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थकान, डिप्रेशन या इंफेक्शन हो सकते हैं विटामिन डी की कमी के लक्षण

हड्डियों व मांसपेशियों में कमजोरी और दर्द के अलावा ये लक्षण भी हो सकते हैं विटामिन डी की कमी का संकेत

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अगर आपको हड्डियों और मांसपेशियों में कमजोरी और दर्द महसूस होता है, जल्दी थकान हो जाती है या दिन में जरूरत से ज्यादा नींद आती है, तो हो सकता है कि आप में विटामिन डी की कमी हो. जी हां, विटामिन डी, जिसके लिए आपको बचपन से ही कुछ वक्त धूप में बिताने की सलाह दी जाती रही है. इस विटामिन का निर्माण हमारा शरीर सूर्य की किरणों के संपर्क में आने से खुद ही कर लेता है. (हालांकि, बढ़ते प्रदूषण के साथ अब विशेषज्ञ इस पर अलग-अलग राय रखते हैं.)

आइए, जानते हैं हमारे लिए कितना जरूरी है विटामिन डी, इसकी कमी के लक्षण और कैसे पूरी की जा सकती है विटामिन डी की कमी.

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हार्मोन की तरह भी काम करता है विटामिन D

दूसरे विटामिनों से अलग, विटामिन डी हार्मोन की तरह भी काम करता है और शरीर की लगभग हर कोशिका को प्रभावित करता है.

विटामिन डी सूरज की रोशनी में रहने पर स्किन में बनता है और कैल्शियम के अवशोषण के साथ हड्डियों के लिए जरूरी है. विटामिन डी कम होने पर हड्डियों को नुकसान पहुंचता है. हालांकि, ये विटामिन दिल, दिमाग और इम्यून सिस्टम के लिए भी उतना ही जरूरी है.
डॉ केके अग्रवाल, अध्यक्ष, हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया

विटामिन डी की कमी

जब शरीर में पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी नहीं होता, तब इसे विटामिन डी की कमी कहते हैं. अप्रैल 2018 में ASSOCHAM के एक सर्वे में ये बात सामने आई कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हर 10 में से 8 लोगों में विटामिन डी की कमी है.

विटामिन डी की कमी के कारण ही बच्चों में रिकेट्स रोग होता है. ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर की आशंका बढ़ जाती है. विटामिन डी की कमी का पता ब्लड टेस्ट के जरिए लगाया जाता है. लेकिन आपको कब इसकी जांच करानी चाहिए? इसके लिए कुछ बातों पर ध्यान देना जरूरी है.

विटामिन डी की कमी के लक्षण क्या हैं?

विटामिन डी पर हिंदुजा अस्पताल के इस लेख के मुताबिक जिन लोगों में विटामिन डी की कमी होती है, उनमें मुख्य तौर पर ये दो लक्षण देखे जाते हैं:

  1. हड्डियां कमजोर होना: इस वजह से हड्डियां आसानी से टूट जाती हैं या फ्रैक्चर हो जाता है या आकार बदल जाता है. दर्द होता है.
  2. कमजोर मांसपेशियां: इस वजह से लोगों को चलने-फिरने में तकलीफ होती है, दर्द होता है.

कुछ ऐसे लक्षण जिन पर आमतौर हम ध्यान नहीं देते, लेकिन ये विटामिन डी की कमी का संकेत हो सकते हैं:

1. अक्सर बीमार पड़ना

विटामिन डी का सबसे अहम काम हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को दुरुस्त रखना है, ताकि बीमारी का कारण बनने वाले वायरस और बैक्टीरिया से लड़ा जा सके. अगर आपको अक्सर सर्दी-जुकाम हो जाता है या किसी न किसी संक्रमण से ग्रस्त रहते हैं, तो इसकी वजह विटामिन डी की कमी हो सकती है.

2. थकावट

थकावट के कई कारण हो सकते हैं और विटामिन डी की कमी उन्हीं कारणों में से एक हो सकती है.

3. पीठ और जोड़ों में दर्द

शरीर में कैल्शियम के अवशोषण के लिए विटामिन डी की जरूरत होती है. इस तरह हड्डियों के लिए भी विटामिन डी महत्वपूर्ण है. कई अध्ययनों में पाया गया है विटामिन डी की कमी का संबंध पीठ दर्द से होता है. कमर, कलाई, एड़ियों, जोड़ों में दर्द की वजह इसकी कमी हो सकती है.

4. डिप्रेशन

अगर आप डिप्रेशन से ग्रस्त हैं, तो ये विटामिन डी की कमी हो सकती है. कई अध्ययनों में शोधकर्ताओं ने अवसाद को विटामिन डी की कमी से संबंधित पाया है, खासकर उम्रदराज लोगों में. ये पाया गया है कि जिन लोगों में विटामिन डी की कमी होती है, वो हमेशा उदास और तनावग्रस्त रहते हैं. विटामिन डी डिप्रेशन से उबरने में मदद करता है.

5. घाव भरने में देरी

सर्जरी के बाद या कोई चोट लगने पर अगर आपके घाव भरने में काफी वक्त लग रहा है, तो ये विटामिन डी की कमी के कारण हो सकता है.

ये सभी दिक्कतें विटामिन डी की कमी के कारण हो सकती हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें.

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विटामिन डी की कमी जांचने के लिए टेस्ट कब कराते हैं?

डॉक्टर ये टेस्ट उन्हीं लोगों का कराते हैं, जिनमें विटामिन की कमी होने का सबसे ज्यादा जोखिम होता है. जैसे:

  • जो लोग ज्यादातर समय घर या ऑफिस के अंदर ही रहते हैं, बाहर नहीं निकलते.
  • जिन्हें कुछ चिकित्सीय दिक्कत हो (जैसे सीलिएक बीमारी), जिस वजह से विटामिन डी का अवशोषण मुश्किल हो.
  • जिन्हें ओस्टियोपोरोसिस हो, जिससे हड्डियां बहुत कमजोर हो गई हों
  • बड़ी आसानी से हड्डियों में फ्रैक्चर होने लगे या हड्डियां टूटे.
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विटामिन डी के स्रोत

मैक्स हेल्थकेयर के डॉक्टर सप्तर्षि भट्टाचार्य के इस लेख के मुताबिक विटामिन डी की कमी इन चार तरीकों से पूरी की जा सकती है.

1. धूप

2. प्राकृतिक भोजन (जैसे, मछली, मशरूम, अंडे)

3. फॉर्टफाइड फूड (दूध और खाद्य तेल)

4. सप्लीमेंट (डॉक्टर की सलाह पर ही इस्तेमाल करें)

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खाने-पीने की किन चीजों में विटामिन D पाया जाता है?

  • दूध, संतरे का जूस या दही और अनाज (जिसमें विटामिन डी मिलाया गया हो)
  • कॉड लिवर ऑयल: यह तेल कॉड मछली के जिगर से प्राप्त होता है और सेहत के लिए बेहद अच्छा माना जाता है. इससे जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद मिलती है और इसे कैप्सूल या तेल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
  • मशरूम: अगर आपको मशरूम पसंद हैं, तो आपको भरपूर विटामिन डी मिल सकता है. सूखे शीटेक मशरूम विटामिन डी 3 के साथ-साथ विटामिन बी के भी शानदार स्रोत हैं. इनमें कम कैलोरी होती है और इन्हें जब चाहे खाया जा सकता है.
  • सूरजमुखी के बीज: इनमें न केवल विटामिन डी 3, बल्कि मोनोअनसैचुरेटेड फैट और प्रोटीन भी भरपूर मात्रा में होता है.
  • सप्लीमेंट: विटामिन डी के सप्लीमेंट गोलियां, कैप्सयुल या लिक्विड के तौर पर उपलब्ध है. विशेषज्ञों के मुताबिक जिन लोगों में भोजन के जरिए विटामिन डी की पूर्ति नहीं हो पाती, उन्हें सप्लीमेंट लेने की जरूरत होती है, लेकिन इनका इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए.
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जरूरत से ज्यादा विटामिन डी भी ठीक नहीं

विटामिन डी की कमी को लेकर बढ़ती चिंता के बीच ये भी देखा जा रहा है कि कुछ स्थितियों में बिना वजह विटामिन डी की खुराक दी जा रही है या ज्यादा डोज दिया जा रहा है. विटामिन डी की अधिकता भी नुकसान पहुंचाती है और उसके भी साइड इफेक्ट होते हैं.
डॉक्टर सप्तर्षि भट्टाचार्य, मैक्स हेल्थकेयर

(इनपुट: आईएएनएस)

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