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क्या है रूमेटाइड अर्थराइटिस? जानिए इसके लक्षण, कारण और इलाज 

एक अनुमान के मुताबिक 70 लाख भारतीय रूमेटाइड अर्थराइटिस से प्रभावित हैं.

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जब हम अर्थराइटिस या गठिया की बात करते हैं, तो ज्यादातर लोगों के दिमाग में जोड़ों के दर्द के साथ अपने बुजुर्ग रिश्तेदारों की तस्वीर उभरने लगती है. ऐसे बुजुर्ग जो बहुत अधिक नहीं घूम सकते हैं और अधिकतर अपने घरों या अपनी पसंदीदा कुर्सी तक ही सीमित रहते हैं. लेकिन अर्थराइटिस निश्चित रूप से एक ‘बुजुर्गों’ की स्थिति नहीं है.

वास्तव में, कुछ प्रकार के अर्थराइटिस हैं, जो युवा और मध्यम आयु वर्ग के लोगों में दिखाई देते हैं और इसका एक उदाहरण रूमेटाइड अर्थराइटिस (आरए) है.

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रूमेटाइड अर्थराइटिस क्या है?

रूमेटाइड अर्थराइटिस (RA) एक क्रोनिक, ऑटोइम्यून, इंफ्लेमेशन वाली स्थिति है, जिसमें व्यक्ति की अपनी प्रतिरक्षा कोशिकाएं (immune cells) जोड़ों के आसपास की झिल्ली (membrane) पर अटैक करती हैं. ये सूजन और दर्द का कारण बनता है. ये प्रोटेक्टिव कार्टिलेज को भी नष्ट कर देता है और इसके परिणामस्वरूप हड्डियां कमजोर होने लगती हैं. कार्टिलेज से आशय लचीले कनेक्टिव टिश्यूज से है, जो शरीर के विभिन्न हिस्सों में मौजूद रहते हैं. इनका मुख्य काम हड्डियों को आपस में जोड़ना है.

समय के साथ, हड्डियों को आपस में जोड़ने वाले लिगामेंट्स कमजोर हो जाते हैं. ऐसे में हड्डी अपनी जगह से हट जाती है और विकृत भी हो सकती है.

रूमेटाइड अर्थराइटिस (RA) आमतौर पर पहले हाथ और पैर में छोटे जॉइंट्स को प्रभावित करता है. ये बाद में कलाई, कोहनी, टखनों, घुटनों, कूल्हों और कंधों तक फैल सकता है. यहां तक कि शरीर के दूसरे हिस्सों जैसे आंखें, हृदय, फेफड़े और रक्त वाहिकाओं को भी प्रभावित कर सकता है.

रूमेटाइड अर्थराइटिस: लक्षण और निदान

इसके लक्षण आमतौर पर 40 से 60 साल की उम्र के बीच शुरू होते हैं.

जोड़ों में गर्मी महसूस होती है, ये लाल दिखाई देते हैं और सूजन लगता है. कुछ समय आराम के बाद मरीज की हड्डियों में जकड़न और दर्द असहनीय हो जाता है.

वैकल्पिक अवधि में इस बीमारी के लक्षण आते-जाते रहते हैं. बीच-बीच में इससे संबंधित लक्षणों से राहत मिलती रहती है. इसलिए बीमारी का पता लगाना मुश्किल हो जाता है.

ब्लड टेस्ट के जरिए इस बीमारी का पता लगाया जाता है. इसमें सामान्य एरिथ्रोसाइट सेडिमेंटेशन रेट (ईएसआर), एंटी-साइक्लिक सिट्रूलेटेड पेप्टाइड (एंटी-सीसीपी) एंटीबॉडी लेवल या सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) के स्तर की जांच की जाती है. एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) की मदद से भी इस बीमारी का पता लगाया जाता है.

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रूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण

हमें अभी तक नहीं पता है कि शरीर की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली के खुद पर हमला करने का क्या कारण है. ये संभावना है कि इसमें जीन एक भूमिका निभाते हैं और किसी व्यक्ति को स्थिति के प्रति अधिक संवेदनशील बनाते हैं.

पुरुषों की तुलना में महिलाओं में आरए विकसित होने की अधिक आशंका है. धूम्रपान करना; एस्बेस्टोस या सिलिका के संपर्क में आना; हर्पिक्स सिंप्लेक्स वायरस, साइटोमेगालो वायरस और एपस्टीन-बार वायरस के साथ वायरल संक्रमण और मोटापा कुछ अन्य जोखिम कारक हैं.

हालांकि, हम अभी भी आरए के लिए एक प्रभावी इलाज की खोज कर रहे हैं. हम अब जानते हैं कि अगर किसी व्यक्ति का रोग-प्रतिरोधी एंटीह्यूमेटिक ड्रग्स (डीएमएआरडी) के जरिए इलाज किया जाता है, तो इसके लक्षण होने की आशंका अधिक है. बेशक, बीमारी की गंभीरता और अवधि के आधार पर, रोगी का डॉक्टर ही बेहतर इलाज के बारे में बता सकता है.

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भारत में रूमेटाइड अर्थराइटिस के मरीज

वर्तमान में, एक अनुमान के मुताबिक 70 लाख भारतीय रूमेटाइड अर्थराइटिस (आरए) से प्रभावित हैं.

उनके लिए, आरए उनके जीवन के कई पहलुओं को प्रभावित कर सकता है. सुबह का दर्द और जकड़न उनके दिन को समय पर शुरू करना मुश्किल बना सकता है. किसी ‘बुरे दिन’ में जब दर्द तेज हो, तो साधारण काम जैसे सब्जियां काटना, बर्तन धोना, टूथपेस्ट को टूथब्रश पर लगाना या बोतल खोलना मुश्किल लग सकता है.

ये बीमारी वर्किंग लाइफ को प्रभावित कर सकती है. व्यक्ति के करियर की प्रोग्रेस को धीमा कर सकती है या उसे समय से पहले रिटायरमेंट को मजबूर कर सकती है.

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आरए अक्सर जीवन के महत्वपूर्ण पारिवारिक और सामाजिक पहलुओं पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. रोगियों को भावनात्मक रूप से प्रभावित करने के साथ ही बहुत अधिक मानसिक तनाव पैदा कर सकता है. कुछ रोगी जो सुई से डरते हैं, उनके लिए नियमित इलाज के लिए दिया जाने वाला इंजेक्शन भी तनाव का कारण बन सकता है.

क्या रूमेटाइड अर्थराइटिस का इलाज है?

शुक्र है, हमारे पास आज प्रभावी इलाज का विकल्प उपलब्ध है, जो इंजेक्शन की बजाए खाने वाली दवाओं के रूप में मौजूद है. आरए के मरीजों को अपनी प्रोग्रेस की निगरानी के लिए नियमित रूप से अपने डॉक्टर से जांच करानी चाहिए और मूल्यांकन करना चाहिए कि इलाज कितना अच्छा काम कर रहा है.

प्रभावी इलाज केवल तभी संभव है, जब रोगी अपने लक्षणों को मैनेज करना सीखे, निर्धारित इलाज का पालन करें और अपने डॉक्टरों के साथ खुलकर बातचीत करे.

(डॉ पीडी रथ, मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल, साकेत, मैक्स मल्टी स्पेशिएलिटी सेंटर में रूमेटोलॉजी के एसोसिएट डायरेक्टर और हेड हैं. )

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