बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान, अनुष्का शर्मा और कटरीना कैफ की फिल्म 'जीरो' रिलीज हो चुकी है. इस फिल्म में शाहरुख ने एक बौने शख्स का रोल किया है.
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अगर आप इस बौनेपन के बारे में नहीं जानते हैं, तो हम संक्षेप में इसकी जानकारी दे रहे हैं.
कौन होता है बौना?
जेनेटिक कारणों से किसी व्यक्ति की औसत से कम लंबाई होने पर उसे बौना कहा जाता है. इसको मापने का एक पैमाना भी है.
अगर 20 साल की उम्र के बाद भी अगर किसी की लंबाई चार फीट 10 इंच या 147 सेंटीमीटर से ज्यादा नहीं बढ़ पाती है, तो उसे बौना लोगों की श्रेणी में माना जाता है.
ऐसी स्थिति 25,000 लोगों में से किसी एक व्यक्ति के साथ होती है. फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर और एचओडी डॉ कृष्णन चुघ के मुताबिक, देश में बौने लोगों की संख्या का कोई सही-सही आंकड़ा नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसा देश में आम नहीं है, लेकिन अजीब भी नहीं है.
कितने तरह का होता है बौनापन?
शरीर के अंग और धड़ के बीच के अनुपात के आधार पर बौनापन दो तरह का हो सकता है.
1. असंगत बौनापन: इस तरह के व्यक्तियों के शरीर के अंगों की लंबाई असंगत यानी असमान होती है. इस कैटेगरी में संभव है कि किसी व्यक्ति के हाथों की लंबाई छोटी और पैर लंबे हों या फिर किसी के पैरों की लंबाई छोटी और हाथ बड़े हों. ऐसे व्यक्ति का चेहरा भी सामान्य से कुछ अलग होता है.
2. संगत बौनापन: इस कैटेगरी के बौने लोगों के शरीर के सभी अंग एक जैसे होते हैं. लेकिन ऐसे लोगों का मानसिक विकास धीरे-धीरे होता है और हड्डियां कुछ कमजोर होती हैं. इनकी रीढ़ की हड्डी की बनावट असमान्य हो सकती है.
क्या है बौनेपन की वजह?
बच्चों में 200 से अधिक मेटाबॉलिक से लेकर हार्मोनल कंडिशन के कारण बौनापन हो सकता है. इसका सबसे सामान्य कारण जेनेटिक है. हालांकि, इसका ये मतलब नहीं है कि बौने लोगों के बच्चे भी बौने ही हों.
अगर माता-पिता बौने हैं, तो उनके बच्चे के बौने होने के 50 फीसदी ही चांस हैं.डॉ कृष्णन चुघ, डायरेक्टर और एचओडी, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट
असंतुलित बौनेपन की पहचान जन्म या कम उम्र में हो जाती है. हालांकि, सामान्य बौनेपन की पहचान तुरंत नहीं होती. एक बच्चे में बौनेपन की पहचान होने पर उसकी नियमित रूप से डॉक्टर से जांच करानी चाहिए.
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