WHO ने सोमवार, 6 जून को कहा कि Monkeypox वायरस के मामले 27 देशों में 780 को पार कर गए हैं, जहां वायरस स्थानिक नहीं है.
WHO के तहत शुक्रवार, 3 जून को 500 से अधिक विशेषज्ञों और 2,000 प्रतिभागियों ने ज्ञान अंतराल (knowledge gap) की पहचान करने और दुनिया भर में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए कार्य योजना तैयार करने के लिए मुलाकात की.
मंकीपॉक्स एक जूनोटिक वायरस है, जो कांगो और पश्चिम और मध्य अफ्रीका के अन्य हिस्सों में पाया जाता है. मंकीपॉक्स का पहला मानव मामला 1970 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के एक बच्चे में पाया गया था.
WHO ने कहा है कि जोखिम और बीमारी फैलने की गंभीरता के आधार पर प्रभावी उपाय उपलब्ध कराए जाने चाहिए.
क्या भारत में मंकीपॉक्स के प्रकोप का खतरा है?
यूपी के गाजियाबाद की 12 साल की एक बच्ची का सैंपल मंकीपॉक्स (Monkeypox) की जांच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (National Institute of Virology, Pune) भेजा गया. गाजियाबाद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने नागरिकों से "घबराहट" से बचने का आग्रह किया और कहा कि यह केवल एक एहतियाती कदम था क्योंकि लड़की चकत्ते से पीड़ित थी.
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि बच्ची के किसी भी करीबी का देश के बाहर यात्रा का इतिहास नहीं है.
राजस्थान में, स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टरों के साथ मंकीपॉक्स के इलाज, लक्षणों की पहचान और सुरक्षा प्रोटोकॉल के लिए दिशा-निर्देश साझा किए.
केंद्र द्वारा तैयार किए गए दिशा-निर्देशों में मंकीपॉक्स के कुछ लक्षणों की सूची है, साथ ही संचरण से बचने के लिए सावधानियां भी हैं.
क्या मंकीपॉक्स का कोई इलाज है?
मंकीपॉक्स चेचक (smallpox) के समान है लेकिन यह कम गंभीर है, इसमें मृत्यु दर 1 से 10 % है.
मंकीपॉक्स का टीका वही है, जो चेचक के लिए लगाया जाता है.
यूएस में हुए मंकीपॉक्स के 21 मामलों के बाद, यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने संक्रमित लोगों के संपर्क में आने वालों के साथ-साथ उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों, जिन्हें टीके की आवश्यकता हो सकती है, को 1,200 चेचक के टीके लगाए.
WHO का कहना है कि मंकीपॉक्स के स्थानिक देशों में आवश्यकता है बेहतर नियंत्रण की, "ताकि बढ़ती बीमारी की घटनाओं से लड़ा जा सके, साथ ही जरूरत है मंकीपॉक्स के स्थानिक देशों और अन्य देशों के शोधकर्ताओं के बीच अधिक सहयोग की - यह सुनिश्चित करेगा कि वैज्ञानिक ज्ञान अधिक तेजी से आगे बढ़े."
संगठन ने यह भी कहा है कि उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में संचरण (transmission) को सीमित करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता होगी.
इनमें शामिल हैं, "रोकथाम की जानकारी का संचार, रोग की निगरानी (surveillance) में बढ़ोतरी, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, संक्रमित लोगों को अलग रखना और वायरस से ग्रसित लोगों की सही तरह से देखभाल करना".
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