ADVERTISEMENTREMOVE AD

भारत में क्यों बढ़ रहे हैं हार्ट फेलियर के मामले?

जानिए कैसे कम किया जा सकता है ‘हार्ट फेलियर’ का खतरा.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

भारत में हार्ट फेलियर सबसे कम पहचानी जाने वाली और सबसे कम जांची जाने वाली स्थिति है. विशेषज्ञों के मुताबिक इसी वजह से ये रोग चुपचाप लेकिन तेजी से रोगियों की जान ले रहा है.

हार्ट फेलियर तेजी से बढ़ती बीमारी है, जिसमें हार्ट के मसल्स समय बीतने के साथ कमजोर होकर अकड़ जाते हैं और ठीक तरह से पंप करने की दिल की क्षमता को घटा देते हैं.

इससे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों तक ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति घट जाती है. इस स्थिति को ‘इस्केमिक हार्ट डिजीज’ और ‘हार्ट फेलियर' कहा जाता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ देवकिशन पहलाजानी के मुताबिक इस्कीमिया का मतलब है 'रक्त आपूर्ति में कमी'.

कोरोनरी आर्टरीज हृदय की मांसपेशी तक रक्त की आपूर्ति करती हैं, इसका कोई दूसरा विकल्प नहीं है. कोरोनरी आर्टरीज में ब्लॉकेज होने से हार्ट मसल्स में रक्त की आपूर्ति घट जाती है.
डॉ देवकिशन पहलाजानी, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल

क्यों ब्लॉक होती हैं आर्टरीज?

डॉ देवकिशन कहते हैं कि ये ब्लॉकेज आमतौर पर कोलेस्ट्रॉल और दूसरे पदार्थों के आर्टरी में जमने से होता है. इससे समय बीतने के साथ आर्टरीज अंदर से संकरी हो जाती है और हार्ट में ब्लड का फ्लो आंशिक या पूरी तरह से रुक सकता है.

ऐसे में रक्त की आपूर्ति कम हो जाती है और हार्ट को सामान्य से अधिक काम करना पड़ता है और हार्ट फेलियर हो जाता है.
डॉ देवकिशन

बढ़ रही हैं हार्ट फेलियर की घटनाएं

त्रिवेंद्रम हार्ट फेलियर रजिस्ट्री (टीएचएफआर) ने हाल ही में अस्पताल में भर्ती रोगियों और दक्षिण भारत में हार्ट फेलियर के तीन साल के परिणामों पर एक अध्ययन किया. अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि हार्ट फेलियर से पीड़ित 72 फीसदी रोगियों को इस्केमिक हार्ट डिजीज थी.

इस्केमिक हार्ट डिजीज ने पंजाब, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल को जकड़ रखा है.

हार्ट फेलियर की घटनाएं बढ़ रही हैं, मैं एक महीने में जितने हार्ट फेलियर के रोगी देखता हूं, उनमें से 20-22 प्रतिशत की यह स्थिति इस्केमिक हार्ट डिजीज के कारण है.
डॉ देवकिशन
ADVERTISEMENTREMOVE AD

कैसे कम करें ‘हार्ट फेलियर’ का खतरा?

डॉ देवकिशन बताते हैं कि जोखिम के कारकों की बेहतर स्क्रीनिंग और तुरंत तथा पर्याप्त उपचार से बहुत हद तक इसकी रोकथाम की जा सकती है.

दवाइयों में हालिया सुधार के साथ हार्ट फेलियर का असरदार इलाज हो सकता है. इसे ठीक करने के लिए जीवनशैली में भी इससे जुड़े सकारात्मक बदलाव की जरूरत है.
डॉ देवकिशन

नमक के इस्तेमाल पर नियंत्रण, हेल्दी डाइट लेकर, स्मोकिंग छोड़कर, एल्कोहल का सेवन सीमित कर और रूटीन में हल्की-फुल्की शारीरिक गतिविधियों को शामिल कर इसके खतरे को कम किया जा सकता है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×