फैटी लिवर एक ऐसा विकार है, जो वसा के बहुत ज्यादा बनने के कारण होता है, जिससे यकृत यानी आपके जिगर का क्षय हो सकता है.
इस साल गैर-एल्कोहल फैटी लिवर रोग (NAFLD: Non-Alcoholic Fatty Liver Disease) के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, अभी तक कोई निश्चित आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं.
लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि वे हर महीने कम से कम 10 से 12 नए मामले देख रहे हैं, जो हर आयु वर्ग के हैं.
सभी तरह के NAFLD घातक नहीं हैं, लेकिन इनकी अनदेखी आगे चलकर परेशानी का सबब बन सकती है. एक बार पता लगने के बाद, रोगी को यह जानने के लिए आगे के परीक्षणों से गुजरना होता है कि जिगर में जख्म या सूजन तो नहीं है.
लिवर में सूजन से सिरोसिस का खतरा
लिवर की सूजन के लगभग 20 प्रतिशत मामलों में सिरोसिस विकसित होने की आशंका होती है. इसे एक 'साइलेंट किलर' के रूप में जाना जाता है. जब तक ये बीमारी बढ़ती नहीं है, तब तक इसके लक्षण स्पष्ट रूप से जाहिर नहीं होते.
हेल्थ केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ के.के. अग्रवाल का कहना है कि गैर-एल्कोहल फैटी लिवर रोग में लिवर की कई दशाओं को शामिल माना जाता है, जो ऐसे लोगों को प्रभावित करती है, जो शराब नहीं पीते हैं.
जैसा कि नाम से पता चलता है, इस स्थिति में लिवर की कोशिकाओं में बहुत अधिक वसा जम जाती है. एक हेल्दी लिवर में कम या बिल्कुल भी वसा नहीं होनी चाहिए.
NAFLD की मुख्य जटिलता सिरोसिस है, जो लिवर में देर से पड़ने वाले निशान (फाइब्रोसिस) हैं. सिरोसिस यकृत की चोट की प्रतिक्रिया में होता है, जैसे कि नॉनक्लॉजिक स्टीटोहेपेटाइटिस में लिवर सूजन को रोकने की कोशिश करता है और इसके लिए यह स्कारिंग क्षेत्रों (फाइब्रोसिस) को उत्पन्न करता है. निरंतर सूजन के साथ, फाइब्रोसिस अधिक से अधिक यकृत ऊतक ग्रहण करने के लिए फैलता है.डॉ के.के. अग्रवाल
फैटी लिवर से बढ़ जाता है दिल की बीमारियों का खतरा
डॉ अग्रवाल ने कहा कि इस स्थिति के कुछ संकेतों और लक्षणों में बढ़ा हुआ जिगर, थकान और ऊपरी दाएं पेट में दर्द शामिल है. जब यह सिरोसिस की ओर बढ़ता है, तो ये असाइटीज, बढ़ी हुई वाहिकाओं, तिल्ली, लाल हथेलियों और पीलिया का कारण बन सकता है.
उन्होंने कहा, “एनएएफएलडी वाले लोगों में हृदय रोग विकसित होने की अधिक आशंका रहती है और यह उनमें मृत्यु के सबसे आम कारणों में से एक है.”
डॉ अग्रवाल के मुताबिक वजन में लगभग 10 प्रतिशत की कमी लाने से वसायुक्त लिवर और सूजन में सुधार हो सकता है. वहीं कुछ अध्ययनों के अनुसार, दालचीनी अपने एंटीऑक्सिडेंट और इंसुलिन-सेंसिटाइजर गुणों के कारण लिपिड प्रोफाइल और एनएएफएलडी को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है.
डॉ अग्रवाल के कुछ सुझाव:
- फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और स्वस्थ वसा से भरपूर वनस्पति आधारित आहार का सेवन करें.
- अगर आप अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं, तो हर दिन खाने वाली कैलोरी की संख्या कम करें और अधिक व्यायाम करें.
- अगर आपका वजन ठीक है, तो स्वस्थ आहार का चयन करके और व्यायाम करके इसे बनाए रखने के लिए काम करें.
- हर दिन कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि करने की कोशिश करें.
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