फेफड़ों के कैंसर का जोखिम 20 प्रतिशत बढ़ जाता है. फेफड़े के कैंसर के दूसरे जोखिम कारक रेडॉन, एस्बेस्टस, कोयले का धुआं और अन्य रसायनों के संपर्क में रहना है.

क्या कहते हैं आंकड़े?

फेफड़े का कैंसर होने की औसत उम्र 54.6 वर्ष है और फेफड़ों के कैंसर के ज्यादातर  रोगियों की उम्र 65 से अधिक है.
डॉ बत्रा

इसमें यह भी ध्यान देने की बात है कि फेफड़े के कैंसर के मामले में पुरुष-महिला अनुपात 4.5 :1 है. उम्र और धूम्रपान के असर से पुरुषों में खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है.

साल 2018 में फेफड़ों के कैंसर के भारत में 67,795 नए केस दर्ज हुए. इसी दौरान फेफड़े के कैंसर से मरने वालों की संख्या 63,475 रही. 
ग्लोबोकैन की रिपोर्ट
फेफड़ों के कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. आईसीएमआर के मुताबिक अगले चार वर्षों में फेफड़े के कैंसर के नए मामलों की संख्या 1.4 लाख तक पहुंच सकती है.
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कैसे करें रोकथाम?

डॉ बत्रा ने बताया कि फेफड़ों के कैंसर को रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक तंबाकू (सक्रिय या निष्क्रिय) के संपर्क से बचना होगा. धूम्रपान छोड़ना बहुत मुश्किल नहीं है और अगर कोशिश की जाए, तो इसमें कभी देर नहीं लगती.

अगर आप 50 वर्ष की आयु से पहले धूम्रपान करना बंद कर दें, तो आप अगले 10-15 वर्षों में फेफड़ों के कैंसर के खतरे को आधा कर सकते हैं.
डॉ बत्रा

डॉ बत्रा के मुताबिक टार्गेटेड थेरेपी और इम्यूनो थेरेपी के आने से स्टेज 4 फेफड़े के कैंसर वाले रोगी अच्छी गुणवत्ता के साथ जिंदगी बिता रहे हैं.

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