बचपन से जुड़ी घबराहट या चिंता पैरेंट्स के साथ ही बच्चे को भी भारी लग सकती है, लेकिन इसका इलाज संभव है. हालांकि, मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट के पास जाना बेहतर कदम है, लेकिन कई चीजें हैं, जिन्हें पैरेंट्स घर पर करके ही बच्चों के मन में आने वाले चिंताजनक विचारों के प्रति उन्हें सहज कर सकते हैं.
याद रखने वाली सबसे महत्वपूर्ण चीज है कि बच्चे के जीवन से उस स्थिति (घबराहट या बेचैनी वाली) के कारण यानी ट्रिगर्स को खत्म करने की जरूरत नहीं है. बल्कि उस ट्रिगर के लिए उनकी भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को मैनेज करने की जरूरत है. अगर बच्चों की मदद करने के दौरान, हम उनके ट्रिगर्स को खत्म करने का बीड़ा उठा लें, तो क्या होगा. अनजाने में हम जो बच्चे को सिखाएंगे, वो उससे तालमेल बिठाने की बजाए टालमटोल करेगा.
इसकी बजाए हमें उन्हें ये सिखाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि वे किस तरह से काम करेंगे. इसमें घबराहट या ट्रिगर को मैनेज करने के साथ काम करना भी शामिल है. इस तरह से घबराहट अपने आप कम हो जाएगी.
कभी ये न कहें कि उनका डर अवास्तविक है
इसकी बजाए आशा और विश्वास व्यक्त करें. अगर शीना एकेडमिक में अच्छा नहीं करने या अपने साथियों द्वारा अस्वीकार किए जाने के बारे में घबराई हुई या चिंतित है - तो आप उससे वादा नहीं कर सकते कि वे चीजें नहीं हो सकती हैं, क्योंकि वो वास्तव में हो सकती हैं. और अगर ऐसा होता है, तो उसका विश्वास कम हो जाता है, जबकि चिंता या घबराहट बढ़ जाती है.
माता-पिता क्या कर सकते हैं, बच्चे में आत्मविश्वास व्यक्त करें. उनसे ऐसा कहें, ‘मुझे पता है कि आप ठीक हो रहे हैं’ या जो कुछ भी होगा वह उसे देख लेगी. यह उसे उसके डर का सामना करने के लिए प्रोत्साहित करेगा.
उनकी घबराहट के बारे में बात करें
उनकी घबराहट या चिंताओं को जानबूझ कर अस्वीकार न करें. इसके बारे में उनसे बात करें, उनसे सवाल करें. उनसे बातचीत करें, ‘अगर आप एग्जाम में असफल होते हैं, तो सबसे बुरी बात क्या होगी?’ इससे उन्हें न केवल अपनी भावनाओं को खुल कर व्यक्त करने में मदद मिलेगी, बल्कि भविष्य के लिए एक योजना बनाने में भी मदद मिल सकती है.
एक योजना होने से चिंताग्रस्त बच्चों को बहुत मदद मिलती है. इससे उन्हें वास्तविक रूप से आकलन करने और उनके अगले उठाए जाने वाले कदम का फैसला करने में मदद मिलती है. इसलिए वे जो महसूस करते हैं, वो बेबसी कम होती है.
उन्हें वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित करें
जब वे (बच्चे) इस बारे में चिंता करते हैं कि क्या हो सकता है, तो उन्हें इस बात पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहें कि वर्तमान समय के लिए क्या सही है. रेहान चिंतित हो सकता है कि उसका दोस्त उससे बात नहीं करता है, उससे पूछें कि आज उसकी दोस्ती कैसी दिखती है.
जब आप उन्हें वर्तमान में वापस लाते हैं, तो आप बच्चों की उन चीजों पर चिंतित होने की प्रवृत्ति को कम कर देते हैं, जिनका वास्तविकता में कोई आधार नहीं हो सकता है - और इसके बजाए आप उन्हें अधिक दिमाग लगाना सिखाते हैं.
माइंडफुलनेस एक्टिविटिज जैसे विचारों का आदान-प्रदान होने देना या सांसों पर ध्यान देना विशेष रूप से सहायक हो सकता है.
उन्हें अपनी चिंताओं की लिस्ट बनाने के लिए कहें
उन्हें खुद को चिंतित करने वाले विचारों को लिखने के लिए प्रोत्साहित करें. बहुत बार, चिंतित या घबराहट वाले बच्चे अक्सर किसी और की चिंता न करने, की बजाए अपनी भावनाओं को भीतर दबाए रखते हैं. या हो सकता है कि वे इस तरह के विचारों को साझा करने में शर्मीले हों या सहज न हों.
उन्हें अपने विचारों की लिस्ट बनाने के लिए दिन में कुछ मिनट समय देने की सीख दें.
वे या तो एक पत्रिका रख सकते हैं, जो उन्हें ये देखने में मदद करेगी कि अतीत में, समय के साथ उन्हें कैसे मुद्दों का सामना करना पड़ा है, या वे केवल सामान लिख सकते हैं और इसे फाड़ सकते हैं जो अभिव्यक्ति में मदद करेगा और फटे होने पर उन्हें राहत महसूस कराएगा.
मुद्दा उनकी व्यवस्था से चिंता को बाहर निकालने का है.
उन्हें आत्म-करुणा का अभ्यास करने के लिए प्रेरित करें
आत्म-करुणा को अमल में लाकर उन्हें इसकी सीख दें. जब आप खुद उन छोटी-छोटी चीजों से हारते हैं, जो आपके साथ दिन भर होती हैं, जैसे कि अपनी चाबियों को भूल जाना या अपने बच्चे के सामने मीटिंग के लिए देर हो जाना, यह उन्हें भी ऐसा करना सिखाता है.
अनजाने में उन तक ये संदेश पहुंचता है कि अगर मैं सही नहीं हूं, तो यह बुरा है; कि वे परिपूर्ण हों.
अगर आप नकारात्मक आत्म-चर्चा को कमजोर करते हैं, तो आप उन्हें ऐसा करना सिखाएंगे; यह जानना कि गलतियां करना ठीक है. याद रखें कि वे हमेशा वही सीखेंगे जो आप करते हैं.
(प्राची जैन एक साइकॉलजिस्ट, ट्रेनर, ऑप्टिमिस्ट, रीडर और रेड वेल्वेट्स लवर हैं.)
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