ADVERTISEMENTREMOVE AD

फिट वेबकूफ: बांझ नहीं बनाती ये वैक्सीन, चेचक-खसरे से करती है बचाव

डॉक्टरों ने साफ किया है कि चेचक और खसरे से बचाव के लिए MR वैक्सीनेशन जरूरी है.

Updated
फिट
3 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

दावा

एक वायरल मैसेज में दावा किया गया है कि केरल के स्कूलों में मुस्लिम लड़कियों को एक इंजेक्शन लगाया जा रहा है, जिसका साइड इफेक्ट ये है कि उन लड़कियों को कभी औलाद नहीं होगी.

डॉक्टरों ने साफ किया है कि चेचक और खसरे से बचाव के लिए MR वैक्सीनेशन जरूरी है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

फैक्ट चेक

सबसे पहले तस्वीर में दिख रही वैक्सीन की बात. इसमें जो वैक्सीन दिख रही है, वो MR वैक्सीन है, जो मीजल्स-रूबेला से बचाव के लिए लगाई जाती है.

फिट ने पाया कि शेयर की जा रही वैक्सीन की तस्वीर सीरम ग्रुप ऑफ इंडिया की साइट पर मौजूद है, जो एक बड़ी वैक्सीन प्रोडक्शन कंपनी है.

डॉक्टरों ने साफ किया है कि चेचक और खसरे से बचाव के लिए MR वैक्सीनेशन जरूरी है.
0

क्या MR-VAC बांझ बना सकती है?

फिट ने इस सिलसिले में फोर्टिस हॉस्पिटल के पीडियाट्रिक कंसल्टेंट डॉ अंकित प्रसाद से बात की. उन्होंने कहा,

ये एक अफवाह है, जिसका कोई आधार नहीं है. ऐसी कोई स्टडी या रिपोर्ट सामने नहीं आई है, जिसमें MR-VAC और इंफर्टिलिटी के बीच कोई लिंक पाया गया हो. ये वैक्सीन हर बच्चे को लगाने की जरूरत होती है.

डॉ प्रसाद ने बताया कि ये वैक्सीन 15 साल तक के बच्चों को लगाई जाती है और बच्चे की उम्र के मुताबिक वैक्सीन का शेड्यूल फॉलो करना होता है.

गाइडलाइन्स के अनुसार ये वैक्सीन बच्चों को 9वें महीने, 15वें महीने और फिर चार साल पर देना चाहिए. लेकिन अगर किसी बार ये वैक्सीन नहीं लग पाए, तो बच्चे की उम्र 15 साल होने तक ये वैक्सीनेशन कराया जा सकता है.

उन्होंने बताया कि इसके साइड इफेक्ट बहुत दुर्लभ होते हैं और गंभीर नहीं होते. ये वैक्सीन सेफ और असरदार होती है और विकासपीडिया के मुताबिक जो बच्चियां 15 साल की उम्र से पहले मेंस्ट्रुएट करने लगी हों, उन्हें भी वैक्सीन लगाई जा सकती है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

भारत का मिशन वैक्सीनेशन

भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने साल 2017 में मीजल्स-रूबेला वैक्सीनेशन और इम्यूनाइजेशन के लिए नेशनल गाइडलाइन रिलीज की थी.

डॉक्टरों ने साफ किया है कि चेचक और खसरे से बचाव के लिए MR वैक्सीनेशन जरूरी है.

इसमें बताया गया कि 9 महीने से लेकर 15 साल तक के बच्चों को चरणबद्ध तरीके से टीका लगाना चाहिए ताकि वायरस के खिलाफ उनकी इम्यूनिटी बढ़े और मीजल्स-रूबेला का ट्रांसमिशन घटाया जा सके.

MR-VAC सरकारी वैक्सीनेशन मिशन का हिस्सा है और स्कूलों में इसके इम्यूनाइजेशन सेशन कराए जाते हैं. इन चीजों पर हमेशा अफवाहें उड़ाई जाती हैं और ये दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि बच्चों के लिए ये वैक्सीन बहुत जरूरी है.
डॉ प्रसाद

इस वैक्सीनेशन प्रोग्राम का मकसद 2020 तक 41 करोड़ बच्चों का टीकाकरण करना है, ताकि मीजल्स, रूबेला और कंजेनिटल रूबेला सिंड्रोम के प्रसार को कंट्रोल किया जा सके.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

वैक्सीनेशन को लेकर अफवाहें

टीकाकरण को लेकर संदेह, दहशत, गलत जानकारी और अफवाह फैलाया जाना नया नहीं है.

The Conversation की एक रिपोर्ट के मुताबिक वैक्सीन से इंफर्टिलिटी जैसी अफवाह 2003 में नाइजीरिया में भी फैलाई गई थी. इसका नतीजा ये हुआ कि वहां करीब 15 महीनों तक देश के पोलियो वैक्सीनेशन प्रोग्राम का बहिष्कार किया गया. अब हालात ये हैं कि नाइजीरिया अभी भी पोलियो मुक्त नहीं हो सका है.

कुलमिलाकर इस मैसेज में जिस वैक्सीन की फोटो है, वो एक जरूरी वैक्सीन है, जिसका कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं होता और इंफर्टिलिटी वाली बात पूरी तरह से गलत है.

(क्या कोई ऑनलाइन पोस्ट आपको गलत लग रही है और उसकी सच्चाई जानना चाहते हैं? उसकी डिटेल 9910181818 वॉट्सएप पर भेजें या webqoof@thequint.com पर मेल करें. हम उसकी सच्चाई आप तक पहुंचाएंगे.)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×