ADVERTISEMENTREMOVE AD

शहद में शुगर सिरप की मिलावट से आपकी सेहत को क्या नुकसान हो सकता है

जर्मन लैब में 13 भारतीय कंपनियों के शहद के सैंपल टेस्ट किए गए, जिनमें से 77% में मिलावट पाई गई.

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

हम जो कई नामी कंपनियों के शहद का सेवन कर रहे हैं, उनमें से ज्यादातर नैचुरल शहद है ही नहीं. उनमें शुगर सिरप की मिलावट है.

जी हां, हम जिस वजह से चीनी के मुकाबले शहद लेना पसंद करते हैं, असल में हम चीनी ही ले रहे हैं.

इस बात की पुष्टि हुई है, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSE) की एक पड़ताल में, जिसमें देश के टॉप शहद ब्रांड्स फेल हो गए हैं.

जर्मनी की एक लैब में 13 भारतीय कंपनियों के शहद के सैंपल टेस्ट किए गए, जिनमें से 77 प्रतिशत में मिलावट पाई गई.

CSE के मुताबिक कई कंपनियों के शहद में शुगर सिरप की मिलावट की जा रही है और शहद की शुद्धता की जांच के लिए भारतीय मानकों के जरिए इस मिलावट को पकड़ा भी नहीं जा सकता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

चीनी की बजाए शहद को क्यों ज्यादा पसंद किया जाता है?

शहद भी शुगर है, लेकिन ये खास है. चीनी और शहद दोनों में ही ग्लूकोज और फ्रक्टोज शुगर होते हैं.

चीनी में 50 फीसदी फ्रक्टोज और 50 फीसदी ग्लूकोज होता है, जबकि शहद में 40 परसेंट फ्रक्टोज, 30 फीसदी ग्लूकोज और बाकी पानी, कुछ मिनरल्स, एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन, एमीनो एसिड होते हैं, जो शहद को स्वास्थ्य के लिए चीनी के मुकाबले बेहतर बनाते हैं.

जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की सीनियर डाइटीशियन डॉ ज्योति भट्ट बताती हैं कि शहद में कई न्यूट्रिशनल गुण होते हैं और कई पारंपरिक चिकित्सा में इसका इस्तेमाल होता आया है.

यही वजह है कि शहद लंबे समय से गले में खराश और खांसी शांत करने के लिए एक घरेलू उपाय रहा है.

BMJ एविडेंस-बेस्ड मेडिसिन नाम के जर्नल में पब्लिश एक रिसर्च रिव्यू के मुताबिक शहद ओवर-द-काउंटर (OTC) दवाइयों के मुकाबले गले में खराश, खांसी और सर्दी में राहत देने में ज्यादा बेहतर हो सकता है.

चीनी की मिलावट वाले शहद के क्या नुकसान हैं?

इसका सीधा जवाब है शुगर सिरप की मिलावट यानी हमें शहद मिल ही नहीं रहा. जिन फायदों के लिए हम शहद का सेवन बढ़ा रहे हैं, चीनी की मिलावट के कारण वो फायदा हमें नहीं मिल रहा.

CSE की सुनीता नारायण के मुताबिक कोरोना काल में शहद का सेवन बढ़ा है. मार्च में शहद की बिक्री में 35% का इजाफा हुआ था, जो कि अब और ज्यादा हो गया होगा.

शहद में अगर चीनी की मिलावट की जा रही है, तो वो शहद नहीं रह जाता. शहद में शुगर सिरप होने से हम सिर्फ कैलोरी ले रहे हैं, जिसका कोई फायदा नहीं है और जो वजन बढ़ा सकता है.
सुनीता नारायण, डायरेक्टर जनरल, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट

उन्होंने अमेरिकी सेंट्रर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का हवाला देते हुए कहा कि ज्यादा वजन गंभीर कोविड इन्फेक्शन बढ़ा सकता है. वहीं बढ़े वजन और डायबिटीज के बीच का लिंक पहले ही स्पष्ट हो चुका है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

लंबे समय तक अधिक चीनी हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है और यह नुकसान बड़े पैमान पर साबित हो चुके शारीरिक समस्याओं जैसे कि वजन बढ़ने या डायबिटीज और हृदय रोगों जैसी बीमारियों के रिस्क तक सीमित नहीं है. बहुत ज्यादा चीनी खाना हमारी मेंटल हेल्थ को भी नुकसान पहुंचा सकती है.

शहद में शुगर सिरप की मिलावट पर बी.एल.के सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ मेघा जैन कहती हैं कि अगर आप किसी चीज का सेवन बिना ये जाने कर रहे हैं कि उसमें चीनी है, तो ये सीधे चीनी खाने के मुकाबले ज्यादा खतरनाक है.

शहद की तुलना में ज्यादा फ्रक्टोज होने के नाते चीनी का ग्लाइसेमिक इंडेक्स ज्यादा होता है. इसका मतलब है कि चीनी ब्लड शुगर लेवल को तेजी से बढ़ाता है, जबकि शहद ब्लड में ग्लूकोज को धीमी गति से रिलीज करता है.

इसी गुण के कारण डायबिटिक लोगों के लिए और जिन्हें डायबिटीज होने का रिस्क है, उनके लिए शहद चीनी की अपेक्षा थोड़ा बेहतर विकल्प माना जाता है.

प्राकृतिक रूप से मीठे शहद में शुगर सिरप मिलाना उसका ग्लाइसेमिक लोड बढ़ा देता है.
डॉ ज्योति भट्ट, सीनियर डाइटीशियन, जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर

क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ मेघा जैन कहती हैं कि शुगर सिरप की मिलावट वाले शहद से उन लोगों पर ज्यादा असर होगा, जिन्हें डायबिटीज है, जो प्री-डायबिटिक हैं या जिनमें हार्मोनल असंतुलन है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जैसा कि CSE ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि शहद में मिलावट का स्तर जांचने में भारतीय लैब्स नाकाम रही थीं. ऐसे में हम ये कैसे तय कर सकते हैं कि हमें शुद्ध शहद मिले.

मिलावटी शहद से बचने के लिए न्यूट्रिशनिस्ट रुपाली दत्ता ने इससे पहले फिट से बातचीत में सलाह दी थी कि अगर आप शहद के फायदे लेना चाहते हैं, तो किसी विश्वसनीय सोर्स से नैचुरल शहद लें, जिसकी प्रोसेसिंग न की गई हो. साथ ही कुल कैलोरी इनटेक का भी ध्यान रखना जरूरी है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×