ADVERTISEMENTREMOVE AD

अगर ज्यादा जीना चाहते हैं, तो काम से छुट्टी लेना भी सीखें 

यहां तक कि 3 हफ्ते की वार्षिक छुट्टी आपको सेहतमंद रखने के लिए काफी है.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

अगर आप अपनी उम्र बढ़ाना चाहते हैं तो काम और तमाम जिम्मेदारियों से कुछ दिनों की छुट्टी लेना सीख लीजिए. जी हां, ये छुट्टी न सिर्फ आपका तनाव दूर करेगी बल्कि आपकी जिंदगी में कुछ साल और जोड़ देगी. ये बात 40 साल चले एक अध्ययन से सामने आई है.

इस अध्ययन में शामिल शोधकर्ता फिनलैंड के हेलसिंकी विश्वविद्यालय के टिमो स्ट्रैंडबर्ग कहते हैं कि तनाव दूर करने का सबसे अच्छा तरीका छुट्टियां लेना है.

ऐसा न सोचें कि आप छुट्टी लिए बगैर बहुत काम करते हैं तो इसकी भरपाई हेल्दी लाइफस्टाइल अपना के कर सकते हैं. 
टिमो स्ट्रैंडबर्ग, हेलसिंकी विश्वविद्यालय, फिनलैंड

इस स्टडी में 1,222 अधेड़ उम्र के पुरुषों को शामिल किया गया था, जिनका जन्म 1919 और 1934 के बीच हुआ था. इन लोगों को 1974 और 1975 में हेलसिंकी बिजनेसमैन स्टडी में शामिल किया गया. इसमें शामिल लोगों में दिल की बीमारियों से जुड़ा कम से कम एक जोखिम कारक था, जैसे स्मोकिंग, हाई बीपी, हाई कोलेस्ट्रॉल और मोटापा.

इन लोगों को 5 साल के लिए दो समूहों (610-610) इंटरवेंशन ग्रुप और कंट्रोल ग्रुप में बांटा गया था. इंटरवेंशन ग्रुप को हर चार महीने में हेल्दी डाइट, धूम्रपान न करने, एक्सरसाइज से जुड़ी सलाह दी जाती रही और उसका पालन करने के लिए कहा गया. इसके अलावा कई दवाइयां लेने के लिए भी कहा गया, ताकि बीपी नियंत्रित रहे. वहीं कंट्रोल ग्रुप के लोगों ने बिना किसी विशेष सलाह के सामान्य तौर पर स्वास्थ्य टिप्स को अपनाया.

पांच साल बाद ट्रायल के अंत में हर चार महीने पर चिकित्सीय नसीहतों का पालन करने वाले लोगों में दूसरे ग्रुप की तुलना में कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों का खतरा 46 फीसदी कम पाया गया.

हालांकि बाद में साल 2014 तक यानी 40 साल बाद तक नेशनल डेथ रजिस्टर और काम की अवधि, नींद और छुट्टियों जैसे आंकड़ों का अध्ययन करने पर शोधकर्ताओं ने पाया कि 2004 तक विशेष चिकित्सीय हिदायतों का पालन करने वाले लोगों के ग्रुप में मृत्युदर ज्यादा थी. वहीं 2004 से 2014 दोनों ही ग्रुप में मृत्युदर समान रही.

ये पाया गया कि ज्यादा मृत्यु दर का संबंध कम अवधि की छुट्टियां लेने से रहा. इंटरवेशन ग्रुप में 1974 से 2004 तक जिन आदमियों ने तीन हफ्ते या उससे कम की वार्षिक छुट्टी ली, उनकी मौत की आशंका 37 फीसदी ज्यादा थी, उनकी तुलना में जिन्होंने 3 हफ्ते से ज्यादा छुट्टी ली. वहीं कंट्रोल ग्रुप में छुट्टियों के वक्त का जान के खतरे से कोई संबंध नहीं पाया गया. 

प्रोफेसर स्ट्रैंडबर्ग बताते हैं, 'हमारे अध्ययन में कम छुट्टियां लेने वाले आदमियों ने काम ज्यादा किया और लंबी छुट्टियां लेने वालों की तुलना में नींद कम ली. हमें लगता है कि हमारे चिकित्सीय हस्तक्षेप से भी उनकी तनावपूर्ण दिनचर्या पर विपरीत प्रभाव पड़ा.'

ये स्टडी यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी (ESC) में पेश की जा चुकी है, जिसे द जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन, हेल्थ एंड एजिंग में प्रकाशित किया जाएगा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×