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क्या लॉकडाउन के बावजूद भारत में बढ़ेंगे COVID-19 के मामले?

अगले तीन महीनों में COVID-19 के मामलों में भारी उछाल देखा जा सकता है.

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सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी (CDDEP) की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक हो सकता है कि आने वाले महीनों में कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों की तादाद मार्च में सामने आए मामलों की तुलना बहुत ज्यादा हो जाए.

CDDEP की इस रिपोर्ट में 3 संभावित परिदृश्यों, जिसमें नियंत्रित हालात से लेकर बेकाबू परिस्थितियों में COVID-19 के मामलों को को लेकर अनुमान लगाया है. पहले इस रिपोर्ट में जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी का लोगो भी था.

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हालांकि अपने एक ट्वीट में, जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने स्पष्ट किया कि उनके लोगो को इस रिपोर्ट में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.

इस रिपोर्ट को CDDEP की वेबसाइट पर देख सकते हैं.

CDDEP के डायरेक्ट प्रोफेसर रामानन लक्ष्मीनारायण ने फिट से बताया,

हमारे अनुमानों और हॉपकिन्स के लोगो को लेकर काफी विवाद हो रहा है. मैं और मेरी आधी मॉडलिंग हॉपकिन्स द्वारा नियुक्त है. जॉन्स हॉपकिन्स की नीति है कि अगर हम रिपोर्ट में अपना नाम नहीं डाल रहे हैं, तो हॉपकिन्स का लोगो नहीं यूज कर सकते हैं. इस बारे में कल तक सब साफ हो जाएगा.

इसके अलावा, द न्यूयॉर्क टाइम्स के एक आर्टिकल में, उन्होंने लिखा कि सरकार को जानमाल के नुकसान को कम करने के लिए तेजी से और निर्णायक रूप से आगे बढ़ना होगा.

निष्कर्षों में पाया गया है कि फिजिकल डिस्टेन्सिंग के सख्त पालन से भारत में प्रभावित मामलों की संख्या 70 से 80 प्रतिशत तक कम हो सकती है. लॉकडाउन से लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती थी, अब मजदूरों, बेघरों और दूसरे कमजोर वर्गों के लिए उपाय किए जाने के साथ स्वास्थ्य कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता है.

रिपोर्ट के मुताबिक इसके कम से कम मामले तब होंगे, जब तापमान/आर्द्रता में बदलाव के साथ वायरस का प्रकोप भी घटे. रिपोर्ट में कहा गया है, "तापमान और आर्द्रता बढ़ने से हमें केस लोड को कम करने में मदद मिल सकती है. हालांकिल इसके सबूत सीमित हैं."

(इनुपट: IANS)

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