नीति आयोग के दूसरे हेल्थ इंडेक्स के स्टेट हेल्थ रैंकिंग में केरल पहले पायदान पर है. वहीं उत्तर प्रदेश और बिहार इस रैंकिंग में सबसे नीचे हैं. पिछले साल 2018 की रैंकिंग में भी केरल टॉप पर था. हालांकि पिछले साल के मुकाबले केरल के प्रदर्शन में गिरावट आई है.
इस सरकारी थिंक टैंक की रिपोर्ट के मुताबिक आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं.
‘स्वस्थ राज्य प्रगतिशील भारत’ शीर्षक से जारी नीति आयोग की रिपोर्ट में राज्यों की रैंकिंग से ये बात सामने आई है.
नीति आयोग स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर वर्ल्ड बैंक की मदद से 23 अलग-अलग पैमानों पर राज्यों का आकलन करता है, जिसके आधार पर स्टेट हेल्थ रैंकिंग जारी होती है.
इसे स्वास्थ्य योजना परिणाम (नवजात मृत्यु दर, प्रजनन दर, जन्म के समय स्त्री-पुरुष अनुपात), संचालन व्यवस्था और सूचना (अधिकारियों की नियुक्ति अवधि) और प्रमुख इनपुट / प्रक्रियाओं (नर्सों के खाली पड़े पद, जन्म पंजीकरण का स्तर) में बांटा गया है.
इस तरह की पिछली रैंकिंग फरवरी 2018 में जारी की गई थी. इस रिपोर्ट में पिछली बार के मुकाबले सुधार और कुल मिलाकर बेहतर प्रदर्शन के आधार पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की रैंकिंग तीन श्रेणी में की गई है.
पहली श्रेणी में 21 बड़े राज्यों, दूसरी श्रेणी में आठ छोटे राज्यों और तीसरी श्रेणी में केंद्र शासित प्रदेशों को रखा गया है.
बेहद खराब परफॉर्म करने वाले राज्य
पूरी रैंकिंग में 21 बड़े राज्यों की लिस्ट में उत्तर प्रदेश सबसे नीचे 21वें पायदान पर है. उसके बाद क्रमश: बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड हैं.
पिछले साल के मुकाबले सुधार के मामले में 21 बड़े राज्यों की सूची में बिहार 21वें स्थान पर सबसे नीचे रहा है जबकि उत्तर प्रदेश 20वें, उत्तराखंड 19वें और ओडिशा 18वें स्थान पर रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक बड़े राज्यों में हरियाणा, राजस्थान और झारखंड ने पिछली बार की तुलना में अपनी रैंकिंग में सुधार किया है. वहीं छोटे राज्यों में त्रिपुरा पहले पायदान पर रहा. उसके बाद क्रमश: मणिपुर, मिजोरम और नगालैंड का स्थान रहा.
रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रशासित प्रदेशों में दादर एंड नागर हवेली (पहला स्थान) और चंडीगढ़ (दूसरा स्थान) में स्थिति पहले से बेहतर हुई है. सूची में लक्षद्वीप सबसे नीचे तथा दिल्ली पांचवें स्थान पर है.
स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर करना है मकसद
रिपोर्ट जारी किए जाने के मौके पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा, ‘‘यह एक बड़ा प्रयास है, जिसका मकसद राज्यों को महत्वपूर्ण संकेतकों के आधार पर स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में सुधार के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा के लिए प्रेरित करना है.’’
आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल ने कहा, ‘‘स्वास्थ्य क्षेत्र में अभी काफी काम करने की जरूरत है. इसमें सुधार के लिए स्थिर प्रशासन, महत्वपूर्ण पदों को भरा जाना और स्वास्थ्य बजट बढ़ाने की जरूरत है.’’
केंद्र सरकार को सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत स्वास्थ्य पर खर्च करना चाहिए. जबकि राज्यों को स्वास्थ्य पर राज्य जीडीपी का औसतन 4.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 8 प्रतिशत खर्च करना चाहिए.डॉ वी के पॉल
रिपोर्ट के अनुसार कई संकेतकों पर खराब प्रदर्शन के कारण बेस ईयर और रिफरेंस ईयर के बीच बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और ओडिशा का स्वास्थ्य सूचकांक अंक घटा है.
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