जब पूरा देश नए साल का स्वागत कर रहा था. 1 जनवरी, 2019 के आगाज को आधे घंटे भी नहीं हुए थे. रात 12 बजकर 18 मिनट पर नई दिल्ली के वसंतकुंज में फोर्टिस हॉस्पिटल के इमरजेंसी विंग में अर्चना गुप्ता को बेहद गंभीर हालत में लाया गया. उन्हें गोली लगी थी.
2 जनवरी को डॉक्टर्स ने उन्हें ब्रेन डेड डिक्लेयर कर दिया. दुःख की इस घड़ी में भी उनके परिवार ने मजबूती और साहस का परिचय देते हुए उनकी किडनी डोनेट करने का फैसला किया.
मेडिको-लीगल केस होने के नाते दिल्ली पुलिस से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) लिया गया.
अर्चना को पूर्व-एमएलए की ओर से नए साल की खुशी में दी गई पार्टी में गोली लगी थी. वो अपने पति और दोस्तों के साथ जेडीयू के पूर्व एमएलए राजू सिंह के साउथ दिल्ली के वसंतकुंज फार्म हाउस पर मौजूद थीं.
ये आरोप है कि जश्न में गोली खुद पूर्व एमएलए ने चलाई थी.
2 जनवरी, बुधवार तक अर्चना गंभीर हालत में लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रहीं. डॉक्टरों की टीम के बहुत कोशिशों बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका.
हॉस्पिटल की ओर से अर्चना के परिवार को किडनी डोनेट कर दूसरे लोगों की मदद करने का प्रस्ताव दिया गया, जिसे उनके परिवार ने स्वीकार कर लिया.
NOTTO (नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन) के अनुसार अगर किसी मरीज को ब्रेन डेड घोषित कर दिया जाता है, तो अस्पताल अंगदान के नेक काम के लिए परिवार से बात कर सकता है.
NOTTO प्रोटोकॉल और दिशानिर्देश के मुताबिक हरेक हॉस्पिटल को संभावित अंगदान की सूचना इस सरकारी संस्था को देनी होती है. यही सरकारी बॉडी प्राथमिकता सूची के आधार पर ये तय करती है कि किस अंग को किस अस्पताल में भिजवाना है ताकि अंगदान का इंतजार करने वाले मरीज को समय पर इसे लगाया जा सके.
इस केस में भी जरूरी स्वीकृतियों के बाद अस्पतालों की लिस्ट को देखते हुए ये तय किया गया. एक किडनी अपोलो हॉस्पिटल में भेजी गई और दूसरी को फोर्टिस, वसन्तकुंज को दिया गया.
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