हम चाहे जितनी कोशिश कर लें, फिर भी 'फैसला' लेने से नहीं बच सकते हैं. जब हम कोई 'फैसला' नहीं ले रहे होते हैं या कोई फैसला लेना टाल रहे होते हैं- तब भी हम फैसला न लेने का ही ‘फैसला’ कर रहे होते हैं.
हम रोजाना सैकड़ों फैसले लेते हैं, चाहे बड़े हों या छोटे. क्या खाना है, क्या पहनना है, किसी बात का कैसे जवाब देना है या अपने बॉस से झगड़ा मोल लेना चाहिए या नहीं; हम कोई भी फैसला लेने में काफी समय खर्च करते हैं और फिर उन फैसलों के नतीजों के साथ आगे का समय बिताते हैं. इसलिए, यह कहना सही होगा कि बेहतर फैसले हमारी जिंदगी को उम्दा और आसान बना सकते हैं.
अगर आप ये तीन चीजें एक बार अपनी आदत में शुमार कर लें, तो आपको बेहतर फैसला लेने में मदद मिल सकती है.
जितना मुमकिन हो, उतनी जानकारी इकट्ठा करें
कोई भी फैसला लेने से पहले, निश्चित रूप से नफा-नुकसान को परखने की जरूरत होती है और इसके लिए कुछ जानकारी चाहिए, जिससे कि जाना जा सके कि क्या हालात हैं और क्या नतीजे होंगे. यह काफी है- लेकिन साथ ही सावधान रहना होगा कि मिलने वाली जानकारी के लिए बहुत ज्यादा इंतजार न करना पड़े.
उदाहरण के लिए, आपको एक ब्लैक ड्रेस खरीदनी है और ठीक है कि आप इसे पहली दुकान से नहीं खरीदते हैं. आप और दुकानें देखने का फैसला करते हैं कि शायद आपको कुछ बेहतर या सस्ता मिल जाए. लेकिन आप कब कहेंगे कि ठीक है, अब मैंने सब देख लिया है?
चूंकि ऑनलाइन साइटों पर सामानों और वेराइटी की कोई सीमा नहीं है, इसलिए अगर आप खुद को कुछ दुकानों तक सीमित नहीं करते हैं- या जब तक आपको प्राइस रेंज में कुछ मिलता है, तो आप कोई फैसला ले पाने में खुद को असमर्थ पाएंगे.
एक समाधान उन मानदंडों को पहले से तय कर लेना होगा, जिन पर आप फैसला लेंगे और फिर उसके बारे में पता करेंगे.
बस सो जाइए
कभी-कभी जब आप किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए या कोई चीज समझने के लिए ज्यादा उतावले होते हैं, तब आपको कुछ समझ नहीं आता. इसके बजाए वो बात तब स्पष्ट होती है, जब आपको बिल्कुल भी उम्मीद नहीं रहती. इसलिए अगर आपको काफी अहम 'फैसला' लेना है, तो कुछ देर के लिए उस पर ध्यान न देने की कोशिश करिए. अगर सो सकते हैं, तो सो जाइए या कुछ और काम करिए.
निर्णय लेने के लिए खुद पर दबाव नहीं डालें, शांत हो जाएं और इस तरह अपने अवचेतन को फैसला लेने का मौका दे सकते हैं.
रात की गहरी नींद लेने से आपको अच्छी तरह से आराम मिलता है और ताजा महसूस होता है, जो एक जरूरी फैसला लेने में मददगार होता है.
मदद मांगें, सवाल पूछें
आपसे सब कुछ खुद करने की उम्मीद नहीं की जाती है और हमें दूसरों की जानकारी से अविश्वसनीय रूप से बहुत मदद मिलती है. तो, उन लोगों से पूछें जो आपको लगता है कि मदद के लिए कीमती सुझाव दे सकते हैं- यह कोई ऐसा व्यक्ति हो सकता है, जो आपसे ज्यादा उम्र का हो या कोई ऐसा व्यक्ति हो, जो वह काम कर चुका हो या ऐसा शख्स जिस पर आमतौर पर आप भरोसा करते हैं.
मदद मांगना अच्छी बात है, लेकिन ध्यान रखें कि आप किससे मांगते हैं क्योंकि आप और अधिक उलझन मोल नहीं लेना चाहते हैं और आप निश्चित रूप से किसी ऐसे शख्स से कुछ नहीं पूछना चाहेंगे, जिसे आपकी बात समझ ही न आती हो.
किसी से मदद मांगते समय, अपने सवालों को सही तरीके से तैयार करने की कोशिश करें. यह मत बताएं कि आपको क्या करना चाहिए, इसकी बजाए पूछें कि वो उन हालात के बारे में क्या सोचते हैं. इस तरह आप उन्हें भावनात्मक रूप से सोचने के लिए प्रोत्साहित करेंगे- जिससे उनकी प्रतिक्रिया में जमीन-आसमान का अंतर होगा.
(प्राची जैन मनोवैज्ञानिक, ट्रेनर, ऑप्टिमिस्ट, पाठक और रेड वेल्वेट्स की शौकीन हैं.)
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