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वयस्कों का लैक्टोज इंटॉलरेंट होना आम है, जानते हैं क्यों?

क्या आप भी दूध पचा नहीं पाते हैं? जानिए क्या है इसकी वजह.

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क्या कभी एक कप दूध या दूध से बनी चीजें खाने के बाद आपने अपने पेट में गुड़गुड़ाहट महसूस की है? शायद मिचली या चक्कर आना भी? हो सकता है कि आपने लैक्टोज इंटॉलरेंस के बारे में भी सुना हो. भले ही आप पहले कभी लैक्टोज इंटॉलरेंट न रहे हों. लेकिन आप उम्र के साथ लैक्टोज इंटॉलरेंट हो सकते हैं.

नई दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल में पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और हेपेटोलॉजिस्ट डॉ विद्युत भाटिया इसकी पुष्टि करते हैं. डॉ भाटिया कहते हैं कि उम्र के साथ लैक्टोज इंटॉलरेंस हो सकता है और कुछ भारतीय लोगों में जेनेटिकली ऐसा होता है.

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लैक्टोज इंटॉलरेंस क्या है?

इससे पहले कि ये कैसे और क्यों होता है, हमें ये जानने की जरूरत है कि लैक्टोज इंटॉलरेंस वास्तव में होता क्या है. यह केवल दूध और दूध से बनी चीजों में पाए जाने वाले एक शुगर को पचाने में शरीर की अक्षमता है. अगर आप लैक्टोज इंटॉलरेंट हैं, तो इसके लक्षणों में पेट दर्द, पेट में गड़बड़ी और कुछ मामलों में, मिचली और उल्टी आना शामिल होगा. सीधे शब्दों में कहें तो यह अपच और पेट से जुड़ा है.

यह लैक्टोज वाली चीजें को खाने के आधे से एक घंटे बाद वयस्क या बच्चों में दस्त, पेट दर्द, पेट फूलना या पेट में गड़बड़ी जैसे लक्षणों की मौजूदगी है.
डॉ विद्युत भाटिया

फोर्टिस हॉस्पिटल में पीडिएट्रिक्स और नियो-नेटल यूनिट के हेड डॉ राहुल नागपाल लैक्टोज इंटॉलरेंस और एलर्जी के बीच ये अंतर बताते हैं:

लैक्टोज इंटॉलरेंस लैक्टेज एंजाइम की कमी के कारण होता है और पेट के लक्षणों के रूप में सामने आता है. लैक्टोज एलर्जी, मिल्क प्रोटीन के साथ होने वाल एक हाइपर सेंसिटिव रिएक्शन है, जो सिस्टमेटिक रूप से दिखाई देता है. ये हल्के से गंभीर हो सकता है. इसमें चकत्ते, सांस लेने में दिक्कत और पेट के लक्षण शामिल हैं. दुर्लभ स्थितियों में, इससे जान जाने का भी खतरा होता है.
डॉ राहुल नागपाल, फोर्टिस अस्पताल

लैक्टोज इंटॉलरेंट होना सामान्य है?

डॉ भाटिया बताते हैं कि 1960 के दशक की शुरुआत में यह सोचा गया था कि लगभग सभी वयस्कों के म्यूकोसा में लैक्टेज एंजाइम होता है, जो लैक्टोज (दूध में पाई जाने वाली शुगर) को पचाने में उनकी मदद करता है.

हालांकि, बाद में रिसर्च ने साबित कर दिया कि यह एक मिथक था और अधिकांश वयस्कों में इस एंजाइम की कमी थी. उत्तरी यूरोपीय मूल के लोगों और भूमध्यसागरीय क्षेत्र के कुछ लोगों की नस्ल में वयस्क होने पर भी इस एंजाइम की मौजूदगी बरकरार देखी गई.
डॉ विद्युत भाटिया, मैक्स अस्पताल
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नतीजतन, अपनी आनुवंशिक प्रवृत्ति के चलते इस एंजाइम की गैरमौजूदगी के कारण दूध और दूध से बनी चीजों के प्रति इंटॉलरेंट होने की संभावना अधिक होती है. दिलचस्प बात यह है कि डॉ भाटिया आगे कहते हैं, वयस्कों में एंजाइमों की मौजूदगी एक जीन में बदलाव के कारण होती है, जिससे यह एक असाधारण चीज बन जाती है.

वयस्कों में लैक्टेज की लंबे समय तक मौजूदगी सामान्य नहीं है, लेकिन यह एक जेनेटिक म्यूटेशन है. अन्य स्तनधारी प्रजातियों का अध्ययन करते समय भी इस तथ्य की पुष्टि की गई थी. इसने वास्तव में शब्दावली को बदल दिया है. अब, लैक्टेज एंजाइम की कमी वाले लोगों को सामान्य माना जाता है, जबकि जो व्यस्क होने के दौरान लैक्टोज को सहन करते हैं, उन्हें ‘लैक्टेस की मौजूदगी वाला (lactase persisters)’ कहा जाता है.
डॉ विद्युत भाटिया, मैक्स अस्पताल
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अति संवेदनशीलता और रोकथाम

डॉ भाटिया दोहराते हैं कि उत्तरी यूरोपीय और भूमध्यसागरीय मूल के लोगों को छोड़कर सभी वयस्क, लैक्टोज इंटॉलरेंस होने के प्रति अति संवेदनशील होते हैं. इसके अलावा, एक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफेक्शन या एलर्जी के बाद बच्चों को भी अधिक खतरा होता है. साथ ही उन बहुत ही दुर्लभ मामलों में जब बच्चे लैक्टेज एंजाइम के बिना पैदा होते हैं.

जब रोकथाम की बात आती है, तो डॉ नागपाल कहते हैं कि हालांकि अपने आप में इंटॉलरेंस रोकने योग्य नहीं है, लेकिन नॉन डेयरी कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों के उपयोग या लैक्टेज एंजाइम की खुराक का उपयोग करके लक्षणों से बचा जा सकता है.

डॉ भाटिया भी सहमति जताते हुए कहते हैं:

संदिग्ध लैक्टोज इंटॉलरेंट वाले बच्चों का डायट्री लैक्टोज एलिमिनेशन या फिजिशियन द्वारा निर्धारित अन्य टेस्ट के जरिए मेडिकली मूल्यांकन किया जाना चाहिए. ट्रीटमेंट में लैक्टेज ट्रीटेड डेयरी प्रोडक्ट या ओरल लैक्टेज की खुराक, लैक्टोज युक्त खाद्य पदार्थों की सीमा या डेयरी एलिमिनेशन शामिल है.
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