एक नई स्टडी कहती है, आनुवांशिक वजहों के अलावा, मां का वजन किशोरवस्था में बच्चों के बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) को सीधे प्रभावित कर सकता है.
अध्ययन में ये पाया गया है कि जिन बच्चों की मां शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं रहती हैं, वो बच्चे ओवरवेट हो सकते हैं. उसी तरह मां का कम वजन भी, उन्हें प्रभावित कर सकता है.
नॉर्वे के ट्रॉन्डेम में नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (NTNU) में डॉक्टरेट छात्र मैरिट नास कहते हैं:
बच्चों की सेहत और जीवनशैली पर माता-पिता का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है. मोटोपे को बढ़ावा देने वाली आदतें मां-बाप से बच्चों में आसानी से ट्रांसफर होती हैं.
अगर मां वजन घटाती है, तो ये बच्चों में कम BMI से जुड़ा हो सकता है.किर्स्टी कल्लोय, रिसर्चर
हालांकि, पिता के वजन कम करने का कोई खास लिंक नहीं पाया गया.
रिसर्चर्स कहते हैं, ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि मां अभी भी वो है जो खास रूप से प्लान बनाने और पकवान तय करने के लिए जिम्मेदार है, हालांकि इस अध्ययन में इन मुद्दों की जांच या इन पर कोई रिसर्च नहीं किया गया है.
अध्ययन के लिए टीम ने 4,424 बच्चों और माता-पिता को शामिल किया. इसके निष्कर्ष बीएमजे ओपन पत्रिका में प्रकाशित हुए. इसके मुताबिक एक औसत स्तर पर उच्च शिक्षा वाले परिवारों में कम शिक्षित लोगों के मुकाबला बीएमआई कम है .
मां के वजन घटाने से उच्च शिक्षा वाले परिवारों में बच्चों के BMI पर अधिक प्रभाव पड़ता है.
मां-बच्चे का जुड़ाव अक्सर मां के वजन कम करने की चाहत के चारों ओर घूमता है. शोधकर्ता कहते हैं कि मां अपने आहार और आदतों में छोटे-छोटे बदलाव करती है, तो इसका असर पूरे परिवार पर पड़ता है.
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