उत्तराखंड में डेंगू से पीड़ितों की तादाद बढ़ती जा रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक अब तक यहां 4800 लोग डेंगू से पीड़ित हुए हैं, जिनमें से कुछ लोगों की जान भी गई है.
इस बीच उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि अगर लोग 500mg की जगह 650mg की पैरासिटामोल टैबलेट लेते हैं और आराम करते हैं तो डेंगू ठीक हो सकता है.
राज्य में डेंगू को लेकर बने हालात पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत मीडिया से बात करते हुए कहा,
उत्तराखंड में डेंगू एक महामारी बनने से काफी दूर है. लोग बेवजह घबरा रहे हैं. लेकिन अगर लोग 500mg की जगह 650mg की पैरासिटामोल टैबलेट लेते हैं और आराम करते हैं तो डेंगू ठीक हो सकता है.
पैरासिटामोल से डेंगू ठीक नहीं होता
फोर्टिस गुरुग्राम में इमरजेंसी डिपार्टमेंट के हेड डॉ मोहम्मद हसनैन रजा बताते हैं कि पैरासिटामोल डेंगू ठीक करने के लिए नहीं बल्कि डेंगू में होने वाले तेज फीवर और दर्द में आराम देने के लिए दी जाती है.
पैरासिटामोल डेंगू ट्रीट करने के लिए नहीं बल्कि डेंगू के लक्षण ट्रीट करने के लिए इस्तेमाल होता है. डेंगू का पहला लक्षण फीवर है और दूसरा है दर्द. 500mg की बजाए 650mg पैरासिटामोल की खुराक लेने से फीवर और दर्द में ज्यादा आराम मिलेगा.डॉ मोहम्मद हसनैन रजा
अपोलो हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन में सीनियर कंसल्टेंट डॉ सुरनजीत चटर्जी बताते हैं कि पैरासिटामोल से पेशेंट ठीक नहीं होता है, इससे उसे बुखार में आराम मिलता है क्योंकि डेंगू में फीवर ज्यादा होता है.
फीवर और दर्द में आम तौर पर एक व्यस्क के लिए पैरासिटामोल की 650 mg की खुराक ठीक है, लेकिन बच्चों और शिशुओं के लिए डोज अलग होता है.डॉ सुरनजीत चटर्जी
कमजोर लिवर वाले खुद से ना लें पैरासिटामोल
आकाश सुपरस्पेशएलिटी हॉस्पिटल, द्वारका के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट में सीनियर कंसल्टेंट डॉ राकेश पंडित कहते हैं कि पैरासिटामोल देते वक्त पेशेंट के शरीर का वजन और उसकी उम्र का ध्यान रखना होता है.
अगर मरीज को पेट की परेशानी है, किसी भी तरह से खून बह रहा है या उल्टी हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना जरूरी होता है. इसके अलावा, कमजोर लिवर वाले व्यक्ति के लिए पैरासिटामोल हानिकारक हो सकता है.डॉ राकेश पंडित, सीनियर कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, आकाश सुपरस्पेशएलिटी हॉस्पिटल, द्वारका
क्या हैं डेंगू के लक्षण?
डेंगू के लक्षण इस पर निर्भर करते हैं कि डेंगू किस प्रकार का है. डेंगू बुखार के तीन प्रकार हैं-
- साधारण डेंगू बुखार
- डेंगू हैमरेजिक बुखार (DHF)
- डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS)
साधारण डेंगू बुखार खुद से ठीक होने वाली बीमारी है और इससे मौत का खतरा नहीं होता, लेकिन अगर DHF और DSS जानलेवा हो सकते हैं, इसलिए मेडिकल सहायता लेने में देरी न करें.
साधारण डेंगू बुखार के लक्षण
- ठंड लगने के साथ अचानक तेज बुखार
- सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
- आंखों के पिछले भाग में दर्द होना जो आंखों को दबाने या हिलाने से और भी बढ़ जाता है
- बहुत ज्यादा कमजोरी
- भूख न लगना
- मिचली
- मुंह का स्वाद खराब होना
- गले में हल्का सा दर्द
- शरीर पर रैश होना
डेंगू हैमरेजिक बुखार के लक्षण
साधारण डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ-साथ नाक, मसूढ़ों, शौच या उल्टी में खून, स्किन पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे या बड़े चकत्ते DHF के लक्षण हैं.
डेंगू शॉक सिंड्रोम
डेंगू बुखार में शॉक के लक्षण ये होते हैं:
- तेज बुखार के बावजूद शरीर ठंडा महसूस हो
- बहुत ज्यादा बेचैनी
- बेहोशी
- नाड़ी तेज और कमजोर होना
- बीपी कम होना
DHF या DSS की ओर संकेत करने वाला एक भी लक्षण नजर आए तो पेशेंट को जल्द से जल्द हॉस्पिटल ले जाना चाहिए.
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