World Hypertension Day 2023: गेस्टेशनल हाइपरटेंशन (Gestational Hypertension) गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर का एक रूप है. यह एक ऐसी स्थिति है, जो गर्भधारण के ठीक बाद शुरू होती है. यह समस्या अक्सर उन युवा महिलाओं को प्रभावित करती है, जो अपनी पहली गर्भावस्था का अनुभव कर रही हैं. यह ज्यादातर जुड़वां बच्चों के गर्भधारण में, 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में, जिन्हें पहले से हाई ब्लड प्रेशर है या जिन्हें पहले यह हो चुका है और जिन्हें डायबिटीज है.
गेस्टेशनल हाइपरटेंशन क्यों होता है? क्या हैं इसके लक्षण? इससे कैसे बचें? फिट हिंदी के इन सारे सवालों के जवाब दे रहीं हैं दिल्ली, सीके.बिरला हॉस्पिटल में ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी की लीड कंसलटेंट- डॉ. मंजूषा गोयल.
गर्भावस्था में खतरनाक हो सकता हाई ब्लड प्रेशर
"एक महिला को गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर का शिकार होने की आशंका तब होती है, जब उनका ब्लड प्रेशर 140/90 मिमी एचजी से अधिक होता है और कोई प्रोटीनूरिया (पेशाब में अतिरिक्त प्रोटीन) नहीं होता है. यह ज्यादातर गर्भावस्था के 20वें सप्ताह के बाद होता है. गर्भवती महिलाओं में जानलेवा समस्याओं का सामना करने की आशंका लगभग 15% है."डॉ. मंजूषा गोयल, लीड कंसलटेंट- ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी, सीके.बिरला हॉस्पिटल, दिल्ली
भारत में, गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या जिसे HDOP भी कहा जाता है, 18.35% मातृ रुग्णता (maternal morbidity) और 0.96% मातृ मृत्यु के लिए जिम्मेदार है. कुछ मामलों में, गेस्टेशनल हाइपरटेंशन एक चिंता का विषय हो सकता है क्योंकि यह दूसरे अंग प्रणालियों के बीच गर्भवती मां के लिवर, गुर्दे, मस्तिष्क, गर्भाशय और प्लेसेंटा में ब्लड के प्रवाह को कम कर सकता है.
"कुछ गर्भधारण का नतीजा प्लेसेंटल अब्रप्शन हो सकता है, जो कि गर्भाशय का प्लेसेंटा से पहले ही अलग हो जाने की समस्या है. गेस्टेशनल हाइपरटेंशन संभावित रूप से भ्रूण की कठिनाइयों का कारण बन सकता है और बच्चे की विकास में बाधा दे सकता है."डॉ. मंजूषा गोयल, लीड कंसलटेंट- ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी, सीके.बिरला हॉस्पिटल, दिल्ली
गंभीर प्रसवपूर्व हाई ब्लड प्रेशर का परिणाम जानलेवा दौरे (एक्लेमप्सिया) हो सकता है और अगर बिना इलाज के छोड़ दिया जाए तो मां और गर्भ में पाल रहे होने वाले शिशु की मौत हो सकती है.
गेस्टेशनल हाइपरटेंशन के सही का पता अभी नहीं चला है
गेस्टेशनल हाइपरटेंशन का सटीक कारण ज्ञात नहीं है, लेकिन कई कारक इसके विकास में योगदान कर सकते हैं. इन कारकों में शामिल हैं:
हार्मोनल परिवर्तन: गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को हार्मोनल परिवर्तन का सामना करना पड़ता है, जो रक्त धमनियों में परिवर्तन और फिर हाई ब्लड प्रेशर का कारण बनता है. ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने वाले हार्मोन जैसे एंजियोटेंसिन और एल्डोस्टेरोन में असंतुलन भी गेस्टेशनल हाइपरटेंशन में भूमिका निभा सकता है.
प्लेसेंटल असामान्यताएं: हाई ब्लड प्रेशर तब भी हो सकता है, जब प्लासेंटा के विकास और कार्यप्रणाली(functioning) में समस्याएं हों, जैसे अपर्याप्त ब्लड आपूर्ति या गलत इम्प्लांटेशन.
धूम्रपान और शराब का सेवन: धूम्रपान और शराब सीधे गर्भवती महिलाओं में हाई ब्लड का कारण नहीं बनते हैं, लेकिन यह समग्र (overall) खराब स्वास्थ्य में योगदान कर सकते हैं और दूसरी जटिलताओं के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, जो अप्रत्यक्ष रूप से ब्लड प्रेशर को प्रभावित कर सकते हैं. एक स्वस्थ गर्भावस्था को बनाए रखने और गेस्टेशनल हाइपरटेंशन के जोखिम को कम करने के लिए, गर्भवती महिलाओं को सलाह दी जाती है कि वे धूम्रपान और शराब का सेवन पूरी तरह से बंद कर दें.
फैमिली हिस्ट्री: गर्भावस्था से संबंधित हाई ब्लड प्रेशर का पारिवारिक इतिहास होना.
गेस्टेशनल हाइपरटेंशन के लक्षण
गेस्टेशनल हाइपरटेंशन अक्सर ध्यान देने योग्य लक्षणों के साथ आता है, यही कारण है कि प्रसवपूर्व ब्लड प्रेशर की नियमित निगरानी महत्वपूर्ण है. हालांकि, कुछ महिलाओं में यहां बताए लक्षणों का अनुभव हो सकता है:
हाई ब्लड प्रेशर (लगातार 140/90 mmHg से ऊपर) रहना.
हाथ, पैर या चेहरे में सूजन रहना.
फ्लूइड रिटेंशन के कारण वजन अधिक बढ़ना.
प्रोटीनूरिया (पेशाब में प्रोटीन की उपस्थिति) एक अधिक गंभीर स्थिति का संकेत दे सकता है, जिसे प्रीक्लेम्पसिया कहा जाता है.
गेस्टेशनल हाइपरटेंशन के जोखिम को कम करने के लिए क्या करें?
गेस्टेशनल हाइपरटेंशन को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है, लेकिन जोखिम को कम करने के लिए महिलाएं कुछ कदम उठा सकती हैं. एक्सपर्ट ने यहां कुछ तरीके बताए हैं, जो हाई ब्लड प्रेशर को रोकने में महिलाओं की मदद कर सकते हैं:
नियमित प्रसव पूर्व देखभाल: महिलाओं के लिए प्रसव पूर्व देखभाल अत्यंत महत्वपूर्ण है. महिलाओं को अपने सभी निर्धारित प्रसव पूर्व जांचों में शामिल होना चाहिए और अपने डॉक्टर की सिफारिशों का पालन करना चाहिए. गर्भावस्था के दौरान रक्तचाप और स्वास्थ्य की नियमित निगरानी बहुत जरूरी है, जिससे शुरुआती दौर में गेस्टेशनल हाइपरटेंशन सम्बंधित जटिलताओं का पता लगाने और उन्हें प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है. उच्च जोखिम वाले रोगियों में गर्भावस्था से हुए हाई ब्लड प्रेशर को रोकने के लिए डॉक्टर 13 सप्ताह में दवाइयां शुरू कर सकते हैं.
स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखें: कहा जाता है कि स्वस्थ आदतें गेस्टेशनल हाइपरटेंशन के जोखिम को कम कर सकती हैं. महिलाओं को संतुलित आहार लेना चाहिए जो फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और प्रोटीन से भरपूर हो. अत्यधिक नमक का सेवन, प्रोसेस्ड फ़ूड और सैचुरेटेड फैट खाद्य पदार्थों से बचना आवश्यक है. नियमित शारीरिक गतिविधि करते रहना चाहिए जिससे गर्भावस्था के दौरान हार्ट हेल्थ को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है.
अपना वजन नियंत्रित करें: गर्भावस्था से पहले महिला अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त है, तो गर्भधारण से पहले स्वस्थ वजन मैंटेन करने की दिशा में काम करना महत्वपूर्ण है. मोटापा गेस्टेशनल हाइपरटेंशन के लिए एक जोखिम कारक है. एक डॉक्टर व्यक्तिगत परिस्थितियों के आधार पर गर्भावस्था के दौरान उचित वजन बढ़ाने और घटाने पर मार्गदर्शन दे सकता है.
प्रदूषण भी बनता हाइपरटेंशन का कारण
"पिछले साल अक्टूबर-नवंबर के दौरान जब वायुमंडल में PM2.5 लेवल अधिक बढ़ गया था तब लोगों ने हाई ब्लड प्रेशर की समस्या की शिकायत ज्यादा की."डॉ. संजय कुमार, डायरेक्टर एंड एचओडी- डिपार्टमेंट ऑफ कार्डियोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद
हाइपरटेंशन आमतौर से बिना किसी लक्षण के चुपचाप पनपता है, इसकी वजह से कई बार शाम के समय हल्का-फुल्का सिर दर्द और शारीरिक काम करने पर सांस फूलने की शिकायत हो सकती है लेकिन यह गंभीर रूप लेकर आपातकालीन स्थिति जैसे कि एलवी वेंट्रिक्युलर फेलियर, एमआई स्ट्रोन, अचानक दृष्टि हानि या एओर्टिक (हृदय की मुख्य धमनी) विच्छेदन (amputation) का कारण भी बनता है.
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