माइक्रो-वर्कआउट (micro-workout) क्या है और आपको अपने रुटीन में इसे क्यों शामिल करना चाहिए?
वर्कआउट रुटीन को लगातार जारी रखने की सबसे बड़ी मुश्किल में से एक है, इसमें लगने वाला समय और इसके लिए जरूरी समर्पण. अगर आप काम बहुत व्यस्त रहते हैं, तो नींद की जरूरत और जिंदगी की दूसरी जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए फिटनेस रुटीन जारी रखना नामुमकिन-सा हो सकता है.
माइक्रो वर्कआउट की शुरुआत
माइक्रो वर्कआउट तेज एक्टिविटी के छोटे-छोटे टुकड़े हैं, जो दिन के दौरान 2-3 मिनट के छोटे हिस्से में किए जा सकते हैं. छोटे-छोटे कई वर्कआउट या माइक्रो वर्कआउट का सेहत पर बड़ा असर हो सकता है, जिसके बारे में अध्ययन बताते हैं कि इससे दिल (cardiovascular) और सांस के तंत्र (respiratory system) की सेहत बेहतर रखी जा सकती है.
इस गाइड में हम और विस्तार से माइक्रो वर्कआउट के फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं. यह कुछ माइक्रो वर्कआउट एक्सरसाइज के सैंपल हैं, जिन्हें आप रोजमर्रा की जिंदगी में अपना कर माइक्रो वर्कआउट की शुरुआत कर सकते हैं.
माइक्रो वर्कआउट के फायदे
समय
जैसा कि नाम से जाहिर है, माइक्रो वर्कआउट बेहद छोटे होते हैं और 2-6 मिनट में कहीं भी किए जा सकते हैं. इसका मतलब है कि जब आप सुबह की चाय पी रहे हैं, या काम के अपडेट का इंतजार कर रहे हैं, तो आप फटाफट माइक्रो वर्कआउट कर सकते हैं. बहुत कम समय की जरूरत माइक्रो वर्कआउट के सबसे बड़े फायदों में से एक है.
वर्कआउट के लिए समय कम हो तो आप रोजाना 2-3 मिनट का माइक्रो वर्कआउट कर सकते हैं. कसरत के लिए समय नहीं होना कसरत करने में सचमुच एक बहुत बड़ी रुकावट है. माइक्रो वर्कआउट आपको हर दिन बहुत कम वक्त का अधिकतम फायदा देकर इस बहाने को खत्म कर देता है.
2020 के अध्ययन में बताया गया है कि कई माइक्रो वर्कआउट का एकमुश्त असर गतिहीन रुटीन में रहने के मुकाबले आपके हार्ट की सेहत में 43% तक सुधार ला सकता है.
इस प्रक्रिया में इस सोच को बदलना भी शामिल है कि वर्कआउट एक तय लंबाई या “गिनती” या “असरदार होने” के लिए एक तय तरीके से करना होता है.
माइक्रो वर्कआउट कुछ भी न करने से ज्यादा असरदार है. लंबे समय तक बैठे रहने या निष्क्रिय रहने से सेहतमंद इंसान में भी तेजी से इंसुलिन रेजिस्टेंस, अनहेल्दी फैट गेन, बढ़ा हुआ ब्लडप्रेशर और दिल के कामकाज में रुकावट आ सकती है.
पांच मिनट के दो सत्र में कम से कम 10 मिनट की एक्सरसाइज आपकी सेहत पर ऐसे असर को खत्म करने या कम करने में मदद कर सकती है.
माइक्रो वर्कआउट हाई-इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग (HIIT) सिद्धांत की ही तरह काम करती हैं.
इसका मतलब है कि आप कम समय की एक्सरसाइज के लिए ज्यादा ताकत लगाएंगे. हमने पिछली तमाम पोस्ट में HIIT के फायदों के बारे में विस्तार से बताया है.
एक्सरसाइज के छोटे, देर तक कम तेजी वाले वर्कआउट के मुकाबले एकदम तेजी से वर्कआउट हार्ट और रेस्पिरेटरी सिस्टम में सुधार लाती है.
HIIT एक्सरसाइज का पाचन क्रिया पर लंबे समय तक असर रहता है, यह आपके कसरत के 48 घंटे बाद तक आपकी पाचन क्रिया को बढ़ाता है. माइक्रो वर्कआउट की तीव्रता इंटरवल ट्रेनिंग के फायदों को छोटी समय-सीमा में समेट देती है.
चाहे नाश्ते से पहले फटाफट एक सेट स्क्वैट्स एक्सराइज हो, या दोपहर के खाने से पहले एक सेट पुश-अप्स हो, हम पक्के तौर पर मानते हैं कि कुछ एक्टिविटी करना, कुछ भी न करने से बेहतर है.
एक सैंपल माइक्रो वर्कआउट में 20 पुश-अप्स और उसके बाद 10 स्क्वैट्स और 30 सेकंड की जॉगिंग की जा सकती है. वर्कआउट से फायदा हासिल करने के लिए इसे लगातार दो बार किया जा सकता है.
अपने वर्कआउट को छोटा और मजेदार रखने की दूसरी शानदार बात यह है कि आप एक्सरसाइज की कई अलग-अलग शैलियों को आजमा सकते हैं.
आप पुश-अप्स, प्लैंक्स या स्क्वैट्स जैसे बॉडीवेट एक्सरसाइज का विकल्प चुन सकते हैं. या आप डेडलिफ्ट, वेटेड स्क्वैट्स या बेंच प्रेस बारबेल जैसी कोई भी एक्सरसाइज चुन सकते हैं.
छोटे वर्कआउट करने की आजादी आपको एक ही रुटीन के बजाय कहीं ज्यादा विकल्पों को आजमाने का मौका देती है, जिसे आप लंबे वर्कआउट रुटीन के साथ नहीं कर सकते हैं. रचनात्मक बनें!
आप एक दिन एक मिनट की प्लैंक एक्सरसाइज कर सकते हैं और अगले दिन जंपिंग जैक कर सकते हैं. आपके लिए कोई रोक-टोक नहीं है.
रचनात्मक बनें और अपने वर्कआउट का मजा लें. जैसे कि एक माइक्रो वर्कआउट के लिए 1-2 मिनट का प्लैंक करना, और दूसरे के लिए पुशअप्स या स्क्वैट्स करना, और मन कहे तो तीसरे माइक्रो वर्कआउट के लिए स्प्रिंट भी कर सकते हैं.
माइक्रो वर्कआउट्स के पीछे का विज्ञान
जैसा कि हमने शुरू में बताया, माइक्रो वर्कआउट उसी सिद्धांत पर काम करते हैं, जैसे HIIT वर्कआउट. हाई-इंटेसिटी वाली छोटी एक्सरसाइज लंबे समय तक कम-तीव्रता वाली एक्टिविटी के मुकाबले पाचन क्रिया को ज्यादा बेहतर तरीके से संचालित करती है.
सेल मेटाबॉलिज्म जर्नल में प्रकाशित 2017 के एक अध्ययन में बताया गया कि 12 हफ्ते की HIIT उम्र का बढ़ना सेलुलर स्तर पर पलट सकता है. यह इंसुलिन सेंसिटिविटी, कोलेस्ट्रॉल के स्तर और हार्ट की सेहत में भी सुधार करता है.
माइक्रो वर्कआउट के असरदार होने की दूसरी वजह यह है कि वे दूसरे पारंपरिक वर्कआउट की तुलना में बहुत छोटे हैं. और यह पक्का करने के लिए कि आप उन्हें लगातार करते रहें, इनके बारे में बहुत ज्यादा न सोचें.
जितना ज्यादा आप इस बारे में सोचेंगे कि आपको वर्कआउट करना चाहिए, उतना ही ज्यादा समय आप इससे बचने के बहाने बनाने में लगाएंगे. इसके बारे में बहुत ज़्यादा ना सोचें, और कुछ आसान वर्कआउट करें जो आप किसी भी समय कर सकते हैं. हम यहां कुछ ऐसे वर्कआउट की लिस्ट दे रहे हैं जो बहुत असरदार हैं.
कुछ माइक्रो वर्कआउट जो आप आसानी से कर सकते हैं
यहां तीन सैंपल माइक्रो वर्कआउट बताए जा रहे हैं, जो आप कहीं भी कर सकते हैं.
पुशअप-स्क्वैट- 15-20 पुशअप्स के तीन सेट और 10-15 स्क्वैट्स लगातार या जब तक कर सकते हैं.
बर्पीज और लंग्स- 12-15 बर्पीज और 12-15 लंग्स के तीन सेट आपके हैमस्ट्रिंग (घुटने के पीछे की मांशपेशियों) और पिंडली की अच्छी कसरत कर देंगे.
डेढ़ मिनट के लिए प्लैंक करें- जिसने भी प्लैंक किया है वह जानता है कि प्लैंक कितने मिनट चल पाता है (ऐसा लगता है मानो पूरी जिंदगी निकल गई!) डेढ़ मिनट का प्लैंक न केवल आपके शारीरिक बल को मजबूत करेगा, बल्कि आपका पसीना भी निकाल देगा.
इसमें सिर्फ आपकी कल्पना ही सीमा है. जितना मुमकिन हो उतनी ही एक्सरसाइज का लक्ष्य रखें- ऐसे वर्कआउट जो कई मांसपेशियों के लिए फायदेमंद हों, उनका लक्ष्य रखें, और आपकी छोटे एक्सरसाइज के कुछ मिनटों के लिए, उन्हें पूरे दम से करें.
इन्हें आजमाएं और हमें बताएं कि आपका माइक्रो वर्कआउट का अनुभव कैसा रहा.
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