ADVERTISEMENTREMOVE AD

ब्लड डोनर डे: मिथकों में पड़कर खुद को ब्लड डोनेट करने से न रोकें

इस वर्ल्ड ब्लड डोनर डे पर जानिए ब्लड डोनेशन से जुड़े कुछ मिथकों की सच्चाई.

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

‘तुम हमें खून दो, हम तुम्हें बेहतर हेल्थकेयर और फ्रूटी देंगे.’ यह वास्तव में कोई ऑफिशियल स्लोगन नहीं है. लेकिन किसी की मदद करने का क्या यह एक रवैया नहीं हो सकता? मौजूदा समय में, जब हम किसी इमरजेंसी का सामना करते हैं, सिर्फ उसी समय हम में से अधिकतर लोग रक्तदान या ब्लड डोनेट करने के बारे में सोचते हैं. लेकिन वो सबसे खराब समय होता है, जब हम सुरक्षित रक्त की तलाश में भागदौड़ करते हैं. खून उपलब्ध नहीं होने के कारण भी कई मामलों में मौतें हुई हैं.

विकासशील देशों में रिप्लेसमेंट डोनेशन प्रचलित है, जहां जिस व्यक्ति को खून की जरूरत होती है, उसके दोस्त या परिवार के सदस्य ब्लड डोनेट करते हैं. इसके बदले उन्हें उनकी जरूरत के अनुसार ब्लड बैंक से खून मिल जाता है. इससे जरूरतमंद व्यक्ति के परिवार से मिले खून को ब्लड बैंक के खून से रिप्लेस कर दिया जाता है. हालांकि, हमें 100 प्रतिशत स्वेच्छा से और बिना पैसे के रक्तदान का लक्ष्य तय करना होगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
साल 2008 से 2013 के बीच स्वैच्छिक (Voluntary), बिना पैसे (Unpaid) के रक्तदान 1.07 करोड़ बढ़ा है. कुल 57 देशों में 100 प्रतिशत ब्लड सप्लाई स्वैच्छिक, बिना पैसे के ब्लड डोनर्स के जरिये होती है.

नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (NACO) के अनुसार, स्वैच्छिक रक्त दान 2006 में 54.4 प्रतिशत से बढ़कर 2013-14 में 84 प्रतिशत हो गया है. हालांकि, एक्सपर्ट का कहना है कि डाटा गुमराह करने वाले हैं. जीवन ब्लड बैंक के फाउंडर डॉ पी. श्रीनिवासन कहते हैं:

हालांकि, सरकार के कई डॉक्यूमेंट्स में 80 प्रतिशत से अधिक स्वैच्छिक रक्तदान की बात कही गई है, लेकिन फैक्ट्स कुछ और हैं. 50 प्रतिशत से अधिक ब्लड प्राइवेट सेक्टर, विशेष रूप से कॉर्पोरेट हॉस्पिटल्स द्वारा यूज किया जाता है. वे रिप्लेसमेंट डोनेशन पर जोर देते हैं और किसी भी तरह का ब्लड डोनेशन कैंप नहीं लगाते हैं. इसलिए, भारत में स्वैच्छिक रक्तदान 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है.

जबकि बहुत से लोग खून देना चाहते हैं और शायद रेगुलर डोनर भी बन जाते हैं. वे ब्लड डोनेट करने की एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को नहीं जानते हैं. ब्लड डोनेशन से जुड़े मिथक स्वैच्छिक ब्लड डोनर्स को रक्तदान के लिए आगे बढ़ने से हतोत्साहित करते हैं.

इस वर्ल्ड ब्लड डोनर डे पर, आइए एक बार और सभी के लिए ब्लड डोनेशन को लेकर स्थिति को स्पष्ट करें.

मिथक # 1: ब्लड डोनेट करना मेरे हेल्थ के लिए अच्छा नहीं है, मैं कमजोर हो जाऊंगा.

ब्लड डोनेट करने से आपके शरीर पर कोई असर नहीं पड़ता है. वास्तव में, ब्लड डोनेट करने से दिल का दौरे पड़ने की आशंका कम हो जाती है क्योंकि यह ब्लड को बाहर निकाल देता है. लगभग 70-80 मिलीलीटर रेड ब्लड सेल्स हर 120 दिनों में अपने आप नष्ट हो जाते हैं, जो नए रेड ब्लड सेल्स रिप्लेस होते हैं. डोनेशन सेशन के दौरान केवल 350-450 ml ब्लड लिया जाता है. शरीर में लगभग 5 लीटर ब्लड है. शरीर डोनेट किए गए रक्त को आसानी से पूरा कर लेता है.

मिथक # 2: ब्लड डोनेट करने से मुझे HIV या दूसरे इंफेक्शन हो सकते हैं.

ब्लड डोनेशन के प्रोसेस में हर लेवल पर स्टरलिटी बनी रहती है. प्रत्येक डोनेशन के लिए एक नई, स्टेराइल सुई का उपयोग किया जाता है. हर सेशन के अंत में इसे ठीक से डिस्पोज किया जाता है. स्टेराइल इक्यूपमेंट्स और तकनीक का उपयोग इंफेक्शन की आशंका को सीमित करता है.

मिथक # 3: मैं पहले ही इस साल एक बार ब्लड डोनेट कर चुका हूं. मैं फिर से ब्लड डोनेट नहीं कर सकता.

आप साल में चार बार, हर तीन महीने में एक बार ब्लड डोनेट कर सकते हैं. डोनेट किए गए ब्लड की एक यूनिट से तीन लोगों की जान बच सकती है. इस तरह हिसाब लगाएं कि अगर आप नियमित रूप से और स्वेच्छा से 18 से 60 वर्ष की आयु के बीच ब्लड डोनेट करते हैं, तो आप कितने लोगों की जिंदगी बचा सकते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मिथक # 4: अगर मैं किसी भी तरह की दवा ले रहा हूं तो मैं ब्लड डोनेट नहीं कर सकता.

आपको 72 घंटे पहले किसी भी एंटीबायोटिक्स या अन्य दवा नहीं लेने को कहा जाएगा. इससे आपका सिस्टम साफ हो सकेगा.

ब्लड डोनेट करने से पहले एक जांच प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि ब्लड सेफ है. इसमें शुरुआती हेल्थ चेकअप, इंफेक्शन और ब्लड ग्रुप की जांच और एक हेल्दी हिस्ट्री स्कैन शामिल है.

मिथक # 5: मैं ब्लड डोनेट करने के बाद स्पोर्ट्स या अन्य फिजिकल एक्टिविटी में भाग नहीं ले सकता.

नहीं, ब्लड डोनेट करने से फिजिकली परफॉर्म करने की आपकी क्षमता में कोई बाधा नहीं आती है. हालांकि, आपको ब्लड डोनेशन के बाद उस दिन के लिए भारी वजन उठाने और वर्कआउट से दूर रहने की सलाह दी जाएगी. आप अगले दिन ट्रैक पर वापस आ सकते हैं.

ब्लड डोनेट करने के बाद थोड़ी देर आराम करने की सलाह दी जाती है. पर्याप्त लिक्विड पीने से कुछ घंटों में शरीर से निकले फ्लूइड्स को रिप्लेस करने में मदद मिलेगी. ब्लड डोनेट करने के बाद बॉडी तेजी से नई सेल्स प्रोड्यूस करती है. रेड ब्लड सेल्स को 3 से 4 दिनों के भीतर और व्हाइट ब्लड सेल्स को तीन हफ्तों में रिप्लेस कर दिया जाता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मिथक # 6: महिलाएं ब्लड डोनेट नहीं कर सकती हैं.

जबकि अधिकांश महिलाओं में कम हीमोग्लोबिन होता है, 12 और उससे ऊपर के हीमोग्लोबिन लेवल वाला कोई भी व्यक्ति ब्लड डोनेट कर सकता है.

मिथक # 7: मैंने टैटू बनवाया है या पियरसिंग कराई है, मैं ब्लड डोनेट नहीं कर सकता.

जब तक टैटू बनाने की प्रक्रिया स्टेराइल (जीवाणुरहित) तरीके से की गई है, आप इसे बनवाने के एक साल बाद ब्लड डोनेट कर सकते हैं. पियरसिंग, एक्यूपंक्चर और सुइयों से जुड़ी अन्य प्रोसीजर के लिए भी समान नियम लागू होते हैं.

ब्लड डोनेट करने से आपके शरीर को कोई नुकसान नहीं होता है. अगर कुछ है भी तो वो ये है कि ऐसा करना आपके दिमाग और शरीर को स्वस्थ बनाता है. आगे बढ़ें और ब्लड डोनेट करें. हजारों लोगों को आपके इस मदद की जरूरत है. 

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×