No Periods Leaves: केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी उस समय सोशल मीडिया पर आलोचनाओं का शिकार हो गईं, जब उन्होंने कहा, "माहवारी या मासिक धर्म कोई बाधा नहीं है, यह एक महिला की जीवन यात्रा का स्वाभाविक हिस्सा है".
ईरानी ने बुधवार, 13 दिसंबर को राज्यसभा में यह बात तब कही, जब राष्ट्रीय जनता दल के नेता मनोज झा ने सत्तारूढ़ दल से महिलाओं के लिए 'मैंडेट पीरियड लीव' पर उनके रुख के बारे में पूछा.
भारतीय जनता पार्टी के सांसद ने कहा कि पीरियड लीव्स उन महिलाओं को "समान अवसर" से वंचित कर देगी, जो अपने लिए अधिक से अधिक आर्थिक रास्ते (economic avenue) तलाश रही हैं.
लेकिन ईरानी का यह बयान इंटरनेट और हर महीने पीरियड्स से गुजरने वाली महिलाओं को पसंद नहीं आया.
निराश, भेदभावपूर्ण: महिलाओं ने इस पर क्या बोला?
महिलाओं ने ईरानी के बयान पर अपना गुस्सा और निराशा व्यक्त करने के लिए सोशल मीडिया एक्स (पूर्व में ट्विटर) का सहारा लिया.
रितुपर्णा चटर्जी, जिनका एक्स पर @MasalaBai के नाम से अकाउंट है, ने कहा: "इसका मतलब एक्यूट डायसमेनरहीअ (acute dysmenorrhea) से पीड़ित लोगों के साथ भेदभाव रोकने से ज्यादा जरूरी है यह सुनिश्चित करना कि कंपनियां महिलाओं को कमजोर शारीरिक स्थिति के लिए दंडित न करें?"
बीआरएस (BRS) नेता कविता कल्वाकुंटला ने भी लिखा, "पीरियड्स कोई विकल्प नहीं है. यह एक बायोलॉजिकल रियलिटी है. पेड लीव से इनकार करना अनगिनत महिलाओं द्वारा सहे जाने वाले वास्तविक दर्द को नजरअंदाज करता है."
कई दूसरे लोगों ने भी माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पर कहा कि केंद्रीय मंत्री का बयान "मिसोजिनिस्ट " और "गैर-जिम्मेदाराना" था.
लोगों ने बताया कि हर महिला का मेन्स्ट्रुअल साइकिल अलग-अलग होता है और यह 'कोई आश्चर्य की बात नहीं' है कि मंत्री इसे नजरअंदाज कर देंगे.
'आप मासिक धर्म की तुलना विकलांगता से कैसे कर सकते हैं'
ईरानी ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय मेन्स्ट्रुअल हाइजीन पालिसी लाने की प्रक्रिया में है. हालांकि, अक्टूबर में जारी पोल्सी ड्राफ्ट में वर्क प्लेस पर मासिक धर्म वाली महिलाओं के लिए छुट्टी के प्रावधान (provision) शामिल थे.
विश्व स्तर पर, स्पेन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में मेंडेटरी पीरियड लीव का प्रावधान है.
भारत में, स्विगी और जोमैटो जैसी निजी कंपनियां अपने मासिक धर्म वाली कर्मचारियों को पीरियड लीव की पेशकश करती हैं.
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