सेल्फ मेडिकेशन का सीधा मतलब है बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई लेना. अधिकतर लोगों को इसका अंदाजा भी नहीं है कि सेल्फ मेडिकेशन कितना खतरनाक हो सकता है. कई दवाइयों के साइड इफेक्ट होते हैं. अगर इन्हें दूसरी दवाइयों के साथ लिया जाता है, तो ये हानिकारक भी साबित हो सकती हैं.
एक पार्टी में मैं लोगों से ये कहानियां सुन रहा था कि वो कौन सी दवाइयां खा रहे हैं. मुझे हैरानी हुई कि अधिकतर लोग कोई न कोई दवाई ले रहे थे. चौंकाने वाली बात थी कि उनमें से आधे से ज्यादा लोग ये दवाइयां बिना डॉक्टर की सलाह के ले रहे थे.
52 प्रतिशत भारतीय अपना इलाज खुद करते हैं क्योंकि डॉक्टर के पास जाने के लिए उनके पास समय नहीं है. एक हेल्थकेयर फर्म लाइब्रेट द्वारा 10 अलग - अलग शहरों के 20,000 लोगों पर किए गए एक पैन - इंडिया स्टडी में ये परिणाम सामने आए हैं.
अध्ययन में लोगों ने कहा कि जब हमें अचानक दर्द, सिहरन या कोई दूसरी दिक्कत हुई और उसके कारण का भी पता नहीं था, तो हम डॉक्टर के पास जाने की बजाए इंटरनेट पर गए और बीमारी का कारण, दवाई और मात्रा के बारे में पता किया.
सिरदर्द की खुद से कोई दवाई लेने से पहले दो बार सोचें
अगर आपको लगातार सिर में दर्द रहता है और डॉक्टर को दिखाने की बजाए आप पेरासिटेमॉल खा रहे हैं, तो शायद आपको पता नहीं है कि लंबे समय तक पेरासिटेमॉल खाना लिवर के लिए घातक हो सकता है.
बीमारी की गलत पहचान
कुछ मामलों में इंटरनेट बहुत ही सशक्त माध्यम हो सकता है, कुछ बहुत अच्छी मेडिकल वेबसाइट हैं, जो बीमारियों के बारे में उपयोगी सलाह और सूचना प्रदान करती हैं. लेकिन, समस्या यह है कि कई बार कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी पुराने दर्द के तौर पर शुरू होती हैं. इसलिए जब ऐसी गंभीर, जानलेवा बीमारी को सामान्य समझकर खुद इलाज करने की कोशिश की जाती है, तो परिणाम बहुत खतरनाक होते हैं.
साइड इफेक्ट
हम अभी तक ऐसी दवा खोजी जा रही है, जिसके कोई दुष्प्रभाव न हों. अनुपयुक्त दवाएं लंबे समय तक लेने से दुष्प्रभाव डाल सकती हैं. सबसे अधिक दुरुपयोग या अति दुरुपयोग जिस दवा का होता है, वह हैं एंटीएसिड्स (एंटासिड्स के विपरीत). ये आपकी प्रतिरोधक क्षमता और पाचन शक्ति को क्षति पहुंचा सकती है.
निर्भरता
सबसे बड़ा खतरा तनावरोधी और अवसादरोधी दवाओं पर निर्भरता होने का है, लेकिन आप डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं जैसे एंटासिड्स, खांसी के सिरप और दर्द निवारकों के भी आदी हो सकते हैं.
हो सकते हैं एलर्जी के शिकार
कोई भी दवाई शरीर पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है. कुछ मामलों में ये घातक भी हो सकती है.
गलत डोज में दवाएं लेने का खतरा
दवाइयों की अपर्याप्त खुराक बीमारी को ठीक नहीं करती और इलाज को लंबा कर देती है. वहीं, दूसरी तरफ, जरूरत से ज्यादा खुराक कई अंगों को क्षति पहुंचा सकती है. उदाहरण के लिए, विटामिन का अत्यधिक इस्तेमाल हाइपरविटामिनोसिस या विटामिन की विषाक्तता का कारण बन सकता है.
लंबे समय तक एंटीबायोटिक्स का अत्यधिक उपयोग रोगाणुरोधी क्षमता को नुकसान पहुंचाता है. परिणामस्वरूप भविष्य में एंटीबायोटिक आपके शरीर पर निष्प्रभावी हो सकते हैं और इससे सुपरबग्स का संकट उत्पन्न हो सकता है.
ब्लीडिंग और स्ट्रोक का खतरा
दर्द निवारक दवाओं का सामान्यता सबसे अधिक उपयोग या कहें दुरुपयोग होता है. दर्दनाशक पेट में सूजन पैदा कर सकते हैं. इससे अल्सर और रक्तस्राव का कारण बनता है. अन्य खतरे ये भी हैं कि ये दवाएं उच्च रक्तचाप वाले मरीजों में स्ट्रोक का खतरा चार गुना तक बढ़ा सकती हैं.
गर्भवती महिलाओं द्वारा सेल्फ- मेडिकेशन
सबसे महत्वपूर्ण है कि गर्भधारण में सभी दवाओं से बचना चाहिए. यहां तक कि सुरक्षित लगने वाली दवाएं भी विशेष तौर पर गर्भधारण की पहली तिमाही में अजन्मे बच्चे पर बुरा प्रभाव डाल सकती हैं. ये जन्मजात विसंगतियों का कारण बन सकता है.
संदेश स्पष्ट है कि इंटरनेट पर डॉक्टर से ज्यादा भरोसा न करें. अगर बीमारी के लक्षण एक या दो दिनों में ठीक नहीं होते तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.
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ये आर्टिकल 31.01.16 को सबसे पहले FIT पर पब्लिश किया गया था.
डॉ अश्विनी सेतिया दिल्ली के मैक्स सुपरस्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट और प्रोग्राम डायरेक्टर हैं. डॉ सेतिया की कोशिश है कि लोग बिना दवाइयों के हेल्दी और फिट रह सकें. आप इनसे ashwini.setya@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं.
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