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गंभीर कोविड संक्रमण, महीनों बाद भी दिल, किडनी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है

एक स्टडी के अनुसार, गम्भीर Covid से पीड़ित होने के बाद हृदय, फेफड़े और किडनी संबंधी समस्याएं होने की संभावना है.

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एक नए अध्ययन में पाया गया है कि कोविड-19, संक्रमण के दौरान और उसके महीनों बाद भी हृदय, किडनी और फेफड़ों में सूजन पैदा कर सकता है.

हमने पहले बताया है कि कैसे कोविड-19 और लॉन्ग कोविड रोगियों को प्रभावित करता है, यहां तक ​​​​कि उन्हें भी जिनमें कोई प्रीकन्डिशन या कोमोरबिडिटी नहीं थी.

पिछले अध्ययनों ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि संक्रमण के दो साल बाद तक, 57 प्रतिशत से अधिक रोगियों ने कोविड​​​​-19 के कम से कम एक लक्षण की सूचना दी, जैसे कि थकान या सांस फूलना.

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नेचर जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती होने वाले हर सात रोगियों में से एक की मृत्यु हुई या उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी, और तीन में से दो रोगियों को संक्रमण के बाद के महीनों में सेकन्डेरी या आउटपेशन्ट केयर की आवश्यकता पड़ी.

"कोविड​​​​-19 के कारण होने वाली परेशानियों में पर्सिस्टंट कार्डियो-रीनल सूजन, लंग इन्वॉल्वमेंट, हेमोस्टेटिक पाथवे एक्टिवेशन और शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक फंक्शन में नुकसान शामिल है. पोस्ट-कोविड​​​​-19 सिंड्रोम के लिए प्रीवेंटिव थेरेपी और रोग के दीर्घकालिक अध्ययन की आवश्यकता है".

अध्ययन ने इस बात की भी पुष्टि की कि ये लक्षण आमतौर पर कोविड रोगियों में ठीक होने के महीनों बाद रिपोर्ट किए गए थे, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि मल्टी-ऑर्गन फेलियर गंभीर कोविड वाले रोगियों या कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों में अधिक देखा गया.

22 मई 2020 और 16 मार्च 2021 के बीच 1,306 संक्रमित रोगियों का बारीकी से अध्ययन किया गया, जिसमें संक्रमण के 28 दिनों और 60 दिनों के बाद कई प्रकार के ब्लड टेस्ट किए गए.

इनमें से 159 रोगियों ने संक्रमण के 28 दिन और 60 दिन बाद फॉलो-अप टेस्ट कराए. 109 रोगियों, यानी 69 प्रतिशत को ऑक्सीजन दी गई, 89 रोगियों को, यानी 56 प्रतिशत को स्टेरॉयड दिया गया, 42 को एंटीवायरल ड्रग थेरेपी दी गई, 31 को नॉन-इनवेसिव श्वसन सहायता दी गई और 14 को इनवेसिव वेंटिलेशन दिया गया.

21 रोगियों, या इनमें से 13 प्रतिशत में मायोकार्डाइटिस के लक्षण देखे गए.

मायोकार्डाइटिस हृदय की मांसपेशियों की सूजन है, जो अतालता (arrhythmia), सीने में दर्द, सांस की तकलीफ जैसी समस्याओं को जन्म दे सकती है.

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द गार्जियन को दिए एक बयान में, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में कार्डियोलॉजिस्ट और कोविड विशेषज्ञ डॉ. बेट्टी रमन ने कहा कि अध्ययन ने रोगियों पर मायोकार्डाइटिस और कोविड-19 के अन्य दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान की.

अध्ययन के निष्कर्षों के अनुसार, गंभीर कोविड-19 से पीड़ित 13 प्रतिशत रोगियों में मायोकार्डाइटिस होने की संभावना अधिक थी, और अतिरिक्त 41 प्रतिशत में भी यह संभावित था.

जबकि अध्ययन में 60 दिनों की अवधि के बाद रोगियों पर फॉलो-अप टेस्ट करने में विफल रहा, पहले किए गए अध्ययनों ने रोगियों पर कोविड-19 का दीर्घकालिक प्रभाव दिखाया है, जिसमें 50 प्रतिशत लोगों में 2 साल बाद तक भी कोविड का कम से कम एक लक्षण देखा गया.

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