क्या आपने कभी ऐसे हालात का सामना किया है, जब आपके दोस्त या सहकर्मी को अचानक हार्ट अटैक (दिल का दौरा) आया हो या सीने में तेज दर्द उठा हो? क्या तब आप घबरा उठे थे और नहीं जानते थे कि ऐसी हालत में क्या करना चाहिए? यह बहुत भयानक हो सकता है अगर आप तैयार नहीं हैं, अगर आप नहीं जानते कि क्या करना चाहिए. आपने उस पल मरीज की मदद नहीं की तो क्या होगा?
दुनिया भर में मौत का प्रमुख कारण, अचानक हार्ट अटैक बिना किसी लक्षण के हो सकता है. लेकिन कुछ मामलों में, मरीज को कार्डियक अरेस्ट के पहले से या इसके दौरान सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द, हल्की बेहोशी, थकान, मतली और उल्टी का एहसास हो सकता है.
अगर कुछ मिनटों के भीतर इलाज मिल जाए तो ज्यादातर मरीजों की कार्डियक अरेस्ट से मौत को टाला जा सकता है. एक आम इंसान के लिए कार्डियक अरेस्ट को पहचान पाना अक्सर मुश्किल होता है.
- अगर आप किसी शख्स को बेचैन या बेजान पाते हैं, तो सबसे पहली और सबसे जरूरी बात ये है कि इमरजेंसी मेडिकल सेवा के लिए फोन करें.
- कार्डियोपल्मोनरी रेसयूसिएशन (CPR) फौरन शुरू करें और तब तक जारी रखें जब तक प्रोफेशनल इमरजेंसी मेडिकल मदद ना आ जाए.
- अगर मदद के लिए दो लोग मौजूद हैं, तो एक फौरन CPR शुरू कर दे जबकि दूसरा शख्स मदद बुलाए.
- अगर मिल सके तो एक ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डेफिब्रिलेटर (AED) हासिल करें और इसके आते ही इसका इस्तेमाल शुरू करें.
- AED हमारे देश में आसानी से उपलब्ध नहीं है, लेकिन इन दिनों सार्वजनिक स्थानों पर इसकी उपलब्धता पर ज्यादा से ज्यादा जोर दिया जा रहा है. इसके अलावा, प्रशिक्षित स्टाफ के साथ एम्बुलेंस सेवाओं की कम उपलब्धता के कारण CPR में अक्सर देरी होती है.
- सांस्कृतिक मान्यताओं के कारण भी लोग दूसरों को मुंह से सांस देने में हिचकिचाते हैं. इसे सीखना मुश्किल है और अगर यह गलत तरीके से किया गया तो इससे गंभीर नुकसान हो सकता है.
इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए इंडियन सोसायटी ऑफ एनेस्थेसियोलॉजिस्ट (ISA) अब अस्पताल से बाहर आम लोगों के लिए कंप्रेशन ओनली लाइफ सपोर्ट (COLS) की सलाह देती है. हार्ट अटैक आने पर फौरन छाती पर दबाव डालना और जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाना सबसे जरूरी है. यह परिवार के सदस्यों द्वारा भी किया जा सकता है, जिसके सामने उनके करीबी को हार्ट अटैक आता है. इसका तरीका आसानी से सिखाया जा सकता है और इसकी ट्रेनिंग फोन से भी दी जा सकती है. COLS में तयशुदा चरणों की एक सीरीज होती है, जिनका क्रमवार पालन करने की जरूरत होती है:
हार्ट के फिर से काम करने के लिए चेस्ट कंप्रेशन
चेस्ट कंप्रेशन असरदार होना चाहिए जो कि मदद आने तक लगातार किया जाना चाहिए.
- मदद करने वाले को सामने होना चाहिए, मरीज के बिल्कुल सामने, कंधे थपथपा कर, जोर से बोलें और पूछें क्या आप ठीक हैं?’ ऐसी भाषा में जो मरीज समझ सकता है.
- मरीज को हिलाना-डुलाना नहीं चाहिए, गर्दन को तेज झटका नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे मरीज को और नुकसान हो सकता है.
- अगर मरीज जवाब नहीं दे रहा है, तो मदद करने वाले को मरीज के सांस के रास्ते को सुगम करने के लिए सिर को घुमाने और ठोड़ी को ऊपर उठाने का आसान सा उपाय करना चाहिए.
- दोनों हाथों से सीने पर 30 बार चेस्ट कंप्रेशन के पांच राउंड दिए जाने चाहिए.
- चेस्ट कंप्रेशन के हर राउंड के बाद कम से कम दो बार मुंह से सांस दिया जाना चाहिए.
- अगर मरीज प्रतिक्रिया करता है, चाहे बोल कर या समझ में आने वाले इशारों से, या सामान्य रूप से सांस ले रहा है, तो CPR देने की जरूरत नहीं है. ऐसे मरीज पर लगातार निगरानी रखने और उसे जल्द से जल्द नजदीकी मेडिकल सुविधा केंद्र तक पहुंचाने की जरूरत होती है.
अगर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती है, तो मरीज को कार्डियोपल्मोनरी अरेस्ट हो सकता है और उसे आगे मदद की जरूरत होगी. किसी भी हालत में, अगर मरीज के शरीर में हरकत नहीं हो रही है तो एंबुलेंस आने तक चेस्ट कंप्रेशन को रोकना नहीं चाहिए. अगर एक से ज्यादा मददगार उपलब्ध हैं, तो उन्हें एक-एक करके चेस्ट कंप्रेशन को जारी रखना चाहिए ताकि एक व्यक्ति थक जाए तो भी कंप्रेशन असरदार रहे.
कार्डियक अरेस्ट का शुरू में ही पता चल जाना, फौरन चेस्ट कंप्रेशन शुरू कर देना और मरीज को जल्द अस्पताल पहुंचाना मौके पर मौजूद या आम आदमी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जिससे मरीज की जान बचाई जा सकती है.
(डॉ उद्गीथ धीर फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में निदेशक और कार्डियक सर्जरी के हेड हैं.)
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