गर्मियों में कोल्ड ड्रिंक पीना आम है. बच्चे हो या बड़े, शादी हो या घर कोल्ड ड्रिंक मेन्यू में जरूर मौजूद होती है. आजकल सोशल मीडिया पर कोल्ड ड्रिंक में इबोला वायरस की मौजूदगी का एक मैसेज वायरल किया जा रहा.
इस मैसेज को लोग सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं, जिसमें बताया गया है कि कोल्ड ड्रिंक में इबोला वायरस से संक्रमित खून मिलाया गया है, इसलिए कुछ दिनों के लिए कोई भी कोल्ड ड्रिंक न पीएं.
कोल्ड ड्रिंक में इबोला वायरस से संक्रमित खून मिलाए जाने का मैसेज
मैसेज के साथ ही कुछ तस्वीरें भी हैं, जो कोल्ड ड्रिंक फैक्ट्री पर छापे की बताई जा रही हैं.
क्या कोल्ड ड्रिंक्स में इबोला इंफेक्टेड ब्लड मिलाया गया?
क्या सचमुच कोल्ड ड्रिंक में इबोला वायरस से दूषित खून मिला दिया गया है, इसकी सच्चाई जानने के लिए हमने Google पर 'Ebola Virus in Cold drink' टाइप किया, हमारे सामने इस वायरल मैसेज से जुड़ी खबरों की लिस्ट खुल गई.
पिछले तीन-चार साल से फॉरवर्ड किया जा रहा है ये मैसेज
कोल्ड ड्रिंक में इबोला वायरस से दूषित खून मिलाए जाने का मैसेज पिछले कई साल से सोशल मीडिया पर वायरल है.
इस मैसेज को साल 2016 से कई भाषाओं में लिख कर शेयर किया जा रहा है. सबमें एक ही बात लिखी गई है. इससे ये साफ है कि कि मैसेज नया नहीं है, इतने साल से एक ही मैसेज शेयर किया जा रहा है.
check4spam वेबसाइट ने साल 2017 में ही इस मैसेज के सच्चाई की तफ्तीश की थी, जिसके मुताबिक इस मैसेज में कोई सच्चाई नहीं है, ना तो हैदराबाद पुलिस ने इस तरह की कोई चेतावनी जारी की है और ना ही किसी भी न्यूज चैनल ने इस तरह की कोई खबर दी है.
मैसेज के साथ शेयर की जा रही तस्वीरें साल 2016 में पाकिस्तान की एक फैक्ट्री में नकली कोल्ड ड्रिंक बनाए जाने के दौरान मारे गए छापे की हैं.
2016 की इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार ऐसा ही मिलता-जुलता मैसेज तमिल भाषा में वायरल हुआ था. इसमें कुछ इसी पैटर्न में HIV Virus के मिलने का झूठा दावा किया गया था.
इबोला वायरस डिजीज
इबोला वायरस डिजीज बहुत ही दुर्लभ और जानलेवा बीमारी है. ये वायरस मुख्य रूप से उप-सहारा अफ्रीका में मौजूद है. इंफेक्टेड जानवर या इबोला वायरस से संक्रमित किसी बीमार या मरे व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से इबोला इंफेक्शन हो सकता है.
अभी तक इसका कोई टीका या इलाज मौजूद नहीं है.
इन देशों में सामने आए हैं इबोला के मामले
WHO और सेंटर फॉर डिजीज एंड प्रीवेंशन के द्वारा जारी की गई इबोला वायरस की चपेट में आए देशों की लिस्ट में भारत का नाम नहीं है.
इसका मतलब ये वायरस अभी तक भारत पहुंंचा ही नहीं है और ना ही इससे जुड़ा कोई भी मामला सामने आया है.
क्यों फॉरवर्ड करते हैं लोग ऐसे मैसेज?
अमेरिकन हेल्थ वेबसाइट ऐनल्ज ऑफ फैमिली मेडिसीन के अनुसार, “अविश्वास को बढ़ाने वाले सेहत से जुड़े फेक मैसेज करने वाले बहुत सरल संदेश का इस्तेमाल करके जनता को प्रभावित करते हैं. वे संदेश की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए कुछ वैज्ञानिक शब्द जोड़ देते हैं.” यही वजह है लोग उस पर आंख बंद करके यकीन कर लेते हैं.
अगर आपके पास भी ऐसा कोई मैसेज है, जिसकी सच्चाई आप जानना चाहते हैं, तो fithindi@thequint.com पर मेल करें.
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