पहले मुर्गी आई या पहले अंडा? अभी हम इस सवाल का जवाब ढूंढ नहीं पाए थे कि शिवसेना नेता और सांसद संजय राउत ने हमारे सामने दूसरा सवाल खड़ा कर दिया है. सवाल ये है कि अंडा शाकाहारी है या मांसाहारी?
संजय राउत ने सोमवार 15 जुलाई को सदन में मांग की कि मुर्गे और अंडे को वेजिटेरियन की श्रेणी में रखा जाए. आयुर्वेद पर हुई चर्चा के दौरान उन्होंने ये जिम्मेदारी आयुष मंत्रालय को दे दी कि वो ये तय करे कि चिकन शाकाहारी है या मांसाहारी.
संजय राउत ने बताया कि महाराष्ट्र के एक आदिवासी गांव में उन्हें खाने में मुर्गी परोसी गई. राउत ने मुर्गी खाने से इनकार किया तो उन्हें बताया गया कि वो आयुर्वेदिक मुर्गी है.
गांव के आदिवासी ने सांसद को बताया कि इस मुर्गी का पालन इस तरह से किया गया है कि इसे खाकर शरीर के सभी रोग दूर हो जाएंगे.
दूसरी घटना का जिक्र करते हुए शिवसेना सांसद राउत ने कहा कि चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से आए कुछ लोगों ने उन्हें बताया कि वह आयुर्वेदिक अंडे पर रिसर्च कर रहे हैं.
उस अंडे को बनाने के लिए मुर्गी को सिर्फ हर्बल खाना खिलाया जाता है. इससे जो अंडा बनता है, वह पूरी तरह से शाकाहारी होता है और मांसाहार न करने वालों को भी अगर प्रोटीन की जरूरत है, तो वह इस अंडे को खा सकते हैं.
फिट हिंदी ने इस सिलसिले में गाजियाबाद के आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ अरुण कुमार से बात की. मुर्गियों को आयुर्वेदिक तरीके से पाल कर उनके अंडों को आयुर्वेदिक और वेजेटेरियन बनाए जाने के सवाल पर उनका कहना था:
‘अंडा मुर्गी के ओवरी में पनपता है और वहीं बढ़ने के बाद आता है. उसे बाद में किसी जीव का रूप का दिया जाए या अंडे के रूप में सेवन किया जाए, लेकिन किसी भी जीव के दुनिया में आने के तरीके की तरह ही ये एक तरीका है.’
मुर्गी के खान-पान को बदल के सिर्फ उसकी गुणवत्ता को सुधारा या अच्छा किया जा सकता है, लेकिन उसे मांसाहार से शाकाहार नहीं किया जा सकता है. शाकाहार की श्रेणी में सिर्फ जमीन पर उत्पन्न होने वाली चीजों को रखा जा सकता है.डॉ अरुण कुमार, आयुर्वेद विशेषज्ञ
साइंटिस्ट गौहर रजा मुर्गी को शाकाहारी भोजन खिला कर शाकाहारी अंडे वाली बात को वैज्ञानिक तौर पर गलत बताते हुए कहते हैं:
अंडे को फर्टिलाइज करने का तरीका जरूर बदल गया हो, लेकिन इस वजह से उसे वेजेटेरियन की श्रेणी में डाल दिया जाना सही नहीं है. साइंस इस तरह किसी बात को नहीं मानता है.गौहर रजा, साइंटिस्ट
फिट हिंदी ने इस सिलसिले में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पैथोलॉजी की रिसर्च साइंटिस्ट डॉ फराह नाज से बात की, उनका कहना था:
अंडे को मांसाहार से शाकाहार बना दिया जाना नामुमकिन है. अंडा मेल सेल और फिमेल सेल से मिल कर बना है, जो उसे लाइफ देता है. जिस तरह इंसानों के शरीर में यूटरस बच्चे को सुरक्षित रखता है, उसी तरह अंडा एक मजबूत कवच में होता है. फर्क बस इतना है कि अंडा बाहरी वातावरण में रहने के बाद बच्चे को दुनिया में लाता है. अंडे में जीवन की संभावना ही उसे मांसाहार बनाती है, तो उसे शाकाहार बना दिए जाने का आइडिया ही गलत है.
विशेषज्ञों ने अंडे को शाकाहारी बनाने वाले बयान को तर्कहीन भले ही घोषित कर दिया हो. लेकिन संजय राउत ने इस विषय पर डिबेट जरूर खड़ा कर दिया है. अब देखना ये है कि आयुष मंत्रालय संजय राउत के अंडे को शाकाहारी घोषित किए जाने की गुजारिश पर क्या रुख अपनाता है.
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