सुदीति डांस करना पसंद करती है, लेकिन वो अपनी डांस क्लास के लिए नहीं जा सकती.
2 साल अमेरिका में रहने के बाद, सुदीति का परिवार दिल्ली चला आया. सुदिती को यहां सांस लेने में दिक्कत होने लगी. 5 साल की उम्र में ही उसे अपने रोजाना की कई एक्टिवीटिज पर बंदिश लगानी पर रही है सिर्फ दिल्ली के पाॅल्यूशन की वजह से.
पाॅल्यूशन बढ़ने की वजह से पिछले एक दशक में भारत में बच्चों के बीच अस्थमा में भारी वृद्धि देखी गई है. देश में 10 साल से कम उम्र के दस-पंद्रह प्रतिशत बच्चे सांस की बीमारी से पीड़ित हैं. सुदीति जैसे कई बच्चे चलने से पहले ही अस्थमा के शिकार हो जा रहे हैं.
ठंड के मौसम में स्थिति और भी खराब हो जाती है. उसे अपना स्कूल भी छोड़ना पड़ता है.
उसे दवा लेने के लिए दिन में 5-6 बार अपने नेबुलाइजर का यूज करना पड़ता है. डॉक्टर ने उसके पेरेंट्स से कहा है कि अगर वो चाहते हैं कि सुदीति की कंडीशन बेहतर हो, तो उन्हें दिल्ली से बाहर चले जाना चाहिए.
लेकिन क्या एक परिवार के लिए ये इतना आसान है?
क्या हम अपने बच्चों को ऐसे पालना चाहते हैं?
वीडियो एडिटर: कुणाल मेहरा
कैमरापर्सन: अभय शर्मा
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)