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फल-सब्जियों के इस्तेमाल में पिछड़े हैं भारतीय

फल-सब्जियों का ज्यादा सेवन करने वाले हड्डियों की परेशानी से 42% तक बचे रहते हैं

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शहरों में पोषक आहार को लेकर हाल ही में हुई एक स्टडी में पाया गया कि भारतीय, फलों और सब्जियों में मौजूद कई तरह की वैरायटी के पौष्टिक और जरूरी विटामिन की बहुत कम खुराक लेते हैं.

स्टडी में सामने आए आंकड़े बताते हैं कि हरी पत्तेदार सब्जियों की जिस मात्रा की सिफारिश की जाती है, वह प्रति व्यक्ति 40 ग्राम प्रतिदिन है. जबकि देश में इसका औसत आंकड़ा प्रति व्यक्ति केवल 24 ग्राम ही है. अनाज और बाजरा का औसत 320 ग्राम प्रतिदिन पाया गया है. वहीं दालों और फलियों का सेवन 42 ग्राम प्रतिदिन देखा गया.
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स्टडी में कहा गया है जो लोग फलों और सब्जियों का ज्यादा सेवन करते हैं, वो हड्डियों की परेशानी से 42 प्रतिशत तक बचे रहते हैं. बहुत सारे फल और सब्जियां खाने, नमक पर कंट्रोल रखने, वेट कंट्रोल बनाए रखने और संतुलित आहार लेने से हृदय रोग और स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है. साथ ही टाइप 2 डायबिटीज से बचने की संभावना भी बढ़ जाती है.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और हार्ट केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के. के. अग्रवाल और आईएमए के मानद महासचिव डॉ. आर. एन. टंडन ने एक संयुक्त बयान में कहा,

गैर-संचारी रोगों की एक वजह ये है कि लोग अनहेल्दी डाइट लेते हैं जिसमें फलों और सब्जियों की कमी रहती है. भारत में गैर-संचारी रोगों और लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का बोलबाला है. अनहेल्दी डाइट मोटापे, हाई बल्डप्रेशर, ब्लड शुगर और ब्लड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को बढ़ाती है.
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रिसर्च के मुताबिक भारतीय अपनी एनर्जी का 30 परसेंट हिस्सा फैट से लेते हैं और पिछली पीढ़ियों की तुलना में आहार में फाइबर की आधी मात्रा का ही इस्तेमाल करता है. भारतीयों में काफी हद तक चेतावनी के संकेतों को अनदेखा करने की आदत होती है.

डॉ. अग्रवाल ने कहा, "हम धीरे-धीरे टेक्नोलॉजी पर निर्भर हो रहे हैं. बिजी लाइफस्टाइल, लंबे समय तक काम करना, जीवन में तेजी से नेगेटिव बदलाव ला रहे हैं. स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग पहले से तैयार नाश्ता खाने के ऑप्शन खोजते हैं और अक्सर दिन की जरूरी डाइट छोड़ देते हैं.
उन्होंने कहा, "फलों और सब्जियों को रोज थोड़ा-थोड़ा कर पांच बार खाना चाहिए."

( इनपुट:IANS )

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