WHO ने कहा है कि मंकीपॉक्स प्रकोप के लिए कोविड-19 की तरह बड़े पैमाने पर टीकाकरण की आवश्यकता नहीं होगी और इसे स्वच्छता और सुरक्षित यौन प्रथाओं जैसे सरल उपायों के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है.
संगठन ने सोमवार 23 मई को एक बयान में कहा कि मंकीपॉक्स से बचाव के लिए टीकों और एंटीवायरल उपचार की तत्काल आपूर्ति भी कम है.
यह बयान यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के घोषणा के बावजूद आया जिसमें उन्होंने बताया था कि JYNNEOS टीके जारी किए हैं, जिनका उपयोग चेचक और मंकीपॉक्स को रोकने के लिए किया जाता है.
मंकीपॉक्स की पहचान पहली बार 1958 में जानवरों में हुई थी और यह अफ्रीका के लिए एंडेमिक है.
अमेरिका में मंकीपॉक्स का पहला मामला 18 मई को, एक मैसाचुसेट्स के एक निवासी में देखा गया जो हाल ही में कैनडा से लौटे थे.
सीडीसी (CDC) के अनुसार, अमेरिका में शुरू किए जा रहे टीके का उपयोग 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोग कर सकते हैं, यहां तक कि प्रतिरक्षा की कमी या एचआईवी और डर्मेटाइटिस जैसी प्रीकन्डिशन वाले भी.
ये बस शुरुआत है: WHO
WHO के अनुसार, अमेरिका और यूरोप में जिन लोगों में मंकीपॉक्स देखा जा रहा है उनमें से अधिकांश का अफ्रीका यात्रा का कोई इतिहास नहीं है. जबकि संगठन ने कहा कि वे निश्चित रूप से नहीं जानते कि इस आउटब्रेक का कारण क्या है, उन्होंने कहा है कि अभी तक वायरस के म्यूटेशन का कोई सबूत नहीं मिला है.
यूरोप में WHO की पैथोजन थ्रेट टीम के प्रमुख रिचर्ड पीबॉडी ने कहा कि मंकीपॉक्स एक ऐसा वायरस है, जो आसानी से नहीं फैलता है और ज्यादातर गंभीर बीमारी का कारण भी नहीं बनता है.
फिलहाल, उन्होंने कहा, संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और अलगाव की जरूरत है. संगठन ने कहा कि मंकीपॉक्स के टीके के भी अपने दुष्प्रभाव हैं.
WHO के अनुसार, सभी तो नहीं, लेकिन बड़ी संख्या में मामले उन पुरुषों में देखे जा रहे हैं, जो दूसरे पुरुषों के साथ यौन संबंध रखते हैं. WHO का कहना है कि ये इसलिए भी देखा जा रहा है क्योंकि इस डेमोग्राफिक में नियमित रूप से यौन जांच और चिकित्सा सलाह लेने की अधिक संभावना है.
एक बयान में, पीबॉडी ने लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए सुरक्षित सेक्स प्रथाओं का पालन करने, अच्छी स्वच्छता बनाए रखने और नियमित रूप से हाथ धोते रहने के लिए भी आगाह किया.
संगठन के अनुसार, पार्टियों और अन्य कार्यक्रमों में लोगों के इकट्ठा होना और साथ ही वायरस के फैलने के कारण के बारे में स्पष्टता की कमी, स्थिति को और बढ़ा सकती है और मंकीपॉक्स वायरस और तेजी से फैल सकता है.
इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन अधिक परीक्षण के साथ स्थिति बदल सकती है.
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