भारत ने खसरा को खत्म करने और 2020 तक रूबेला/जन्मजात रूबेला सिंड्रोम (CRS) को कंट्रोल करने का लक्ष्य रखा है. इसी के तहत समय-समय पर देश के राज्यों में खसरा-रूबेला टीकाकरण अभियान चलाया जाता है. इसमें 9 माह से लेकर 15 साल तक के बच्चों को एमआर वैक्सीन का डोज दिया जाता है.
साल 2017 में जब से MRV कैंपेन लॉन्च किया गया, तब से अब तक इस अभियान के तहत करीब 30 राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में लगभग 20 करोड़ से अधिक बच्चे कवर किए जा चुके हैं.
लेकिन एमआर वैक्सीनेशन को लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं. जैसे अगर वो पहले ही अपने बच्चे को रूटीन इम्यूनाइजेशन में इसका टीका लगवा चुके हैं, तो क्या उन्हें इस कैंपेन में दोबारा टीका लगवाना चाहिए? जानिए कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब, जो वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की ओर से जारी किए गए हैं.
MR वैक्सीनेशन की जरूरत क्यों?
मीजल्स और रूबेला का कोई खास इलाज नहीं है. लेकिन टीकाकरण के जरिए इन बीमारियों से बचा जा सकता है.
मीजल्स (खसरा) और रूबेला बेहद संक्रामक बीमारियां हैं. ये संक्रमित शख्स के खांसने और छींकने से फैलती हैं.
खसरे से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है. कई गंभीर बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है. जैसे दिखाई न देना, इंसेफेलाइटिस, डायरिया और न्यूमोनिया जैसे सांस से जुड़े इंफेक्शन.
दुनिया भर में खसरे से होने वाली मौतों में एक तिहाई मौत भारत में होती है.
रूबेला एक हल्का वायरल इंफेक्शन है, जो अक्सर बच्चों और वयस्कों में होता है. लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को रूबेला का संक्रमण होने से अबॉर्शन हो सकता है या नवजात में ब्लाइंडनेस, डीफनेस, हार्ट डिफेक्ट (जिसे कॉन्जेनिटल रूबेला सिंड्रोम (CRS) कहते हैं) का खतरा रहता है. इससे ग्रस्त बच्चों के विकास में दिक्कतें आ सकती हैं या जीवन भर के लिए विकलांगता के शिकार हो सकते हैं.
दुनिया भर में जन्म लेने वाले कॉन्जेनिटल रूबेला सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चों में एक तिहाई बच्चे भारत में होते हैं.
एमआर वैक्सीन 9-12 माह और 16-24 माह के बच्चों को दी जाती है. भारत सरकार अपने इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम के जरिए मुफ्त एमआर वैक्सीन देती है.
फिर MR वैक्सीनेशन कैंपन क्यों?
ये एक खास अभियान है, जिसमें 9 माह से लेकर 15 साल तक के बच्चों को एमआर वैक्सीन का एडिशनल डोज दिया जाता है.
इस एडिशनल डोज से बच्चे की इम्यूनिटी बढ़ेगी और मीजल्स-रूबेला के ट्रांसमिशन को खत्म कर पूरा समुदाय सुरक्षित होगा.
अगर बच्चे को पहले ही MR का टीका लगाया जा चुका है, तो क्या कैंपेन में भी वैक्सीनेशन जरूरी है?
9 माह-15 साल तक के सभी बच्चों का इस अभियान में वैक्सीनेशन कराना चाहिए.
ये जरूरी है कि बच्चों को रूटीन इम्यूनाइजेशन और कैंपेन दोनों ही बार टीका लगवाया जाए ताकि इन रोगों से लड़ने के लिए उनकी इम्यूनिटी बढ़ सके.
भारत में हर साल 27 लाख बच्चों को खसरा होता है. वहीं हर साल 40 हजार बच्चों का जन्म जन्मजात कमियों (Congenital Rubella Syndrome) के साथ होता है.
बच्चों को MR टीका कब नहीं लगवाना चाहिए?
- अगर बच्चे को तेज बुखार या कोई गंभीर बीमारी हो
- जो बच्चे हॉस्पिटल में एडमिट हों
- जिन्हें MR वैक्सीन से पहले एलर्जी रही हो
- जो बच्चे स्टेरॉयड थेरेपी पर हों
वैक्सीन का ये एडिशनल डोज कितना सुरक्षित है?
इस कैंपेन में इस्तेमाल एमआर वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है.
दूसरी वैक्सीन की तरह ही जहां इंजेक्शन लगाया गया है, वहां हल्का सा दर्द या लाली आ सकती है, हल्का, चकत्ते और मांसपेशी में दर्द हो सकता है.
(इनपुट: आईएएनएस, WHO)
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