देश की राजधानी दिल्ली में की गई एक रिसर्च में 9 प्रतिशत लोग हड्डियों की 'खामोश बीमारी' के नाम से कुख्यात ऑस्टियोपोरोसिस से और 60 प्रतिशत लोग ओस्टियोपोरोसिस से पहले की स्थिति ऑस्टियोपेनिया से पीड़ित पाए गए.
नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के ऑर्थोपेडिक विभाग की ओर से ऑर्थराइटिस केयर फाउंडेशन (एसीएफ) के सहयोग से एक स्टडी की गई है. इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईजेएमआर) के लेटेस्ट मार्च (2018) एडिशन में इस बारे में रिपोर्ट छपी है. इसके मुताबिक, भारत में शहरी इलाके के लोगों में ऑस्टियोपोरोसिस के कारण होने वाले फ्रैक्चर के जोखिम को लेकर देश की राजधानी में रिसर्च में पाया गया कि शहरों में रहने वाले लोगों में ऑस्टियोपोरोसिस की दर ज्यादा है.
ऑर्थराइटिस केयर फाउंडेशन (एसीएफ) के सहयोग से इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के ऑर्थोपेडिक विभाग की ओर से 38 से 68 साल के पुरुषों और महिलाओं पर किये इस रिसर्च से पता चला है कि करीब 9 प्रतिशत लोग ऑस्टियोपोरोसिस से और 60 प्रतिशत लोग ऑस्टियोपेनिया से पीड़ित हैं.
ऑस्टियोपेनिया और ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों की बीमारी है. ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियां इतनी कमजोर और भंगुर हो जाती हैं कि गिरने से झुकने या छींकने-खांसने पर भी हड्डियों में फ्रैक्चर हो सकता है. ऑस्टियोपोरोसिस के कारण होने वाले फ्रैक्चर सबसे ज्यादा कुल्हे कलाई या रीढ़ की हड्डी में सबसे ज्यादा होते हैं.
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ऑस्टियोपोरोसिस को 'खामोश बीमारी' भी कहा जाता है, क्योंकि इस बीमारी में जब तक फ्रैक्चर नहीं होता है, तब तक इसका पता नहीं चलता है.
ऑस्टियोपोरोसिस के कारण दुनियाभर में हर साल लगभग 90 लाख फ्रैक्चर होते हैं. ओस्टियोपोरोसिस की पूर्व स्थिति को ऑस्टियोपेनिया कहा जाता है, जिसमें हड्डियां कमजोर हो जाती हैं लेकिन यह ऑस्टियोपोरोसिस जितनी गंभीर नहीं होती है.
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की ओर से प्रकाशित होने वाले आईजेएमआर के लेटेस्ट मार्च (2018) एडिशन में छपी इस रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, यह सर्वे नई दिल्ली में सुखदेव विहार, सरिता विहार, कालकाजी, ईस्ट ऑफ कैलाश और मयूर विहार जैसे इलाकों में रहने वाले लोगों के बीच किया गया.
यह सर्वे नई दिल्ली एक ऑर्गनाइजेशन ऑर्थराइटिस केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष और इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, नई दिल्ली के सीनियर ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. (प्रोफेसर) राजू वैश्य के मार्गदर्शन में डॉ. विपुल विजयए डॉ. अमित के. अग्रवाल और डॉ. प्रशांत माहेश्वरी ने किया.
डॉ. राजू वैश्य के अनुसार, इस रिसर्च में शहरी आबादी में ऑस्टियोपेनिया और ऑस्टियोपोरोसिस के मामले बहुत ज्यादा पाए गए. इस मौजूदा अध्ययन में सेक्स, माता-पिता में फ्रैक्चर की हिस्ट्री और सेकंडरी ऑस्टियोपोरोसिस में महत्वपूर्ण संबंध पाया गया, जबकि अल्कोहल और स्टेरॉयड सेवन का कम टी-स्कोर के साथ काफी महत्वपूर्ण संबंध नहीं पाया गया.
डॉ. राजू वैश्य ने कहा कि इस रिसर्च के तहत ऑस्टियोपोरोसिस के खतरा वाले लोगों की पहचान की गई. अच्छी बात यह है कि उचित इलाज से ऑस्टियोपोरोसिस फ्रैक्चर के कारण लंबे समय तक होने वाली मार्बिडिटी को रोका जा सकता है.
लेकिन दुर्भाग्य से अधिकतर लोगों को ऑस्टियोपोरोसिस से संबंधित गंभीर जटिलताओं के बारे में काफी हद तक जानकारी नहीं है. यहां तक कि बड़े पैमाने पर क्रॉस सेक्शनल स्टेडी के अभाव में ए हिप फ्रैक्चर (एचएफ) सामान्य माना जाता है लेकिन अब ओस्टियोपोरोटिस एचएफ के मामले कम उम्र (लगभग 50-60 साल की उम्र) में भी होने लगे हैं.
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