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क्या उम्र बढ़ने के साथ आपको कम नींद की जरूरत होती है?

नींद और बढ़ती उम्र से जुड़े इस मिथ की सच्चाई ये है...

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नींद के बारे में हमने कितनी बातें सुन रखी हैं. जैसे ज्यादा नहीं सोना चाहिए, सुबह जल्दी उठना चाहिए, रात को देर तक नहीं जागना चाहिए वगैरह-वगैरह. इन्हीं बातों में एक बात और कही जाती है. वो बात ये है कि बढ़ती उम्र के साथ नींद कम आती है और आपको कम नींद लेने की जरूरत होती है.

हमारे घरों में इस पर चर्चा भी होती है और ज्यादातर लोग इसे सही मानते हैं. लेकिन अब समय आ गया है कि इस मिथक पर हम ब्रेक लगा दें. सौ बातों की एक बात ये है कि किसी भी वयस्क को रोजाना औसतन 7-8 घंटे नींद की जरूरत होती है.

यूएसए के नेशनल स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक 64 साल की उम्र तक के सभी लोगों को हर रात 7 से 9 घंटे सोना चाहिए. जबकि 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को 7 से 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए.

दिल्ली के अपोलो अस्पताल में सोमनोलॉजिस्ट (निद्रा विज्ञानी) डॉ कंवर इस पर सहमति जताते हुए कहती हैं कि नींद पर अध्ययन की शुरुआत के साथ ही यह एक जगजाहिर तथ्य है.

ऐसे में सवाल ये है कि एक उम्र के बाद लोगों को कम नींद क्यों आती है. इसके कई कारण हैं और उनमें से कोई भी कारण प्राकृतिक नहीं है. अगर आपकी उम्र 18 साल से ज्यादा है और आप तय अवधि से कम सो रहे हैं, तो खुद अपनी नींद कम कर रहे हैं.

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बुढ़ापे में लोग कम क्यों सोते हैं?

उम्र बढ़ने पर नींद में बाधा डालने वाले बुनियादी कारणों में अनिद्रा, स्लीप एपनिया (नींद के दौरान सांस में रुकावट), गठिया, नींद को नियंत्रित करने वाले शरीर के सिर्केडियन रिदम में रुकावट और बार-बार पेशाब आना (अक्सर दवा या अन्य स्वास्थ्य कारणों से) जैसी स्वास्थ्य समस्याएं शामिल हैं.

ये सभी समस्याएं उम्र के साथ बढ़ती जाती हैं. ये ना केवल गहरी नींद में बाधक होते हैं, बल्कि इनके कारण नींद कम भी आती है.

इन सब समस्याओं के कारण बीच-बीच में नींद टूट भी सकती है. तो, सिर्फ मात्रा ही नहीं, गुणवत्ता भी प्रभावित होती है. लोग रात में लगभग पांच घंटे सो सकते हैं और फिर दिन के दौरान काम कर सकते हैं. लेकिन हर किसी को हर रात 7-8 घंटे नींद की जरूरत होती है.
डॉ एमएस कंवर

शरीर भी जल्द ही कम नींद से काम चलाने का आदी हो जाता है, जिसका हो सकता है कोई तत्काल असर न पड़े, लेकिन लंबी अवधि में कमजोरी हो सकती है.

पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. विकास मौर्य इसे लेकर चिंता जाहिर करते हैं. उनका कहना है:

सभी वयस्कों के लिए नींद की अवधि 6-8 घंटे है. इसका ये मतलब भी है कि 80 साल से ऊपर के किसी व्यक्ति का शरीर ठीक से काम करे, इसके लिए छह घंटे की नींद काफी है.

वह यह भी कहते हैं कि कुछ समस्याएं जो लोगों को जगाए रख सकती हैं, उनमें सांस लेने और श्वसन प्रणाली संबंधी समस्याएं, हृदय संबंधी बीमारी, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) और तनाव संबंधी कई बीमारियां शामिल हैं.

नेशनल स्लीप फाउंडेशन, कुछ स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में बताता है, जो नींद में रुकावट डाल सकती हैं:

1. अनिद्रा: यह पुरानी बीमारी हो सकती है और एक महीने की बीमारी भी हो सकती है, या सिर्फ कुछ दिन या हफ्ते तक चलने वाली बीमारी हो सकती है. यह शारीरिक या मानसिक स्थिति के कारण हो सकता है.

2. स्लीप एपनिया: यह ज्यादातर जोरदार खर्राटे के रूप में प्रकट होता है, जैसा कि Obstructive Sleep Apnea (OSA) के मामले में होता है. उच्च रक्तचाप जैसी चिकित्सा स्थितियां इसका कारण बनती हैं.

3. रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (आरएलएस): एक तंत्रिका संबंधी बीमारी, जिसमें पैरों में “तकलीफदेह झुनझुनी, कुलबुलाहट या खिंचाव” होता है, जिसे सनसनी कहा जाता है, और जो पैरों को हिलाते रहने की जरूरत को जन्म देता है. उम्र के साथ यह समस्या बढ़ जाती है.

4. गैस्ट्रोसोफेजियल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी): यह पाचन तंत्र से संबंधित एक समस्या है, जो नींद को और बाधित करती है. इसमें फूड पाइप या एसोफैगस की तरफ स्टमक एसिड या पित्त (जो आमतौर पर भोजन को पचाने में मदद करता है) का प्रवाह प्रभावित होता है, जिससे परेशानी होती है.

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उम्र हो जाने के बावजूद भी आपको अच्छी और गहरी  नींद आ सकती है.
लाइफ स्टाइल में कुछ बदलाव करके आप ज्यादा उम्र के बावजूद बेहतर नींद हासिल कर सकते हैं.
(फोटो: iStock) 

हालांकि इन सभी स्वास्थ्य परिस्थितियों में डॉक्टर से चिकित्सा सहायता की जरूरत होती है, लेकिन निद्रा विशेषज्ञों के अनुसार जीवन शैली में कुछ बदलाव करके भी आप उम्र हो जाने के बावजूद बेहतर नींद ले सकते हैं.

गहरी और अच्छी नींद लाने के उपाय

  • व्यायाम: यह न केवल तनाव को काबू में रखता है, बल्कि शरीर की समग्र कार्यप्रणाली को दुरुस्त रखता है, जिससे नींद की गुणवत्ता में सुधार आता है. यह बिस्तर पर जाते ही गहरी नींद आ जाने के लिए शरीर को थका भी देता है. नींद लाने के लिए दिन के पहले हिस्से में व्यायाम करने का प्रयास करें.
  • कैफीन, एल्कोहल का कहें ना: दिन के दूसरे हिस्से में यानी सोने से लगभग पांच घंटे पहले, इन दोनों चीजों से बचें.
  • स्लीप अलार्म: हर रात एक ही समय बिस्तर पर जाने के लिए खुद को याद दिलाएं. अगर आपको एक निश्चित समय पर बिस्तर पर जाना मुश्किल लगता है तो घड़ी में मॉर्निंग अलार्म की तरह नाइट अलार्म सेट करें. एक बार जब बॉडी क्लॉक नींद की दिनचर्या की आदी हो जाती है, तो नींद की गुणवत्ता में सुधार की संभावना रहती है.
  • झपकियों से बचें: सोने के समय के करीब झपकियां लेने से बचें. अगर आप दिन के दौरान एक झपकी ले भी रहे हैं तो कोशिश होनी चाहिए यह 30-40 मिनट से अधिक न हो.
  • बेचैनी से बचें: सोने के वक्त के करीब जितना संभव हो सके अपने दिमाग को शांत करें, स्क्रीन से बचें और अगर आपको गहरी नींद नहीं आती है, तो बिस्तर पर करवटें बदलने के बजाय, खुद को शांत करने की किसी गतिविधि में शामिल हों. कोई किताब पढ़ें, आराम से संगीत सुनें या एक कप ग्रीन टी लें.

अगर आप पर्याप्त नींद नहीं ले पाते हैं, तो किसी डॉक्टर को दिखाएं.

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