यह अफसोस की बात है कि कई हेल्थ प्रॉब्लम्स के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार होने के बावजूद ‘लीकी गट सिंड्रोम’ बहुत कम समझी गई बीमारी है.
लीकी गट सिंड्रोम क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है?
लीकी गट सिंड्रोम क्या है?
हमारी छोटी आंत में, जहां हर तरह का भोजन पचता है, बेहद बारीक छेद होते हैं, जिनके जरिए पोषक तत्व ब्लड में ट्रांसफर होते हैं. ये दीवार अर्धपारगम्य होती है, जिससे खास मॉलीक्यूल्स और पोषक तत्व उस पार निकल सकते हैं, जबकि विषाक्त पदार्थ और बड़े अवांछित खाद्य कणों को दीवार अंदर ही रोक देती है.
लेकिन लीकी गट सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में, आंतों के ये बारीक छेद चौड़े हो जाते हैं और बिना पचे भोजन के कण, बैक्टीरिया और विषाक्त पदार्थ (ऐसी चीजें जिन्हें निश्चित रूप से रोक देने की जरूरत होती है) रक्तप्रवाह में पहुंच जाते हैं. ये इम्यून सिस्टम को छेड़ देता है और संभावित रूप से अस्थमा, हृदय रोग, डायबिटीज, सांस की बीमारियां, माइग्रेन, पेट में मरोड़, एक्जिमा, फूड एलर्जी, सोरायसिस, रयूमेटाइड अर्थराइटिस, अवसाद और कई तरह की बीमारियों को जन्म दे सकता है.
लीकी गट सिंड्रोम के लक्षण
लीकी गट सिंड्रोम के सामान्य लक्षणों में क्रॉनिक डायरिया, कब्ज, गैस या जलन, पोषण संबंधी कमियां, खराब इम्यून सिस्टम, सिरदर्द, एंग्जाइटी, ब्रेन फॉग, मेमोरी लॉस, थकावट, त्वचा पर चकत्ते, मुहांसे, शुगर या कार्बोहाइड्रेट्स की क्रेविंग और जोड़ों में दर्द शामिल है.
लीकी गट सिंड्रोम का इलाज
2014 की एक स्टडी से पता चलता है कि जब लोग अपने आहार में काफी बड़ा बदलाव करते हैं, तो उनके गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) मार्ग में तीसरे दिन तक बैक्टीरिया की संख्या और प्रकार में काफी बदलाव देखे जा सकते हैं.
तो लीकी गट से निजात पाने के लिए आप इन तरीकों को अपना सकते हैं.
पहला कदम निश्चित रूप से रोकथाम है. आमतौर पर, लगातार कब्ज या आंतों में गुड और बैड बैक्टीरिया का गंभीर असंतुलन लीकी गट को जन्म देता है. एस्पिरिन और आइबुप्रोफीन जैसी नॉन-स्टेरायड एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं (NSAIDS) का लंबे समय तक इस्तेमाल, आंतों की पारगम्यता को बढ़ा सकता है.
- टिप 1: खुद से कोई दवा लेने की आदत छोड़ दें.
- टिप 2: कब्ज को रोकने के लिए हाई फाइबर वाली चीजें खाएं.
दूसरा, अपनी एक फूड डायरी लिखना शुरू करें. आप क्या खाते हैं और ये आपको कैसे प्रभावित करता है, ये लिखें. अगर आप कुछ खाने के बाद थका हुआ, पेट फूला हुआ या पेट में गैस महसूस करते हैं, तो उस खाने को अपनी ‘नकारात्मक सूची’ में डाल दें.
आपका पेट आपको बता देगा कि यह किन फूड्स के प्रति संवेदनशील है. आपको सिर्फ उसकी बात सुनने की जरूरत है.
तीसरा, अपने आहार को बदलें और उन फूड्स को छोड़ दें, जिन्हें आपका शरीर टॉक्सिक मान सकता है. ग्लूटिन, डेयरी, सोया, रिफाइंड शुगर, कैफीन, एल्कोहल और कई प्रोसेस्ड फूड में पाए जाने वाले केमिकल एडिटिव की मात्रा बिल्कुल सीमित कर दें.
- टिप 3: बिना ग्लूटिन वाले अनाज जैसे कि कुट्टू, राजगीरा, चावल (ब्राउन और व्हाइट) और ज्वार को अपनाएं.
- टिप 4: ग्रीन टी लेना शुरू कर दें.
- टिप 5: दूध के नॉन-डेयरी विकल्प जैसे बादाम, चावल, नारियल या काजू मिल्क को अपनाएं.
- टिप 6: जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड, आर्टिफीशियल स्वीटनर, एल्कोहल, कार्बोनेटेड पेय और अन्य शुगर पेय और प्रोसेस्ड मीट जैसे कोल्ड कट्स, डेली मीट, बेकन और हॉट डॉग से तौबा कर लें.
चौथा, इंटेस्टाइन-लाइनिंग जैसे नरम ऊतकों को अच्छा करने की क्षमता रखने वाले एमिनो एसिड जैसे ग्लूटामाइन का सेवन बढ़ाएं.
- टिप 7: स्पिरुलिना और गोभी ग्लूटामाइन के अच्छे स्रोत हैं.
- टिप 8: ये पोल्ट्री, अंडे और सी-फूड में भी मिलता है.
पांचवां, प्रोबायोटिक्स पर ध्यान केंद्रित करें. ये गुड बैक्टीरिया आपके गट फ्लोरा को संतुलित करने में मदद करेंगे.
- टिप 9: रोज कम से कम एक फर्मेंटेड यानी खमीर वाला फूड (किमची, अचार, दही, ढोकला, साउकरक्राउट, टेम्पेह, छाछ और मिसो) लें.
- टिप 10: एक प्रोबायोटिक सप्लीमेंट (कैप्सूल या मिल्क) लें.
- टिप 11: अंकुरित बीज जैसे चिया सीड्स, सन सीड्स, सनफ्लावर सीड्स खाएं.
छठा, ओमेगा 3 जलन को रोक या कम कर सकता है, जो कि लीकी गट सिंड्रोम का हिस्सा और नतीजा है.
- टिप 12: फैट वाली मछलियां (सैल्मन, मैकेरल) हफ्ते में दो या तीन बार लें और इसके साथ रोजाना अखरोट और फ्लैक्स सीड लें.
सातवां, पाचन तंत्र को दुरुस्त करने वाले फूड्स लें, जिनसे इसे फायदा हो और ये मजबूत हो. पत्तेदार सब्जियां आसानी से पचने वाली होती हैं, पत्तेदार सब्जियों का फाइबर और जिन सब्जियां की जड़ खाई जाती है, वो गुड बैक्टीरिया के लिए फूड के रूप में काम करती हैं.
- टिप 13: ब्रोकली, गोभी, बैंगन, चुकंदर, पालक, मशरूम और जुकिनी जैसी सब्जियां खाएं.
- टिप 14: आलू, शकरकंद, रतालू, गाजर, स्क्वाश और शलजम भी फायदेमंद हैं.
- टिप 15: हल्दी, जीरा, दालचीनी और यहां तक कि केसर भी एंटी-इंफ्लेमेटरी हैं और आंत की सेहत के लिए बहुत कारआमद हैं.
- टिप 16: हर दिन सप्लीमेंट के साथ 1 से 2 चम्मच इसबगोल के बीज, फ्लैक्स सीड्स, चिया सीड्स लें.
- टिप 17: पत्तेदार सब्जियों, ब्रोकली, लाल प्याज, काली मिर्च, सेब, अंगूर, ब्लैक टी या ग्रीन टी के माध्यम से कुएर्सिटीन लें.
अंतिम बात, तनाव से निजात पाएं. अपने सेंट्रल नर्वस सिस्टम को सचेत ढंग से शांत करना सीखें. तनाव में, शरीर का नर्वस सिस्टम लड़ो-या-भाग जाओ की दशा को सक्रिय कर देता है, जिसका आपकी आंत पर असर पड़ता है. अपने शरीर क्रिया विज्ञान को बदलने के लिए अपने विचारों को बदलें.
- टिप 18: रोजाना ध्यान या योग करें.
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