300 से ज्यादा फिल्मों में अपनी अदाकारी का लोहा मनवा चुके कादर खान का 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वो कनाडा के एक हॉस्पिटल में एडमिट थे. सांस लेने में तकलीफ बढ़ने पर उन्हें BiPAP वेंटिलेटर पर रखा गया था.
SpotboyE की रिपोर्ट के मुताबिक वे बेहद कम समय के लिए होश में आ रहे थे. लेकिन उन्होंने बात करना करीब-करीब बंद ही कर दिया था. उनकी इस हालत की वजह प्रोग्रेसिव सुप्रान्यूक्लियर पाल्सी (PSP) बताया गया था.
क्या है प्रोग्रेसिव सुप्रान्यूक्लियर पाल्सी?
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक, यूएस के मुताबिक ये दिमाग की एक दुर्लभ बीमारी है, जिसका असर चलने-फिरने, बैलेंस बनाने, बोलने, निगलने, देखने, सोचने, मूड और बर्ताव पर पड़ता है. ये बीमारी दिमाग की कोशिकाएं नष्ट होने से होती है. अक्सर इस बीमारी को पार्किंसन या अल्जाइमर समझ लिया जाता है.
दुनिया भर में एक लाख लोगों में से करीब 3 से 6 लोगों को ये बीमारी होती है.
अगर आप इसके नाम पर ध्यान दें, तो प्रोगेसिव का मतलब है कि वक्त के साथ ये बीमारी बढ़ती जाएगी और मरीज को कमजोर बना देगी.
लक्षण
इसके लक्षण हर व्यक्ति में बहुत अलग होते हैं, शुरुआती लक्षण में आमतौर पर चलने-फिरने में बैलेंस न बना पाना और गिर जाना शामिल है.
जैसे-जैसे ये बीमारी बढ़ती जाती है, मरीज को धुंधला दिखाई देने लगता है और आंखों की मूवमेंट पर कंट्रोल नहीं रह पाता है.
औसतन पीएसपी के लक्षण 60 की उम्र के बाद ही दिखाई देते हैं, लेकिन कुछ मामले मिडिल एज के भी होते हैं.
इलाज
भले ही Tau प्रोटीन या टी प्रोटीन का संबंध पीएसपी और इस तरह के दूसरे डिसऑर्डर से पाया गया है, फिर भी वैज्ञानिक इस बीमारी के होने और इसके लक्षण को ठीक तरीके से समझ नहीं पाए हैं.
फिलहाल PSP का कोई असरदार इलाज मौजूद नहीं है, लेकिन कुछ लक्षणों को दवाइयों या दूसरे इलाज से नियंत्रित करने की कोशिश की जाती है.
इससे पहले साल 2017 में सरफराज खान ने SpotboyE को बताया था कि उनके पिता कादर खान को चलने में दिक्कत हो रही थी. यहां तक की घुटनों के सफल ऑपरेशन के बाद भी फायदा नहीं हुआ था.
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