डी-कोल्ड, कोरेक्स कफ सीरप और विक्स एक्शन 500 जैसी खांसी-जुकाम, बुखार की फिक्स डोज कॉम्बिनेशन वाली दवाएं अब फिर से मार्केट में मिलने लगेंगी. 344 दवाओं पर लगे बैन को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है.
मार्च में स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन दवाओं पर रोक लगाने का फैसला किया था. इस फैसले के खिलाफ फार्मा कंपनियों ने याचिका दायर की थी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को याचिका स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार को फटकार लगाई और फैसले को रद्द कर दिया. कोर्ट ने कहा कि सरकार ने इसका कोई क्लिनिक टेस्ट रिपोर्ट पेश नहीं किया है. ये फैसला मनमाना है.
हेल्थ पर पड़ता है बुरा असर?
स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन दवाओं पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगाया था कि इन दवाओं से लोगों के हेल्थ पर बुरा असर पड़ रहा है.
यह प्रतिबंध सिर्फ फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन (एफडीसी) वाली दवाओं पर लगाया गया था. फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन दवा, यानी दो या ज्यादा दवाओं को मिलाकर बनाई जाने वाली दवा.
इस फैसले के खिलाफ कई फार्मा कंपनी की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में 454 याचिकाएं दायर की गई हैं. फाइजर, एबॉट, ग्लेनमार्क, सिपला, वॉकहार्ट जैसी नामी कंपनियां इस फैसले के विरोध में हैं.
ये दवाएं दवा दुकानों पर आसानी से मिल जाती हैं.
ये दवाएं पावरफुल एंटीबायोटिक के कॉम्बिनेशन की तरह बिकती हैं.
सरकार ने फाइजर की कोरेक्स और एबॉट की फेनेसिडिल और कफ सीरप पर भी रोक लगाई थी.
एफडीसी से सबसे ज्यादा पेन किलर दवाएं बनती हैं.
एफडीसी दवाओं का असर...
- एंटीबायोटिक का ज्यादा इस्तेमाल शरीर के लिए खतरनाक होता है. इसलिए सरकार ने इन दवाओं पर रोक लगाने का फैसला किया था.
- सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर असर होता है और ये लीवर के लिए भी नुकसानदेह होता है.
- एफडीसी से तैयार होने वाले एंटीबायोटिक के ज्यादा सेवन से हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है.
सरकार की दलील
दिल्ली सरकार की दलील थी कि हानिकारक कॉम्बिनेशन के बावजूद ये दवाएं ज्यादा बिकती हैं. देश में एफडीसी से हजारों दवाएं तैयार होती हैं और कई एफडीसी बिना मंजूरी के बनते हैं. 1 राज्य में मंजूरी लेकर देशभर में ये दवाएं बेची जाती हैं. साथ ही ड्रग कंट्रोलर जनरल की मंजूरी के बिना दवा की बिक्री की जाती है.
इन दवाओं पर रोक लगाने के सरकार के फैसले से कंपनियों को 1500 करोड़ रुपये का घाटा होने का अनुमान था.
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