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क्या मोटापे से बढ़ जाता है महिलाओं में एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा?

एंडोमेट्रियल कैंसर गर्भाशय में होने वाला एक प्रकार का कैंसर है.

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56 साल की श्रीमती शेखावत (बदला हुआ नाम) को मेनोपॉज हुए दो साल हो गए थे. लेकिन उसके बाद भी उन्हें वजाइनल ब्लीडिंग होने लगी. चूंकि उनका दो साल पहले ही मेनोपॉज हुआ था, तो उन्हें लगा कि शायद मेनोपॉज की वजह से ऐसा हो रहा है. लेकिन जब ये सिलसिला छह महीने तक चला तो वो डॉक्टर के पास गईं. डॉक्टर के पास वो अकेले गईं, जैसा कि वो हमेशा जाती थीं. डॉक्टर ने जांच कराई तो बताया कि उन्हें एंडोमेट्रियल कैंसर है.

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एंडोमेट्रियल कैंसर गर्भाशय में होने वाला एक प्रकार का कैंसर है. आम तौर पर लोग गर्भाशय में होने वाले कैंसर के बारे में कम जानते हैं.

मैक्स कैंसर डे केयर के निदेशक डॉ हरित चतुर्वेदी कहते हैं कि गर्भाशय में तीन तरह के कैंसर होते हैं.

पहला कैंसर गर्भाशय के अंदर भ्रूण में बनता है, उसे एंडोमेट्रियल कैंसर कहते हैं. दूसरा गर्भाशय के मुंह पर और तीसरा फैलोपियन ट्यूब में होता है.

मैक्स हेल्थ केयर के ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ जुलका के अनुसार भारत में पिछले 10 सालों में एंडोमेट्रियल कैंसर के मामलों में तीन गुना इजाफा हुआ है. जहां दस साल पहले प्रति एक लाख लोगों में 2.8 लोगों को होता था वहीं अब ये बढ़ कर प्रति एक लाख लोगों में 6.7 लोगों को होने लगा है.

एंडोमेट्रियल कैंसर क्या है?

एंडोमेट्रियल कैंसर एक ऐसा कैंसर है, जो गर्भाशय में शुरू होता है. इसीलिए इसको गर्भाशय कैंसर भी कहा जाता है.

डॉ अमीश कहते हैं कि यह तब होता है, जब गर्भाशय में ट्यूमर बन जाता है.

क्या हैं वजहें?

मैक्स कैंसर डे केयर के निदेशक डॉ हरित चतुर्वेदी कहते हैं कि एंडोमेट्रियल कैंसर होने की वजह स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन मोटापा इसके प्रमुख रिस्क फैक्टर्स में से एक है.

उनके अनुसार 30 से अधिक बॉडी मास इंडेक्स वाली महिलाओं में एंडोमेट्रियल कैंसर होने की आशंका मेनोपॉज के पहले या बाद में रहती है.

NCBI की एक रिपोर्ट के मुताबिक औरतों में होने वाले दूसरे कैंसर की तुलना में एंडोमेट्रियल कैंसर का सीधा संबंध मोटापे से है.

वेबमेड के अनुसार एंडोमेट्रियल कैसर के रिस्क फैक्टर कुछ इस प्रकार हैं.

  • अगर पहला पीरियड तय उम्र से पहले हुआ हो
  • मेनोपॉज देर से हुआ हो
  • मोटापा
  • डायबिटीज और ब्लड प्रेशर
  • कम बच्चे या बच्चे ना हों
  • बांझपन का इतिहास रहा हो
  • परिवार में किसी को एंडोमेट्रियल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर या कोलोरेक्टल कैंसर रहा हो
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एंड्रोमेट्रियल कैंसर और मोटापा

डॉ अमीश कहते हैं कि महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन पाया जाता है, लेकिन जब मोटापा होता है तो एस्ट्रोजन और तेजी से बनने लगता है.

डॉ अमीश कहते हैं कि शरीर में जितना अधिक फैट होगा, उतना अधिक एस्ट्रोजन होगा और एस्ट्रोजन की अधिकता कैंसर की वजह बन जाती है.

एंडोमेट्रियल कैंसर का संबंध लाइफस्टाइल से है. शरीर में फैट का मुख्य कारण अनहेल्दी लाइफ स्टाइल है. शरीर में होने वाला हार्मोन का असंतुलन एंडोमेट्रियल कैंसर की एक बड़ी वजह बन जाता है.
डॉ अमीश
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क्या होते हैं लक्षण?

दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल की एसोसिएट कंसल्टेंट डॉ कनिका बत्रा कहती हैं कि इस कैंसर का मुख्य लक्षण यही है कि प्रीमेनोपॉज और मेनोपॉज के बाद अधिक वजाइनल ब्लीडिंग होती है. डॉ बत्रा के अनुसार आजकल लाइफस्टाइल में बदलाव की वजह से ये कम उम्र में होने लगा है.
अगर कम उम्र में ये कैंसर होता है, तो इसका लक्षण ये होगा कि पीरियड्स के बाद भी हेवी ब्लीडिंग होगी.
डॉ हरित चतुर्वेदी

वेबमेड के अनुसार एंडोमेट्रियल कैंसर के लक्षण ये हैं:

  • वजाइना (योनी) से पानी की तरह, लाल रंग का, मटमैला बदबुदार डिस्चार्ज
  • पेशाब करने के दौरान दर्द
  • गर्भाशय के साइज में बढ़ोतरी, जिसका पता जांच के बाद चलता है.
  • संभोग के दौरान दर्द होना
  • तेजी से वजन कम होना
  • कमजोरी लगना और पेड़ू में दर्द होना

वेबमेड के अनुसार ये सारे लक्षण तब होते हैं, जब कैंसर शरीर के दूसरे हिस्सों में फैल जाता है. डॉक्टरों का कहना है कि इसके शुरुआती लक्षण वजाइनल ब्लीडिंग ही है.

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कैसे पता लगाते हैं?

डॉक्टर हरित कहते हैं कि इसका पता लगाने के लिए गर्भाशय का बायोपसी और हिस्ट्रोस्कोपी कराते हैं. अगर परिणाम पॉजिटिव रहता है, तो उसके बाद ही आगे का टेस्ट होता है.

इलाज

डॉक्टर हरित कहते हैं कि इसका इलाज सिर्फ सर्जरी है. वो कहते हैं कि पहले सिर्फ ओपन सर्जरी थी, लेकिन जैसे-जैसे साइंस ने तरक्की की है सर्जरी के बेहतर और आरामदेह उपाय सामने आते गए हैं.

इससे बचने के लिए क्या करें?

ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ जुल्का कहते हैं कि एंडोमेट्रियल कैंसर से बचने के लिए जरूरी है कि महिलाएं अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करें, शारीरिक रूप से सक्रिय रहें और व्यायाम करें.

एंडोमेट्रियल कैंसर से उबर चुकीं श्रीमती शेखावत कहती हैं कि औरतों को लापरवाही नहीं करनी चाहिए. वो कहती हैं कि छोटी सी बीमारी को भी हम अपनी लापरवाही की वजह से बड़ा बना देते हैं. इसलिए सेहत में किसी भी तरह का बदलाव होने पर डॉक्टर को जरूर दिखाएं.

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