ADVERTISEMENTREMOVE AD

परवरिश: क्या करें कि बच्चा हिंसक ना हो?

क्या आप जानते हैं बच्चे आपसे क्या सिखते हैं?

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

हम सब अपनी जिंदगी में ऐसे शख्स से कभी न कभी जरूर टकराते हैं, जो दबंग होता है. खुश मत होइए यह दबंग सलमान खान जैसा दबंग नहीं, बल्कि यह वह दबंग है, जिसे हम बुली कहते हैं. बुली यानी डराने-धमकाने वाला, धौंस जमाने वाला या दादागिरी करने वाला.

ये दबंग हमेशा अपने से कमजोर को तलाशता है और फिर उस पर अपनी धौंस जमाता है. और जनाब, कोई अचानक से दबंग नहीं बनता बल्कि बच्चों की परवरिश में की गई कुछ लापरवाही होती है, जो उन्हें बिगाड़ देती हैं या झगड़ालु बना देती है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बच्चों में बढ़ रही हिंसा को लेकर काफी बातचीत होती रही है. आपको ताज्जुब करने की जरूरत नहीं कि बच्चे भी दबंग और हिंसक हो सकते हैं. जहां हम सब इस बात को लेकर परेशान हो रहे हैं कि बच्चों में बढ़ रही इस हिंसक सोच को रोकना चाहिए, वहां हमें सबसे पहले इस सवाल का जवाब ढूंढना चाहिए कि इसे कैसा रोका जाए.

माता-पिता होने के नाते हम अपने बच्चों को समझा सकते हैं, उनकी परवरिश इस तरह कर सकते हैं कि ये दुनिया रहने के लिए एक बेहतर जगह बन सके. और दूसरों के प्रति बेरहमी न बरती जाए. हमारी कोशिश होनी चाहिए कि बच्चे सुलझा हुआ समझदार रास्ता अपनाएं, ताकि वो एक बेहतर इंसान बन सकें.

आइए जानते हैं, कुछ तरीके जिनसे बच्चे सहनशील बन सकते हैं.

बच्चों को जागरूक करें

सबसे पहले हमें अपने बच्चों को ये बताना होगा कि वो अपने आसपास होने वाली हिंसा को समझें और अगर उन्हें ऐसा कुछ दिखता है, तो सबसे पहले अपने माता-पिता को ये बात बताएं.

अक्सर बच्चे इस तरह की बात अपने घर में नहीं बताते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि बताने से भी कुछ नहीं होगा.

आप ऐसा नहीं होने दें. दादागिरी करने वाले दबंग बच्चे को लगता है कि वो जिसको भी तंग करता है या मारपीट करता है, वो बच्चा अपने माता-पिता को कभी बताएगा ही नहीं कि वो किस तरह की परेशानी झेलता है.

आप अपने बच्चों को ये जरूर समझाएं कि उसके साथ कुछ भी गलत हो, तो वो सबसे पहले अपने घर वालों को इसकी जानकारी दे. बच्चों को आप कभी ये एहसास न दिलाएं कि वो डरपोक हैं, बल्कि आप उनकी हिम्मत बढ़ाएं कि वो सबकुछ सच-सच बताएं.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

हमदर्दी जताएं

बच्चों के साथ हमदर्दी जताएं और इसकी शुरुआत आप से होनी चाहिए. अगर आपको बच्चों की परेशानी की जानकारी है और आप उनका पूरा समर्थन करते हैं, तो न केवल बच्चे खुद को मजबूत समझते हैं बल्कि दूसरों की तरफ भी उनका रवैया बदलता है.

आप बच्चों को ये सिखाएं कि वो दूसरों की परेशानी को महसूस कर सकें. इससे उन्हें समझदार रास्ता अपनाने में मदद मिलेगी.

अगर आप बच्चों के साथ कोई फिल्म देख रहे हैं, तो आप बच्चों से पूछ सकते हैं कि इस फिल्म में हीरो क्या महसूस कर रहा है. हालात को और बेहतर बनाने के लिए क्या करना चाहिए.

आप बच्चों से सही जवाब की उम्मीद नहीं करें बल्कि इसी बहाने आप उनमें हमदर्दी के एहसास को जगा सकते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बच्चों में हिम्मत पैदा करें

दबंगई करने वाला बच्चा हमेशा ऐसे बच्चों को निशाना बनाता है, जो बच्चे पलटकर उसका मुकाबला नहीं करते या जवाब नहीं देते. लेकिन इससे पीड़ित बच्चों पर बहुत बुरा असर पड़ता है. वे खुद को कमजोर और अकेला महसूस करने लगते हैं.

कमजोर बच्चों में हिम्मत पैदा करने से दबंग बच्चों की भी हिम्मत पस्त हो जाती है. बच्चों में हिम्मत पैदा करने का मतलब यह नहीं कि आप उन्हें बात को तूल देना सिखा रहे हैं बल्कि आप उन्हें हालात को संभालना बता रहे हैं.

जब आप बच्चे को बगैर डरे और गुस्सा किए हिम्मत रखना सिखाते हैं, इसका मतलब आप उस वक्त उसे आत्मविश्वास से काम लेना बता रहे हैं. इसकी उम्मीद किए बगैर कि इससे दबंग को पीछे हटाना है या दबंग कमजोर पड़के चुप हो जाएगा.

अगर आप बच्चों को ये सिखाते हैं कि उन्हें पलटकर जवाब नहीं देना चाहिए, तो इससे उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है और झगड़ालु बच्चा भी दोबारा ऐसा नहीं करता, जिससे बात आगे नहीं बढ़ती और पीड़ित बच्चे भी झगड़े का रास्ता अपनाने से बच जाते हैं.

माता-पिता होने के नाते यह आपकी जिम्मेदारी है कि बच्चों को यह बताएं, झगड़ा हर मसले का हल नहीं हो सकता. 
ADVERTISEMENTREMOVE AD

मतभेदों का सम्मान करें

अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा अच्छा व्यवहार करे, तो आपको भी एक-दूसरे के साथ अच्छा बर्ताव करना होगा. अगर पति-पत्नी की लड़ाई भी हो, तो आपको चाहिए कि आप बच्चों के सामने नहीं बल्कि रूम के अंदर जाकर बातचीत करें.

इससे आपके बच्चों को ये समझने में आसानी होगी कि दो लोगों के बीच मतभेद होना बहुत आम सी बात है और उन्हें आसानी से बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता है. अगर कभी किसी बात पर एक राय नहीं भी बने, तब भी एक दूसरे की इज्जत की जा सकती है.

शब्दों का चयन बहुत ही संभल कर करें खासकर किसी धर्म, जाति, ज़ुबान और जगह के बारे में सम्मान के साथ बात करें. ये सब बच्चे आप ही से सीखते हैं. इसलिए आपको इसकी मिसाल कायम करनी होगी.

ये ना भूलें कि बच्चा आपसे ही सीखता है, इसलिए आपको अपनी बातचीत का तरीका बदलना होगा.

आप जिनसे मिलें विनम्रता और प्यार के साथ मिलें, ताकि आपके बच्चों को प्यार और सद्भाव की अहमियत समझ में आए.
ये बात सही है कि बच्चों में भी हिंसक सोच बढ़ रही है.

बच्चों में हिंसक सोच का बढ़ना चिंता का विषय है, लेकिन ऐसे बहुत से तरीके हैं जिनकी मदद से बच्चों को हिंसक ना बनने में मदद की जा सकती है.

बच्चों को गुस्से पर काबू करना सिखाएं. उन्हें दूसरों के साथ हमदर्दी करना सिखाएं. सुलह-सफाई से मसलों को हल करना सिखाएं.

बच्चों को बेहतर इंसान बनाने के लिए सबसे जरूरी है कि उन्हें हिंसा से दूर रहना सिखाया जाए.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्रतिभा ने अपना जीवन बहुत ही आदर्शों में बिताया है. आजकल सोशल मीडिया पर जादू बिखेर रही हैं. उनके ब्लॉग को www.pratsmusings.com पर पढ़ सकते हैं या उन्हें ट्विटर @myepica पर फॉलो भी कर सकते हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×