ADVERTISEMENTREMOVE AD

जानिए कैसे होती है हाइपरटेंशन की शुरुआत 

इस वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे पर ये जानना जरूरी है कि प्रीहाइपरटेंशन क्या होता है.

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

ये जानना महत्वपूर्ण है कि प्रीहाइपरटेंशन क्या होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यही वो स्थिति है, जहां से हाइपरटेंशन से जुड़ी सभी चीजों की शुरुआत होती है.

प्रीहाइपरटेंशन का पता कैसे चलता है?

प्रीहाइपरटेंशन तब होता है, जब आपका ब्लड प्रेशर सामान्य से ऊपर हो, लेकिन उस लेवल तक ना हो, जिसे हाइपरटेंसिव या हाई ब्लड प्रेशर माना जाता है.

ब्लडप्रेशर की रीडिंग्स, सिस्टोलिक प्रेशर के साथ 120 से 139 mm Hg और डायस्टोलिक प्रेशर के साथ 80 से 89 mm Hg को प्रीहाइपरटेंशन के रूप में माना जाता है. 140/90 mm Hg से अधिक या बराबर रीडिंग को हाइपरटेंशन या हाई ब्ल्ड प्रेशर माना जाता है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

दुर्भाग्य से, प्रीडायबिटीज के विपरीत, प्रीहाइपरटेंशन पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता है, जितना देना चाहिए. यह चिंताजनक हो जाता है क्योंकि हाई ब्लड प्रेशर कुछ लोगों में अक्सर पाया जा रहा है. लक्षणों की कमी के कारण इसका आसानी से पता नहीं चलता है. (इसके लक्षण, सिरदर्द और चक्कर आने के रूप में हो सकते है. केवल एक बार हाइपरटेंशन होने पर यह अधिक स्पष्ट हो जाता है). ऐसे में इसको पकड़ना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हाइपरटेंशन का कारण बन सकता है, जो अंततः हार्ट फेल, हार्ट अटैक, ब्रेन हैमरेज, रेटिनल हैमरेज और किडनी फेल होने की वजह भी हो सकती है.

प्रीहाइपरटेंशन का पता लगाने का एकमात्र तरीका अपने ब्लड प्रेशर की रीडिंग पर नजर रखना है. यही कारण है कि 40 वर्ष की आयु और उसके बाद हर छह महीने में ब्लड प्रेशर का चेकअप रेकमेंड किया जाता है.

प्रीहाइपरटेंशन पर कंट्रोल करने के कई तरीके हैं, यहां कुछ दिए गए हैं.

वजन पर नियंत्रण

ये जानना जरूरी है कि प्रीहाइपरटेंशन क्या होता है, जहां से हाइपरटेंशन की शुरुआत होती है.
अधिक वजन होना हाई ब्लड प्रेशर से जुड़ा है.
(फोटो: iStockphoto)

वजन अधिक होना प्रीहाइपरटेंशन का प्राइमरी रिस्क फैक्टर है. बचपन से ही वजन पर कंट्रोल रखना जरूरी है. किशोरावस्था के मोटापे और हाई ब्लड प्रेशर होने की आशंका के बीच एक मजबूत लिंक है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हेल्दी लाइफस्टाइल

ये जानना जरूरी है कि प्रीहाइपरटेंशन क्या होता है, जहां से हाइपरटेंशन की शुरुआत होती है.
डेली एक्सरसाइज करना जरूरी है.
(फोटो: iStockphoto)

सुस्त लाइफस्टाइल एक बहुत बड़ा फैक्टर है. एक स्टडी में ये पाया गया है कि किसी फिजिकल एक्टिविटी में शामिल नहीं होना प्रीहाइपरटेंशन के रिस्क को 50 परसेंट तक बढ़ा देता है. इस तरह, हर रोज व्यायाम करना और दिन के दौरान अधिक एक्टिव रहना महत्वपूर्ण है.

एरोबिक एक्सरसाइज (कार्डियो के रूप में भी जाना जाता है), सीढ़ी पर चढ़ना, एलिप्टिकल ट्रेनर, स्टेशनरी साइकिलिंग, ट्रेडमिल, रोइंग, तैराकी, किकबॉक्सिंग, रस्सी कूदना, जंपिंग जैक, जॉगिंग और वॉटर एरोबिक्स; सभी वैसोडायलेटरी क्षमता में सुधार और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

फ्रक्टोज

ये जानना जरूरी है कि प्रीहाइपरटेंशन क्या होता है, जहां से हाइपरटेंशन की शुरुआत होती है.
फ्रक्टोज एक फल से बना शुगर है जो कई स्वीट बेवरेजेस और प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स में मौजूद है.
(फोटो: iStockphoto)

अधिक फ्रक्टोज के सेवन (intake) से समस्याएं हो सकती हैं.

फ्रक्टोज (फल से बना शुगर), जो कई स्वीट बेवरेजेस और प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट में मौजूद होता है, का सेवन पहले से ही डायबिटीज, मोटापे, मेटाबॉलिक सिंड्रोम के बढ़ते रिस्क से जुड़ा है.

अब, हाइपरटेंशन को भी रिस्क की इस लिस्ट में जोड़ दिया गया है. सैन डिएगो में एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी 2016 की मीटिंग में प्रस्तुत रिसर्च ने इस संबंध का समर्थन किया. इसमें बताया गया था कि फ्रक्टोज के हाई लेवल से व्यक्तियों के सॉल्ट सेंसिटिव हाइपरटेंशन की तरफ तेजी से बढ़ने की आशंका हो सकती है. इसलिए इन्हें अपनी डाइट से निकाल बाहर करें.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

फॉस्फेट

ये जानना जरूरी है कि प्रीहाइपरटेंशन क्या होता है, जहां से हाइपरटेंशन की शुरुआत होती है.
फॉस्फेट मीट और दूध जैसे प्रोटीन युक्त भोजन में स्वाभाविक रूप से पाया जाता है. 
(फोटो: iStockphoto)

खाने की चीजों में प्रिजर्वेटिव के रूप में, स्वाद बढ़ाने कलर स्टेबलाइजर के तौर पर फॉस्फेट का इस्तेमाल किया जाता है. ज्यादा फॉस्फेट ब्लडप्रेशर बढ़ाने वाली नर्व्स को ओवरएक्टिवेट करता है, जिससे असामान्य रूप से हाई ब्लड प्रेशर होता है.

फॉस्फेट नैचुरली मीट और दूध में पाया जाता है. ये हड्डियों को मजबूत बनाने और बॉडी को बनाए रखने और उसकी रिपेयर के लिए महत्वपूर्ण है.

बहुत से पैकेज्ड फूड्स में फॉस्फेट मिलाया जाता है, इसलिए ऐसे पैकेज्ड चीजों की अधिकता से दिक्कत हो सकती है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ब्लड प्रेशर मैनेज करने में प्रोबायोटिक्स मददगार

ये जानना जरूरी है कि प्रीहाइपरटेंशन क्या होता है, जहां से हाइपरटेंशन की शुरुआत होती है.
प्रोबायोटिक फूड प्रोडक्ट्स गट माइक्रोबायोम को रिस्टोर करने में मदद करते हैं, जो बदले में सेरोटोनिन प्रोडक्शन को बढ़ावा देने में मदद करता है.
(फोटो: iStock/FIT)

खाने के साथ प्रोबायोटिक्स (पेट में पाए जाने वाले फायदेमंद सूक्ष्मजीव) को सप्लीमेंट के रूप में प्रयोग करने से ब्लड प्रेशर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. रिसर्च में ये देखा गया है कि आंतों में रहने वाले सूक्ष्मजीव (माइक्रोबायोटा) हाई ब्लड प्रेशर में एक भूमिका निभाते हैं. इसलिए, हमारे पेट के माइक्रोब्स की देखभाल न करने से भी प्री-हाइपरटेंशन हो सकता है.

हर दिन कम से कम एक किण्वित (fermented) भोजन खाएं (डोसा, अप्पम, इडली, स्प्राउट्स, ढोकला, दही).

(कविता देवगन दिल्ली में रह रही न्यूट्रिशनिस्ट, वेट मैनेजमेंट कंसल्टेंट और हेल्थ राइटर हैं. इन्होंने दो किताबें Don’t Diet! 50 Habits of Thin People (Jaico) और Ultimate Grandmother Hacks: 50 Kickass Traditional Habits for a Fitter You (Rupa) लिखी है.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×