वैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगा लिया है कि स्मार्टफोन और कंप्यूटर से निकलने वाली लाइट किस तरह आपकी नींद को प्रभावित करती है. इस खोज से माइग्रेन, अनिद्रा, जेट लैग और जैविक घड़ी से जुड़े डिसऑर्डर्स के नए तरह के इलाज में मदद मिल सकती है.
अमेरिका के साल्क इंस्टीट्यूट के रिसर्चर्स ने पाया कि आंखों की कुछ कोशिकाएं आसपास की लाइट को प्रोसेस करती हैं और हमारे बॉडी क्लॉक को रीसेट करती हैं.
ये कोशिकाएं जब देर रात में आर्टिफिशियल रोशनी के संपर्क में आती हैं, तो हमारी आंतरिक घड़ी प्रभावित हो जाती है. नतीजन सेहत से जुड़ी कई परेशानियां होने लगती हैं.
इसके परिणाम ‘सेल रिपोर्ट्स' पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं. इनकी मदद से माइग्रेन (आधे सिर का दर्द), अनिद्रा, जेट लैग (विमान यात्रा की थकान और उसके बाद रात और दिन का अंतर न पहचान पाना) और सर्कैडिअन रिदम विकारों (नींद के समय पर प्रभाव) जैसी समस्याओं का नया इलाज खोजा जा सकता है.
रिसर्चर्स के मुताबिक इन विकारों को काग्निटिव (संज्ञानात्मक) डिस्फंक्शन, कैंसर, मोटापे, इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध, मेटाबॉलिक सिंड्रोम और कई दूसरी बीमारियों से जोड़ कर देखा जाता रहा है.
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