वर्ल्ड कॉन्ट्रासेप्शन डे (World Contraception Day) हर साल 26 सितंबर को मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मकसद गर्भनिरोधन के तरीकों और सेक्सुअल हेल्थ पर लोगों को जागरूक करना है.
गर्भनिरोध के कई तरीके हैं, जैसे नसबंदी, कंडोम, गर्भनिरोधक गोलियां, इंजेक्शन और IUD.
आइये, वर्ल्ड कॉन्ट्रासेप्शन डे पर आपको बताते हैं भारत में फैमिली प्लानिंग और गर्भनिरोध के उपायों से जुड़ी कुछ खास बातें.
भारत में गर्भनिरोध और परिवार नियोजन को लेकर कितनी जागरुकता है. इस पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वे 2015-16 कराया. जिससे ये बात सामने आई कि 99 फीसदी विवाहित जोड़े गर्भनिरोध का कम से कम एक तरीका जानते हैं.
इसी सर्वे के मुताबिक यौन रूप से सक्रिय अविवाहित महिलाओं में बीते 10 साल में गर्भ निरोधक का इस्तेमाल 2 फीसद से बढ़कर 12 फीसद पर पहुंच गया है.
सर्वे बताता है कि कंडोम का सबसे ज्यादा इस्तेमाल 20-24 साल की अविवाहित महिलाएं करती हैं.
इस सर्वे से ये बात भी सामने आई कि 8 में से 3 पुरुष सोचते हैं कि गर्भ निरोध ‘महिलाओं का काम’ है और पुरुषों को इस पर सिर नहीं खपाना चाहिए.
सर्वे की जरूरी बातें:
गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करने में पंजाब (76%) सबसे आगे है, जबकि मणिपुर, बिहार, मेघालय में (24%) इसका इस्तेमाल काफी कम है.
महिलाएं बड़ी संख्या में मासिक धर्म चक्र पर निगरानी रखने या ‘पुल आउट’ जैसे पारंपरिक गर्भनिरोधक तरीकों का इस्तेमाल करती पाई गईं, जबकि यौन रूप से सक्रिय अविवाहित महिलाओं में आधुनिक गर्भनिरोधक उपाय अधिक लोकप्रिय पाए गए.
25-49 के आयु वर्ग में स्त्री नसबंदी (36%) सबसे स्वीकार्य तरीका था, जिसके बाद कंडोम (5.6%) और गर्भनिरोधक गोली (4.1%) का नंबर आता है. आश्चर्यजनक रूप से इमरजेंसी गर्भनिरोधक गोली का इस्तेमाल 1% से कम महिलाओं द्वारा किया जाता है.
अधिकांश पुरुष और महिलाएं कंडोम की कामयाबी पर यकीन करते हैं, 20% पुरुष सोचते हैं कि ऐसी स्त्री जो गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करती है, उसके एक से अधिक पार्टनर के साथ यौन संबंध रखने की संभावना है.
61% पुरुष समझते हैं कि अगर कंडोम का ठीक से इस्तेमाल किया जाए, तो यह गर्भधारण रोकने में मददगार हो सकता है, जबकि 25% पुरुष मानते हैं कि ये सिर्फ कभी-कभार ही मददगार होते हैं.
सर्वे में यह भी पाया गया कि अमीर महिलाएं (53%) पारंपरिक तरीकों के मुकाबले आधुनिक गर्भनिरोध तरीकों को प्राथमिकता देती हैं.
सर्वे के अनुसार, आधुनिक गर्भनिरोधक उपायों का प्रयोग करने वाले 69% लोगों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा से गर्भनिरोधक उपाय हासिल किए.
प्राइवेट हेल्थ सेक्टर को गोलियों और कंडोम का प्रमुख सप्लायर पाया गया, जबकि सरकारी स्वास्थ्य सेक्टर को आईयूडी और पुरुष व स्त्री बंध्याकरण का प्रमुख सप्लायर पाया गया.
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