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HIV/AIDS से जुड़े 10 तथ्य जिनके बारे में आपको मालूम होना चाहिए

हर साल HIV-AIDS के लाखों नए मामले सामने आते हैं.

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भले ही मेडिकल साइंस ने काफी तरक्की है, फिर भी एचआईवी-एड्स अभी भी सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है. हर साल HIV-AIDS के लाखों नए मामले सामने आते हैं.

एड्स समाज के लिए एक बड़ा खतरा है. ये बीमारी मानव आबादी की बड़ी संख्या को खत्म कर सकती है.

दुनिया भर में 3.6 करोड़ से अधिक लोग, जिसमें 26 लाख बच्चे शामिल हैं, एचआईवी संक्रमण के साथ जिंदगी जी रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने 2030 तक एड्स के खात्मे का लक्ष्य रखा है.

यहां HIV-AIDS के बारे में कुछ तथ्य पेश किए जा रहे हैं:

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फैक्ट चेकः HIV-AIDS

1. एचआईवी (HIV) एक वायरस का नाम है और जिससे एड्स (ऑटो इम्यून डेफिशिएंसी सिंड्रोम) होता है. ये वायरस दो प्रकार के हैं: HIV-1 और HIV-2. एड्स के अधिकतर मामले HIV-1 वायरस के कारण होते हैं. यह मुख्य रूप से चिम्पांजी, वानरों और बंदर में मौजूद एक जूनोटिक वायरस के कारण फैलता है. पिछली शताब्दी में यह कब और कैसे इंसानों तक पहुंच गया, ये स्पष्ट नहीं है. इंसान-से-इंसान में फैलने के बाद ये एक महामारी के स्तर तक पहुंच गया है.

2. HIV-1 को ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसके इलाज के कई विकल्प मौजूद हैं. सही तरीक से दवा लेकर एड्स की शुरुआत को टाला जा सकता है.

3. एक बार जब कोई एचआईवी से संक्रमित हो जाता है, तो वायरस शरीर में सीडी 4 फाइटर कोशिकाओं पर हमला करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को कम करने लगता है.

4. एचआईवी के शुरुआती चरणों में, कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं. यही कारण है कि अगर आप अधिक जोखिम वाले हैं, तो जांच कराना जरूरी हो जाता है.

5. सबसे अधिक खतरा किसे है?

कोई भी व्यक्ति जो एक से अधिक महिलाओं/पुरुषों से यौन संबंध रखता हो, या जो सेक्स वर्कर के पास जाता हो. एड्स के नए मामलों में 60% समलैंगिक सामने आए हैं. इसलिए समलैंगिक संबंध वाले पुरुषों को भी देखना चाहिए. कोई भी जिसने नसों के जरिये दवाएं ली हो, या जिसे संक्रमित खून चढ़ाया गया हो. यहां तक कि डॉक्टरों और पैरामेडिक्स जो हर समय एचआईवी/एड्स रोगियों का इलाज और उनकी देखभाल करते हैं, वे भी इसके खतरे की जद में होते हैं. किसी भी प्रकार का इलाज या बचाव नहीं होने की स्थिति में एचआईवी पॉजिटिव मां, गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान अपने बच्चे को एचआईवी संक्रमित कर सकती है.

6. इस बीमारी के शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे- बुखार, नाक बहना, सिरदर्द, थकान हो सकते हैं. एचआईवी के इस स्टेज को एक्यूट रेट्रोवायरल सिंड्रोम (ARS) कहा जाता है. चूंकि इन लक्षणों को नियमित फ्लू से अलग करना कठिन होता है. इस अवधि में, व्यक्ति अनजाने में इसे दूसरों, विशेष रूप से अपने पति/पत्नी को संक्रमित कर सकता है.

7. जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और धीरे-धीरे एड्स के लक्षण सामने आते हैं. मरीज को भूख न लगना, वजन कम होना, अक्सर उल्टी होना, दस्त होना; निमोनिया, तपेदिक, बैक्टीरिया और फंगल संक्रमण होते हैं. यहां तक कि स्किन और सॉफ्ट टिश्यू कैंसर भी हो सकता है.

8. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक अध्ययन का अनुमान है कि एचआईवी पॉजिटिव हर पांच में से एक व्यक्ति अपनी स्थिति से अनजान है.

ELISA टेस्ट, जो एक प्रकार का ब्लड टेस्ट है, सभी अस्पतालों में आसानी से उपलब्ध है. एचआईवी के लिए कुछ होम टेस्टिंग किट भी हैं. लेकिन याद रखें कि असुरक्षित यौन संबंध के तीन महीने के बाद तक आपकी पॉजिटिव स्थिति का पता नहीं लग सकता है. यह तीन महीने का विंडो पीरियड (संक्रमण की जद में आने की अवधि ) खतरनाक है क्योंकि एचआईवी टेस्ट नेगेटिव होने के बाद भी आप इससे संक्रमित हो सकते हैं.

9. एक बार एचआईवी टेस्ट पॉजिटिव होने पर एक सरकारी अस्पताल जाना चाहिए, जहां एआरटी (एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी) क्लीनिक विशेष रूप से प्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा चलाए जाते हैं. यहां वे एचआईवी का मुफ्त इलाज करते हैं. एक बार एड्स की पूरी तरह से पहचान हो जाने पर, रोगी को विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों के मुताबिक भर्ती और इलाज करने की जरूरत होती है.

10. कंडोम एड्स की रोकथाम के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है. एक से अधिक सेक्स पार्टनर हमेशा जोखिम भरा होता है. अगर आप खून चढ़वाने के लिए जा रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि अस्पताल आपको खून चढ़ाने से पहले उसकी जांच करे. विश्व स्वास्थ्य संगठन दिशानिर्देशों के अनुसार डॉक्टरों और दूसरे सहयोगी स्टाफ को एचआईवी पॉजिटिव मरीजों का ख्याल रखना चाहिए.

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ये न भूलें कि एचआईवी हाथ मिलाने या गले मिलने से नहीं फैलता है. जिस तरह चार्ली शीन ने कुछ साल पहले खुद के एचआईवी संक्रमित होने का खुलासा किया था, आपके साथी को भी यह पता होना चाहिए. तो इसे छिपाएं नहीं और इस घातक बीमारी को फैलने से रोकने में मदद करें. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2030 तक दुनिया को एचआईवी से मुक्त करने का संकल्प लिया है.

(डॉ निरुता शर्मा राम मनोहर लोहिया (RML) अस्पताल, कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट और पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च में कंसल्टेंट हैं. उनसे Twitter/@Nirutasharma पर संपर्क कर सकते हैं.)

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