ADVERTISEMENTREMOVE AD

भारत की पहली गैर संबंधी ‘बोन मैरो डोनर’ बनी तमिलनाडु की महिला

तमिलनाडु की महिला ने दिल्ली के बच्चे को बोन मैरो डोनेट किया.

Updated
फिट
2 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

तमिलनाडु की एक महिला ने परिवार के दबाव के बावजूद अपना बोन मैरो गंभीर ऑटोइम्यून बीमारी से पीड़ित तीन महीने के एक बच्चे को दान किया है.

ऐसा करके ये महिला देश में पहली गैर संबंधी बोन मैरो (अस्थि मज्जा) डोनर बन गई है. खुद इस महिला की बेटी गंभीर रक्त विकार ‘थैलेसीमिया मेजर’ से पीड़ित है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

चिकित्सकों ने बताया कि कोयंबटूर के पास मुधालीपलायम गांव की रहने वाली 26 साल की मसीलामणि से मिले बोन मैरो को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के रहने वाले बच्चे में इस साल जनवरी में ट्रांसप्लांट किया गया.

बच्चा अभी भी अस्पताल में है लेकिन चिकित्सकों को विश्वास है कि वह जिंदगी की जंग जीत जाएगा क्योंकि अगर उसके शरीर ने बोन मैरो स्वीकार नहीं करता तो कुछ ही दिन में उसकी मौत हो गई होती.

मेरा मानना है कि मैं धन्य हूं. मैं एक बच्चे को बचाने के लिए समाज की गलत धारणा तोड़ने में सफल रही. मुझे महसूस हो रहा है कि मैं बच्चे की मां हूं. मैं कहूंगी कि वह मेरा बच्चा भी है क्योंकि अब मैंने उसे जीने का दूसरा मौका दिया है. मैं प्रार्थना करती हूं कि वह जल्द स्वस्थ हो और अब कभी बीमार ना पड़े. उसे स्वस्थ होना ही चाहिए.
मसीलामणि ने पीटीआई-भाषा से कहा
0

मसीलामणि की बेटी ‘थैलेसीमिया मेजर’ की मरीज है. यह एक गंभीर रक्त विकार होता है, जिसमें हीमोग्लोबिन के निर्माण में बार-बार गिरावट आती है. इससे पीड़ित को बार-बार खून चढ़ाना पड़ता है.

मसीलामणि की शादी 20 की उम्र में आर. कविरासन से हुई थी. मसीलामणि ने बताया कि शादी के साल भर में मेरी बेटी का जन्म हुआ और कुछ महीने बाद ही उसके थैलेसीमिया मेजर से पीड़ित होने का पता चला.

हम दोनों पति-पत्नी ने अपने स्वैब DATRI (ब्लड स्टेम सेल डोनर रजिस्ट्री) में दिए हैं ताकि ह्यूमन ल्युकोसाइट एंटीजेन (एचएलए) की पहचान कराई जा सके. वहां पर मुझे एक मैच मिला और मैंने बच्चे के लिए डोनर बनने की इच्छा जताई.
मसीलामणि

मसीलामणि ने कहा कि उन्होंने ये बात अपने पति को बताई, जिन्होंने इस पर सहमति जताई लेकिन अंतिम निर्णय लेना आसान नहीं था.

मसीलामणि के मुताबिक उनकी सास और ननद ने कहा कि अगर कुछ अनहोनी हो गई तो आपके बच्चों का ध्यान कौन रखेगा? आखिर में वो अस्थि मज्जा दान करके एक जीवन बचाने के अपने फैसले को लेकर अपने परिवार को राजी करने में सफल रही.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×