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क्या है नॉर्डिक डाइट, जो डायबिटीज और स्ट्रोक का खतरा घटा सकती है

नॉर्डिक डाइट में शामिल बेरीज में पेड़ से मिलने वाले एंथोसायनिन केमिकल ब्लड प्रेशर को कम करने में मददगार होता है.

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अगर हम किसी डाइट ट्रेंड के मुताबिक अपने खानपान की आदतों को बदलना चाहते हैं, तो हमारे पास विकल्पों की कमी नहीं है, वो चाहे मेडिटेरियन डाइट से लेकर Mind डाइट हो, या आजकल लोगों की पसंद में शामिल हो रही नॉर्डिक डाइट.

आइए जानते हैं कि नॉर्डिक डाइट आपके लिए क्यों है खास.

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नॉर्डिक डाइट है क्या?

अपोलो हॉस्पिटल में चीफ क्लीनिकल डाइटिशियन डॉ प्रियंका रोहतगी बताती हैं:

नॉर्डिक डाइट यानी नॉर्डिक देशों में खाया जाने वाला खाना, जिसमें नॉर्वे, डेनमार्क, स्वीडन, फिनलैंड और आइसलैंड शामिल है. इस डाइट में स्थानीय रूप से मिलने वाले खाने-पीने की चीजों को शामिल किया जाता है.

वो कहती हैं कि जब हम इसकी तुलना एक औसत ‘वेस्टर्न डाइट’  से करते हैं, तो नॉर्डिक डाइट में कम चीनी और कम फैट होता है, लेकिन फाइबर और सीफूड दोगुना होता है. इस तरह से देखा जाए तो यह खाने का एक हेल्दी विकल्प है.

नॉर्डिक डाइट को ईको फ्रेंडली डाइट के तौर पर भी जाना जाता है.

इस डाइट में मूल रूप से राई, जौ और जई जैसे साबुत अनाज शामिल होते हैं. इसके अलावा बेरी और दूसरे फल. सब्जियों में विशेष रूप से गोभी और जड़ वाली सब्जियां जैसे आलू और गाजर. फैटी मछली- जैसे सैमन, सार्डाइन (एक प्रकार की छोटी मछली), मैकेरल छोटी समुद्री मछली, हिलसा मछली और फलिया में सेम और मटर शामिल हैं.
डॉ प्रियंका रोहतगी

नॉर्डिक डाइट की खास बात ये है कि इसमें हाइड्रेशन को अहमियत दी जाती है और रेड मीट, प्रोसेस्ड फूड, एडेड शुगर और रिफाइंड फूड की जगह नहीं है.

‘मेडिटेरियन डाइट’ की तरह है ‘नॉर्डिक डाइट’

डॉ प्रियंका रोहतगी कहती हैं कि ये एक हेल्दी डाइट पैटर्न है, जिसमें मेडिटेरियन डाइट वाले कई तत्व शामिल हैं. मेडिटेरियन डाइट दिल की बीमारियों को रोकने के लिए सबसे अच्छा खाने का पैटर्न माना जाता है. ये पौधों पर आधारित खाने पर भी जोर देता है. दोनों (नॉर्डिक और मेडिटेरियन) डाइट में थोड़ी मात्रा में मछली, अंडे और दूध से बनी चीजें ली जाती हैं, लेकिन इसमें प्रोसेस्ड फूड, मिठाई और रेड मीट को शामिल नहीं किया जाता है.

मेडिटेरियन डाइट में जैतून के तेल का इस्तेमाल करते हैं, जबकि नॉर्डिक डाइट कैनोला और रेपसीड तेल (सफेद सरसों) के उपयोग को बढ़ावा देता है.

क्लीनिक्ल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ रुपाली दत्ता कहती हैं कि मेडिटेरियन डाइट और नॉर्डिक डाइट में फर्क ये है कि मेडिटेरियन डाइट में दालों पर जोर दिया जाता है, जबकि नॉर्डिक डाइट में मछली पर.

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गैर-संक्रामक बीमारियों का खतरा घटा सकती है नॉर्डिक डाइट

रुपाली दत्ता के मुताबिक नॉर्डिक डाइट में कम चीनी और कम फैट शामिल किया जाता है, जिससे कई बीमारियों का खतरा घट सकता है.

डब्ल्यूएचओ के अनुसार नॉर्डिक डाइट क्रोनिक बीमारियों के खतरे कम करती है, न्यूट्रिशनिस्ट इसमें शामिल बहुत सारे फायदेमंद तत्वों को इसकी वजह मानते हैं.

स्वास्थ्य के लिहाज से बात करें तो चूंकि नॉर्डिक डाइट उच्च-गुणवत्ता वाले कार्बोहाइड्रेट पर जोर देता है: अनाज, नट्स, बारली, होल ग्रेन ब्रेड, जौ और राई. अमेरिकी लोग ‘स्वीडिश वसा क्रिस्प ब्रेड’ से परिचित होते हैं, जो ज्यादातर होल ग्रेन से बनाए जाते हैं. डेनमार्क में, रगब्रॉड नाम से एक पॉपुलर ब्रेड है जो कि गहरे रंग की होती है और खट्टी होती है. होल ग्रेन से बने फूड में फाइबर, विटामिन, मिनरल, और एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो दिल को किसी भी तरह की बीमारी से बचाते हैं.
प्रियंका रोहतगी

इस डाइट में नमक और चीनी की मात्रा कम होने की वजह से डब्लयूएचओ इसकी कैंसर, डायबिटीज और दिल से जुड़ी बीमारियों के खतरे को कम करने के गुण की सराहना करता है.

डॉ प्रियंका रोहतगी कहती हैं, ‘बेरिज का बहुत अधिक उपयोग करना नॉर्डिक डाइट का एक और अनूठा पहलू है जो कि हमारे स्वास्थ के लिए बहुत फायदेमंद होता है.’

हार्वर्ड के वैज्ञानिकों की एक रिसर्च के मुताबिक ब्लूबेरी और स्ट्रॉबेरी के अधिक मात्रा में इस्तेमाल से वजन कम होता है और ये दिल का दौरा पड़ने के खतरे को कम करता है. बेरीज पेड़ से मिलने वाले केमिकल एंथोसायनिन का बहुत अच्छा जरिया है. ये ब्लड प्रेशर को कम करते हैं और रक्त वाहिकाओं को अधिक लचीला बनाते हैं.

नॉर्डिक डाइट में मौजूद उच्च-गुणवत्ता वाले कार्बोहाइड्रेट और फाइबर डायबिटीज के खतरे को कम करते हैं, NCBI में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार स्ट्रोक के खतरे को कम करने के इसके फायदों की वजह से इसे अपनाने की सलाह दी जाती है.

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क्यों पॉपुलर हो रही है ‘नॉर्डिक डाइट’?

नॉर्डिक डाइट में मौजूद अनगिनत फायदेमंद तत्व इसे सेहत के लिए बेहतरीन बनाते है, यही वजह है कि लोग इसे अपना रहे हैं.

डॉ प्रियंका रोहतगी कहती हैं:

नॉर्डिक डाइट ईको फ्रेंडली होती है, खाना कम बर्बाद होता है, कोई प्रिजर्वेटिव का इस्तेमाल नहीं होता है, पूरी तरह से हेल्दी होती है और ये बहुत आसानी से फॉलो करने योग्य होती हैं.

रुपाली दत्ता के अनुसार भारत में पारंपरिक खानों की बहुत अहमियत है. नॉर्डिक डाइट में भी जो खानें शामिल हैं, वो पारंपरिक खानों से काफी नजदीक हैं. इसके वजन कम करने के फायदे युवाओं को आकर्षित भी कर रहे हैं. यही वजह है कि भारत में भी नॉर्डिक डाइट का क्रेज बढ़ रहा है.

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