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Salt: अगर इंसानों की नमक तक पहुंच नहीं होती, तो दुनिया कैसे बदल जाती?

नमक सिर्फ एक मसाला नहीं है. इस लेख में हम यह जानेंगे कि यह आज के दौर में जिंदगी पर कैसे असर डाल रहा है.

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नमक, यह एक ऐसा फ्लेवर है, जिसे हम अपने खाने और रोजमर्रा की जिंदगी में सहज रूप से लेते हैं. आपके खाने में नमक है और आपके ड्रिंक में नमक है, और बिना नमक के आपकी हालत खराब हो जाती है.

लेकिन तब क्या होगा, अगर पूरी धरती से नमक गायब हो जाए? नमक हमारी जिंदगी में क्या भूमिका निभाता है? और अगर खाने के लिए नमक न मिले तो क्या इंसान जिंदा रह सकता है?

आइए पता लगाते हैं.

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नमक के बारे में हमारी तीन-किस्तों की सीरीज का यह दूसरा हिस्सा है. हम आपको पहले बता चुके हैं कि नमक कैसे दुनिया का सबसे असरदार सफेद पाउडर बन गया, और इसने कैसे युद्धों, अर्थव्यवस्थाओं और अरबों इंसानों की जिंदगी को आकार दिया.

हमारी जिंदगी में नमक की भूमिका को समझने के लिए, हमें इसे कई स्तर पर समझने की जरूरत है- इसका इंसानी पहलू, औद्योगिक पहलू और जायके का पहलू.

नमक - औद्योगिक पहलू

हम आपको पहले ही विस्तार से बता चुके हैं कि कैसे ऐतिहासिक रूप से नमक का इस्तेमाल भुगतान के लिए किया जाता था, और कैसे इसके प्रिजर्वेटिव गुणों ने इसे दुनिया भर में इंसानों के लिए एक जरूरी संसाधन बना दिया.

सीधे आज के दौर में चलते हैं, जहां नमक हजारों औद्योगिक प्रक्रियाओं का हिस्सा है, जिसे हम सहज रूप से लेते हैं. दुनिया भर में साल 2020 में नमक उद्योग 28.5 अरब अमरीकी डालर का होने का अनुमान है, जो 2026 तक 32 अरब डॉलर का उद्योग बन जाएगा.

लेकिन ब्रिटेन के नमक पर एकाधिकार के समय से जो एक बड़ा बदलाव हुआ है, वह यह है कि इंसान यह महसूस कर रहा है कि नमक एक जरूरी चीज है और ऐसी कोई चीज नहीं है जिसे युद्धों, अर्थव्यवस्थाओं और लाखों लोगों की जिंदगी को प्रभावित करने के लिए सौदेबाजी करने या बातचीत में मोलभाव में इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

आज के समय में उद्योगों में इनमें से कुछ कामों के लिए नमक का इस्तेमाल किया जाता है:

  • डिब्बाबंद फूड्स का प्रिजर्वेटिव और फूड्स की शेल्फ लाइफ को बढ़ाना

  • मीट इंडस्ट्री में नमक का इस्तेमाल न केवल प्रिजर्व करने के लिए किया जाता है, बल्कि कच्चे मीट को गलाने, सॉसेज और सलामी जैसे प्रोसेस्डमीट प्रोडक्ट की पानी-सोखने की क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ चिकन नगेट्स, चिकन फिंगर्स, बर्गर पैटीज़ और बहुत सारे प्रोसेस्ड मीट प्रोडक्टके लिए एक बेहतर बाइंडिंग एजेंट बनाने के लिए भी किया जाता है

इसलिए, जबकि नमक उद्योग अकेले लगभग 30 अरब अमेरिकी डॉलर का है, प्रोसेस्ड मीट उद्योग का कारोबार 520 अरब डालर से ज्यादा है. यह 2027 तक बढ़कर 825 अरब अमेरिकी डॉलर से ज्यादा हो जाने की उम्मीद है.
  • ब्रेड और बेकिंग उद्योग भी कामकाज के लिए नमक पर बहुत ज्यादा निर्भर करता है.

  • नमक ग्लूटेन (gluten) बनाता है, जो कि ब्रेड में जरूरी बाइंडिंग एजेंट बनाता है, इसे कम चिपचिपापन और ज्यादा टिकाऊपन देता. नमक तमाम तरह की ब्रेड बनाने के लिए ब्रेड की फर्मेंटेशन रफ्तार को बदलने में मदद करता है.

दुनिया भर में बेकिंग और ब्रेड उद्योग का कारोबार सालाना 30 अरब डॉलर है. अकेले भारत में ब्रेड उद्योग का कारोबार 7 अरब से ज्यादा होने का अनुमान है.
  • डेयरी उद्योग में भी नमक की जरूरत होती है. नमक के बिना चीज (cheese) बनाना मुश्किल है. नमक चीज में फर्मेंटेशन और बैक्टीरियल एक्टिविटी पर असर डालता है. यह चीज को प्रिजर्व भी करता है और इसके जायके में सुधार करता है. नमक की सही मात्रा मिल्क प्रोटीन की संरचना को बदलकर चीज के की बॉडी और टेक्सचर पर असर डालता है

  • ये सभी उद्योग न केवल ठीक से काम करने के लिए नमक पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं, बल्कि उनका अस्तित्व भी इस पर निर्भर है

भले ही हम इन सभी औद्योगिक फायदों को दरकिनार कर दें, लेकिन नमक के इंसानी पहलू को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. नमक के बिना कई चीजें जिन्हें हम इंसानों के लिए सहज मान लेते हैं, उनका वजूद ही खत्म हो जाएगा.

नमक - इंसानी पहलू

इंसानी जिंदगी में नमक की भूमिका बहुत बड़ी है. ज्यादातर देशों में आयोडाइज्ड नमक (iodized salt) बनाने के लिए नमक में आयोडीन मिलाया जाता है.

जिन लोगों ने 1970 और 80 का दशक देखा है, वे जानते होंगे कि यह क्यों महत्वपूर्ण है. 1990 और 2000 के दशक में पैदा हुए हम में से बहुत से लोगों को पता नहीं है कि नमक आयोडाइज्ड क्यों होता है. आयोडीन सीफूड और आयोडीनयुक्त मिट्टी में उगाए जाने वाले फूड में पाया जाने वाला एक जरूरी तत्व है.

WHO के अनुसार 2013 में 1.88 अरब से ज्यादा लोगों में आयोडीन की कमी थी. इनमें से 24 करोड़ से ज्यादा बच्चे थे. 2013 के एक अध्ययन के अनुसार आयोडीन की कमी ब्रेन डैमेज की सबसे बड़ी वजह है, जिसे रोका जा सकता है.

वयस्कों में आयोडीन की कमी से थायराइड डिसरेग्यूलेशन (thyroid dysregulation) हो सकता है, जिससे घेंघा (goiter) हो जाता है. घेंघा हालांकि आमतौर पर कम-गंभीर बीमारी है, मगर आयोडीन की कमी से सबसे ज्यादा असर गर्भवती मां और बच्चे पर होता है.

WHO के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान आयोडीन की कमी से भ्रूण को ब्रेड डैमेज, पैदाइश के समय कम वजन और प्रिमैच्योर डिलीवरी और शिशु मृत्यु दर ज्यादा हो सकती है.

इसके अलावा, जन्म के बाद शुरुआती दो सालों में बच्चों में दिमाग के विकास के लिए आयोडीन जरूरी है. आयोडीन की कमी से बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म (hypothyroidism) के साथ-साथ कॉग्निटिव और डेवलपमेंट डिसएबिलिटी हो सकती है.

आयोडीन की मामूली कमी बच्चों में विकास संबंधी समस्याओं की वजह बन सकती है, जबकि आयोडीन की ज्यादा कमी से बौनापन, मानसिक विकास में कमी, मूढ़ता (cretinism) और बढ़त में रुकावट की दूसरी समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

उदाहरण के लिए यूनिसेफ द्वारा 1996 में बड़े पैमाने पर आयोडीन की कमी वाले कजाखिस्तान में किए गए सर्वे से पता चला है कि कजाख परिवारों में पैदा हुए 10 % बच्चे किसी न किसी तरह से अविकसित या विकलांग थे.

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक उस समय कजाखिस्तान में बड़े पैमाने पर आयोडीन की कमी थी, केवल 28 % परिवारों को आयोडीन युक्त नमक मिल रहा था.

लेकिन 90 के दशक के बाद देशों ने आयोडाइजेशन को अपनाया, और अब कोई भी घर आयोडीन की कमी वाला नहीं बचा है.

हमारे अपने देश में 93 फीसद परिवारों का बड़े पैमाने पर आयोडाइजेशन हो चुका है. हालांकि पहले ऐसा नहीं था. भारत में आयोडीन की कमी का पहला आधिकारिक मामला 1908 का है, बाद के वर्षों में कई अन्य अध्ययनों में घेंघा के मामले बड़ी संख्या में पाए गए.

हालांकि 2009 के कवरेज मूल्यांकन सर्वे में पाया गया कि भारत में 91% परिवारों का आयोडाइजेशन कर लिया गया है. बदकिस्मती से यह संख्या सभी राज्यों में एक बराबर नहीं है.

मणिपुर, मेघालय और नागालैंड जैसे राज्यों में देखा गया कि उनकी 97 % से ज्यादा आबादी के पास आयोडाइज्ड नमक है, जबकि छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में औसतन केवल 35 % को मिला.

आयोडीन की कमी को दूर करने पर जोर देने से दुनिया की 88 % आबादी अब आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल कर रही है. पर्याप्त आयोडीन का सेवन वाले देशों की संख्या भी 2003 में 67 से बढ़कर 2020 में 118 हो गई.

दुनिया भर में, आयोडाइज्ड नमक बहुत आम हो चुका है, मगर 21 देशों के लोगों में अभी भी आयोडीन की कमी पाई जाती है.

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नमक - जायके का पहलू

औद्योगिक और इंसानी पहलुओं को छोड़ भी दें तो नमक के बिना हमारे कई पसंदीदा फूड्स नहीं होते. नमक उन पांच जायकों में से एक है, जिसे इंसान की जुबान महसूस कर सकती है. हम जिन पांच जायकों का पता लगा सकते हैं वे हैं नमकीन, मीठा, खट्टा, कड़वा और उमामी (umami).

अगर आप नमक को हटाते हैं, तो आप प्लेट और जुबान से एक जरूरी स्वाद हटा देते हैं. फ्रेंच फ्राइज, चिप्स, सॉस, डिप्स, ब्रेड और आपके रोजमर्रा खाए जाने वाले सभी फूड में से करीब 90% का स्वाद पहले जैसा नहीं रह जाएगा, और साथ ही आपके शरीर को काम करने के लिए बेहद जरूरी सोडियम से भी महरूम हो जाएंगे.

नमक के बिना, एथलीट शारीरिक मेहनत वाले खेल में अपनी मांसपेशियों को वापस पहले जैसी हालत में नहीं ला पाएंगे.

नमक सभी इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक्स में एक जरूरी इंग्रेडिएंट है- चाहे वह नींबू पानी हो, गेटोरेड (gatorade), या ओरल रिहाइड्रेशन (Oral Rehydration) सॉल्यूशंस हो जो कि डिहाइड्रेशन (dehydration) और हीटस्ट्रोक (heatstroke) के शिकार लोगों को दिया जाता है.

तो बहुत ज्यादा नमक आपके लिए खराब है, मगर नमक की गैरमौजूदगी में भी, हमारे खाने, बल्कि सच कहें तो हमारी जिंदगी में स्वाद की कमी हो जाएगी.

इसके बाद नमक सीरीज के तीसरे और अंतिम हिस्से में हम उन समस्याओं पर बात करेंगे जो नमक से पैदा हो सकती हैं, और अगर आप बहुत ज्यादा नमक खाते हैं तो क्या होता है.

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