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मुंबई का 'किंग' कौन? 5वें चरण में 6 लोकसभा सीटों पर मतदान, 3 सीटों पर सेना vs सेना

Mumbai: लोकसभा चुनाव के साथ ही उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच मुंबई की सियासी विरासत का भी फैसला होना है.

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'मुंबई का किंग कौन?'

इसका फैसला तो 4 जून को होगा, लेकिन उससे पहले सोमवार, 20 मई को मुंबई की 6 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होगी. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के 5वें चरण में महाराष्ट्र (Maharashtra) की कुल 13 सीटों पर मतदान होना है. इसके साथ ही प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग प्रक्रिया खत्म हो जाएगी.

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मुंबई की इन 6 सीटों पर होगा मतदान

  • मुंबई दक्षिण

  • मुंबई दक्षिण-मध्य

  • मुंबई उत्तर

  • मुंबई उत्तर-मध्य

  • मुंबई उत्तर-पूर्व

  • मुंबई उत्तर-पश्चिम

मुंबई दक्षिण, मुंबई दक्षिण-मध्य और मुंबई उत्तर-पश्चिम में एकनाथ शिंदे की शिवसेना और उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) के बीच मुकाबला होगा, जबकि मुंबई उत्तर-पूर्व में बीजेपी बनाम शिवसेना (यूबीटी) आमने- सामने होंगे. वहीं मुंबई उत्तर और उत्तर-मध्य में बीजेपी के सामने कांग्रेस है.

लोकसभा चुनाव के साथ ही उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच मुंबई की सियासी विरासत का भी फैसला होना है.

तीन सीटों पर शिंदे बनाम उद्धव

मुंबई उत्तर-पश्चिम: शिवसेना के पूर्व राज्य मंत्री रवींद्र वायकर और उद्धव के उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर के बीच सीधा मुकाबला है. अमोल सांसद गजानन कीर्तिकर के बेटे हैं. इस सीट पर गजानन कीर्तिकर पिछले दो बार से जीतते आ रहे हैं.

बता दें कि वायकर पहले सेना (यूबीटी) में थे और हाल ही में शिंदे खेमे में शामिल हुए हैं. वह वर्तमान में मुंबई में जोगेश्वरी पूर्व विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं.

इस सीट पर 1999 से 2009 तक कांग्रेस का कब्जा रहा है. फिल्म अभिनेता सुनील दत्त यहां से दो बार सांसद बने. उनके निधन के बाद उनकी बेटी प्रिया दत्त ने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की. 2009 में यहां से गुरदास कामत जीते. 2014 में शिवसेना ने कब्जा जमाया.

मुंबई दक्षिण: शिवसेना ने बायकुला सीट से पहली बार विधायक बनीं यामिनी जाधव को टिकट दिया है. यामिनी बीएमसी के स्थायी समिति के पूर्व अध्यक्ष यशवंत जाधव की पत्नी हैं. जबकि शिवसेना (यूबीटी) ने दो बार सांसद रहे अरविंद सावंत को फिर से उम्मीदवार बनाया है.

इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है. 1989 से 2019 तक 5 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. मुरली देवड़ा तीन बार यहां से सांसद रहे. उनके बाद मिलिंद देवड़ा दो बार कांग्रेस के टिकट पर जीते. 1996 में बीजेपी की जयवंतीबेन मेहता ने जीत दर्ज की थी. वहीं 2014 से इस सीट पर शिवसेना का कब्जा रहा है और अरविंद सावंत लगातार दो बार सांसद बने हैं.

मुंबई दक्षिण-मध्य: शिवसेना (यूबीटी) नेता अनिल देसाई का मुकाबला शिंदे के नेतृत्व वाली सेना के राहुल शेवाले से है. देसाई हाल तक राज्यसभा सांसद रहे थे, वहीं शेवाले मौजूदा लोकसभा सदस्य हैं.

1999 से हुए 2019 तक हुए 5 लोकसभा चुनावों में इस सीट पर शिवसेना का दबदबा देखने को मिला है. हालांकि, 2009 में कांग्रेस ने सेंधमारी की थी, लेकिन 2014 में पार्टी ने दोबार इस सीट पर कब्जा जमा लिया.

मुंबई की दो सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने

मुंबई उत्तर सीट पर पिछले दो बार से बीजेपी जीतती आ रही है. इस बार पार्टी ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को मैदान में उतारा है, जो पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. उनके खिलाफ मुंबई कांग्रेस के उपाध्यक्ष भूषण पाटिल मैदान में हैं.

दूसरी तरफ मुंबई उत्तर-मध्य सीट पर एक और हाई-वोल्टेज मुकाबला देखने को मिलेगा. यहां से बीजेपी ने पूर्व सरकारी वकील उज्ज्वल निकम को टिकट दिया है. निकम ने अजमल कसाब जैसे हाई-प्रोफाइल मामलों को संभाला है. वहीं उनके सामने मुंबई कांग्रेस प्रमुख वर्षा गायकवाड़ हैं. बीजेपी ने पहले इस सीट से मौजूदा सांसद पूनम महाजन को मैदान में उतारा था, लेकिन बाद में उनकी जगह निकम को मैदान में उतारा दिया.

इस बीच, मुंबई उत्तर पूर्व में बीजेपी के विधायक मिहिर कोटेचा का मुकाबला इस क्षेत्र के पूर्व सांसद और शिवसेना (यूबीटी) उम्मीदवार संजय दीना पाटिल से है.

मुंबई का सियासी समीकरण

मुंबई के 6 लोकसभा सीटों के अंदर 36 विधानसभा सीटें हैं. इनमें से 16 पर बीजेपी का कब्जा है. 6 सीटों पर शिंदे की शिवसेना के विधायक है, जबकि 8 सीटों पर उद्धव के विधायक हैं. कांग्रेस का 4 सीटों पर कब्जा है.

ऐसे में महायुति के खाते में कुल 22 सीटें हैं, जबिक महा अघाड़ी के खाते में 14 सीटें हैं.

शिवसेना (यूबीटी) जिन चार निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ रही है, वहां उद्धव ठाकरे की नजर मुस्लिम वोटर्स पर है. एक अनुमान के मुताबिक मुंबई में 16-20 फीसदी मुस्लिम आबादी है. माहिम, कुर्ला, बांद्रा पूर्व और पश्चिम, बायकल सहित कम से कम 15 ऐसे क्षेत्र हैं, जहां अच्छी खासी मुस्लिम आबादी है.

जानकारों की मानें तो अविभाजित शिवसेना की पहचान एक कट्टर हिंदुत्ववादी पार्टी की रही है. उद्धव ठाकरे उसके नेता रहे हैं. हालांकि, बीजेपी से गठबंधन टूटने के बाद उद्धव की छवि बदली है और उन्हें एक उदारवादी नेता के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि, महाविकास अघाड़ी के लिए मराठी और दलितों का समर्थन भी महत्वपूर्ण होगा.

दूसरी तरफ महायुति उत्तर भारतीयों और गुजरातियों पर भरोसा कर रही है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर भारतीय मतदाताओं को एकजुट करने के लिए मुंबई में प्रचार किया है. नरेंद्र मोदी फैक्टर भी है जिस पर सत्तारूढ़ गठबंधन भरोसा कर रहा है.

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