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घर के अंदर भी बेहद प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं आप

दिल्ली-NCR के घरों में एयर क्वालिटी पर की गई एक स्टडी में हुआ खुलासा.

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सिर्फ बाहर ही नहीं बल्कि हमारे घर के अंदर की हवा भी बेहद प्रदूषित है. ब्रीदईजी कंसल्टेंट्स की ओर से एक साल तक की गई एक स्टडी में ये पाया गया है कि घर के अंदर की हवा भी सुरक्षित नहीं है. इसमें पीएम 2.5, कार्बन डाइऑक्साइड और दूसरी हानिकारक गैसें मौजूद होती हैं.

अप्रैल 2018 और मार्च 2019 के बीच की गई इस स्टडी के तहत दिल्ली-एनसीआर में 200 बड़ी और छोटी कॉलोनियों के 400 से अधिक घरों के अंदर की हवा की गुणवत्ता की रियल टाइम मॉनिटरिंग की गई.

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कई घरों में कार्बन डाइऑक्साइड का लेवल 750 पीपीएम की सुरक्षित सीमा के मुकाबले 3,900 पीपीएम से अधिक पाया गया और कुछ घरों में कुल वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (टीवीओसी) की सांद्रता 200 µg/m3 की सुरक्षित सीमा से काफी अधिक 1,000 µg/m3 से भी अधिक पाया गया. वहीं घरों में पीएम 2.5 बाहरी हवा के मुकाबले थोड़ा कम, लेकिन सुरक्षित सीमा से ज्यादा पाया गया.

ऐसा उन घरों में भी देखा गया जहां रहने के दौरान दरवाजे और खिड़कियां बंद रखी गई थीं. यहां तक कि जहां एयर प्यूरिफायर का उपयोग किया गया था, वहां पीएम 2.5 का स्तर मानक सुरक्षित सीमा से ऊपर था और कार्बन डाइऑक्साइड और टीवीओसी का लेवल स्वीकृत सीमा से कई गुना अधिक था.

कैसे प्रदूषित हो जाती है घर के अंदर की हवा?

ब्रीदईजी कंसल्टेंट्स, नई दिल्ली के सीईओ बरुण अग्रवाल कहते हैं, "घर के अंदर न केवल कई प्रदूषकों को छोड़ा जाता है बल्कि बाहर की हवा भी घर में आती है."

  • घरों में उचित वेंटिलेशन नहीं होने पर कार्बन डाइऑक्साइड खतरनाक स्तर तक जमा हो सकता है.
  • वॉशरूम और किचन से निकलने वाली गंध, केमिकल क्लीनिंग सॉल्यूशन, डियोड्रेंट, परफ्यूम, एयर फ्रेशनर, मॉस्किटो रिपेलेंट के इस्तेमाल और कारपेट, पेंट, लकड़ी के फर्नीचर और घर के सामान से निकलने वाले गैसों के कारण टीवीओसी की सांद्रता अधिक होती है.
  • पीएम 2.5 अगरबत्ती, धूल और आग से निकलते हैं.

सेहत के लिए खतरनाक है प्रदूषकों का ये स्तर

इस स्टडी में कार्बन डाइऑक्साइड और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों के रूप में कई हानिकारक गैसों को दिल्ली-एनसीआर में घरों के अंदर मुख्य प्रदूषक पाया गया, जो कि अपनी सुरक्षित सीमा से बहुत अधिक थे.

लंबे समय तक ऐसे प्रदूषकों के संपर्क में रहने पर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.

हम रोजाना 3 से 5 लीटर पानी पीने को लेकर बहुत सतर्क रहते हैं, लेकिन कोई भी व्यक्ति 13, 000 लीटर हवा पर ध्यान नहीं देता है, जिसे हम हर दिन सांस लेते हैं.
बरुण अग्रवाल

इस स्टडी में न केवल घरों के अंदर उचित वेंटिलेशन की जरूरत बल्कि पर्टिकुलेट मैटर और हानिकारक गैसों को छानने में सक्षम एयर प्यूरीफायर के इस्तेमाल पर भी जोर दिया गया है.

(एयर पॉल्यूशन पर फिट #PollutionKaSolution कैंपेन लॉन्च कर रहा है. आप भी हमारी इस मुहिम का हिस्सा बन सकते हैं. आप #AirPollution को लेकर अपने सवाल, समाधान और आइडियाज FIT@thequint.com पर भेज सकते हैं.)

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