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Wilson Disease: विल्सन रोग का रिस्क किसे अधिक होता है? इन लक्षणों को न करें अनदेखा

विल्सन रोग का बुरा असर शरीर के मुख्य अंगों पर पड़ता है. इस बीमारी में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए?

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Wilson Disease Symptoms: विल्सन रोग एक ऑटोसोमल रिसेसिव कंडीशन है, जिसमें शरीर में कॉपर की मात्रा अधिक हो जाती है. यह एक रेयर जेनेटिक बीमारी है, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाती है. यह बीमारी प्रोटीन एटीपी 7 बी में म्यूटेशन के कारण होता है और इससे प्रभावित होने वाले लोगों में उनके माता-पिता से उन्हें इसकी एक कॉपी जेनेटिक रूप से मिलती है.

क्या है विल्सन रोग? इस बीमारी का रिस्क किसे अधिक होता है? इसके लक्षण, डायग्नोसिस और इलाज के उपाय क्या हैं? इस बीमारी में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए?

फिट हिंदी ने गुरुग्राम नारायणा हॉस्पिटल में पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड हेपेटोलॉजी की सीनियर कंसलटेंट एंड क्लीनिकल लीड, डॉ. शिवानी देसवाल से बात की और विस्तार से जाना इस जेनेटिक बीमारी के बारे में.

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विल्सन रोग किसे कहते हैं?

विल्सन डिजीज एक रेयर जेनेटिक बीमारी है, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाती है. यह रोग प्रत्येक 30,000 लोगों में से 1 को हो सकता है. जब आपके शरीर में कॉपर की मात्रा अधिक हो जाती है, तब विल्सन रोग होता है. इस बीमारी के दौरान शरीर के मुख्य भाग जैसे लीवर, ब्रेन, आंख, किडनी और दिल प्रभावित होते हैं. अगर आपको अपने बच्चे में विल्सन रोग के लक्षण दिखते हैं, तो आपको तुरंत किसी अच्छे पीडियाट्रिक हेपेटोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए.

इसके लक्षण क्या हैं?

विल्सन रोग के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि आईएसएसए समस्या से आपके शरीर का कौन सा अंग प्रभावित है. अलग-अलग अंग के आधार पर लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, जैसे कि अगर इस रोग से आपका लीवर प्रभावित है, तो आपको दुर्बलता, थकान, वजन घटना, जी मिचलाना, उल्टी, भूख में कमी, पीलिया, पैरों और पेट की सूजन या दर्द जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं.

इसके अलावा, ब्रेन प्रभावित होने पर आपको लिखने-बोलने में समस्या, नजर की समस्या, चलने में समस्या, सिरदर्द, अनिद्रा और डिप्रेशन जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं.

इस बीमारी का पता डॉक्टर द्वारा किए गए क्लिनिकल टेस्ट के बाद ही लगाया जा सकता है.

इस बीमारी का रिस्क किसे अधिक होता है?

ऐसे लोग जिनके परिवार में विल्सन रोग का इतिहास है और कई पीढ़ियों से यह समस्या बनी हुई है, तो उनमें विल्सन रोग से ग्रसित होने की आशंका अधिक होती है. कई बार यह रोग लगातार पीढ़ियों में न होकर एक पीढ़ी के अंतराल के बाद अगली पीढ़ी में भी पाया जा सकता है. खासकर ऐसे लोग जिनके प्रथम श्रेणी के रिश्तेदार जैसे- माता-पिता, भाई-बहन को यह रोग है उन्हें इस रोग के होने का खतरा ज्यादा होता है.

विल्सन रोग से ग्रसित लोगों में आमतौर पर इस रोग के लक्षण तब विकसित होते हैं, जब इनकी उम्र 5 से 40 वर्ष के बीच में होती है.

इस बीमारी में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए?

विल्सन रोग से पीड़ित लोगों को ऐसे आहार का सेवन करना चाहिए, जिसमें कॉपर की मात्रा कम हो जैसे- डेयरी प्रोडक्ट्स, चावल, नियमित दलिया, चाय, कॉफी, नींबू पानी और ऐसे खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए जिनमें कॉपर अधिक मात्रा में पाया जाता है जैसे बीफ, लिवर, नट्स, मशरूम, शेल्फिश (सीपदार मछली), चॉकलेट और कोको.

क्या ये बीमारी सिर्फ भारतीयों में पाई जाती है?

भारत में आमतौर पर पाया जाने वाला इस रोग से जुड़ा हुआ म्यूटेशन p.C271x है. विल्सन रोग एक दुर्लभ बीमारी है, जो दुनिया के लगभग अधिकांश क्षेत्रों में समान रूप से फैली हुई है. पुरानी स्टडीज के आधार पर यह रोग प्रत्येक 30,000 लोगों में से 1 को प्रभावित करता है. भारत की तुलना में यूनाइटेड किंगडम में 7000 में से 1 को यह रोग प्रभावित करता है और इटली में भी इस रोग से ग्रसित होने वाले लोगों की संख्या अधिक पाई जाती है.

विल्सन रोग के डायग्नोसिस के लिए कौन से टेस्ट्स किए जाते हैं?

विल्सन रोग की जांच के लिए अलग-अलग अंग के आधार पर अलग-अलग तरह के टेस्ट्स किए जाते हैं. सेरुलोप्लास्मिन ब्लड टेस्ट, चौबीस घंटे के सारे यूरिन का कॉपर यूरिन टेस्ट, आंखों का स्लिट-लैंप टेस्ट से केएफ रिंग को पकड़ा जाता है.

क्या है इसका इलाज?

इलाज के जरिए इस बीमारी के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जाता है. इसमें डॉक्टर चिलेटिंग दवाइयां जैसे डी-पेनिसिलेमीन, ट्राइएंटीन के साथ सही डाइट के माध्यम से उपचार करते हैं. इसके अलावा उपचार के लिए जिंक का प्रयोग भी किया जाता है, जो रोगी के शरीर में कॉपर के अब्सॉर्प्शन को कम करने का काम करता हैं. अगर लिवर सिरोसिस हो जाता है और मेडिकल थेरेपी काम नहीं करती है, तो लिवर ट्रांसप्लांट इसके लिए सबसे सही विकल्प है.

बच्चों में विल्सन बीमारी से होने वाले लिवर पर असर का पता कैसे चलता है?

विल्सन रोग की क्लिनिकल प्रेजेंटेशन अलग-अलग हो सकती है. यह संभावना भी है कि बच्चे में बिल्कुल भी लक्षण दिखाई न दें और अचानक लिवर फंक्शन टेस्ट के बाद ही इसका पता चले. बच्चे में पीलिया, उल्टी में खून आना या पेट में पानी के साथ गंभीर लिवर डिजीज के लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं. कभी-कभी में बच्चे लिवर फेलियर भी सकता है.

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