भारतीय महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौत का दूसरा सबसे आम कारण सर्वाइकल कैंसर के रूप में उभरा है. ताजा आंकड़े बताते हैं कि 15 से 44 साल की उम्र की महिलाओं में ये खतरा और अधिक रहता है. अगर समय पर इलाज शुरू हो जाए, तो इस रोग से मुक्ति पाई जा सकती है.
भारत में हर साल ग्रीवा कैंसर के लगभग 1,22,000 नए मामले सामने आते हैं, जिसमें लगभग 67,500 महिलाएं होती हैं. कैंसर से संबंधित कुल मौतों का 11.1 फीसदी कारण सर्वाइकल कैंसर ही है. यह स्थिति और भी खराब इसलिए हो जाती है कि देश में मात्र 3.1 फीसदी महिलाओं की इस हालत के लिए जांच हो पाती है, जिससे बाकी महिलाएं खतरे के साये में ही जीती हैं.
सर्वाइकल कैंसर सर्विक्स की लाइनिंग, यानी यूटरस के निचले हिस्से को प्रभावित करता है. सर्विक्स की लाइनिंग में दो तरह की कोशिकाएं होती हैं- स्क्वैमस या फ्लैट कोशिकाएं और स्तंभ कोशिकाएं. गर्भाशय ग्रीवा के क्षेत्र में जहां एक सेल दूसरे प्रकार की सेल में परिवर्तित होती है, उसे स्क्वेमो-कॉलमर जंक्शन कहा जाता है. यह ऐसा क्षेत्र है, जहां कैंसर के विकास की सबसे अधिक संभावना रहती है. गर्भाशय-ग्रीवा का कैंसर धीरे-धीरे विकसित होता है और समय के साथ पूर्ण विकसित हो जाता है.
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि सर्वाइकल कैंसर ज्यादातर मानव पैपीलोमा वायरस या एचपीवी के कारण होता है. लगभग सभी ग्रीवा कैंसर एचपीवी में से एक के साथ दीर्घकालिक संक्रमण के कारण होता है.
उन्होंने कहा कि एचपीवी संक्रमण यौन संपर्क या त्वचा संपर्क के माध्यम से फैलता है. कुछ महिलाओं में गर्भाशय-ग्रीवा की कोशिकाओं में एचपीवी संक्रमण लगातार बना रहता है और इस रोग का कारण बनता है. इन परिवर्तनों को नियमित ग्रीवा कैंसर स्क्रीनिंग (पैप परीक्षण) द्वारा पता लगाया जा सकता है. पैप परीक्षण के साथ, गर्भाशय ग्रीवा से कोशिकाओं का एक सतही नमूना नियमित पेल्विक टैस्ट के दौरान एक ब्रश से लिया जाता है और कोशिकाओं के विश्लेषण के लिए एक प्रयोगशाला में भेजा जाता है.
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डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया-
सर्वाइकल कैंसर को अक्सर टीकाकरण और आधुनिक स्क्रीनिंग तकनीकों से रोका जा सकता है, जो गर्भाशय ग्रीवा में पूर्वकाल परिवर्तन का पता लगाता है. गर्भाशय-ग्रीवा के कैंसर का उपचार कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि कैंसर की अवस्था, अन्य स्वास्थ्य समस्याएं. सर्जरी, विकिरण, कीमोथेरेपी या तीनों को मिलाकर भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
-ग्रीवा कैंसर को रोकने के लिए कुछ सुझाव
* कंडोम के बिना कई व्यक्तियों के साथ यौन संपर्क से बचें.
* हर तीन वर्ष में एक पेप टेस्ट करवाएं, क्योंकि समय पर पता लगने से इलाज में आसानी होती है.
* धूम्रपान छोड़ दें, क्योंकि सिगरेट में निकोटीन और अन्य घटकों को रक्त की धारा से गुजरना पड़ता है और यह सब गर्भाशय-ग्रीवा में जमा होता है, जहां वे ग्रीवा कोशिकाओं के विकास में बाधक बनते हैं. धूम्रपान प्रतिरक्षा तंत्र को भी दबा सकता है.
* फल, सब्जियों और पूर्ण अनाज से समृद्ध स्वस्थ आहार खाएं, मगर मोटापे से दूर रहें.
- इनपुट IANS से
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